Saturday, August 6, 2011

अग्निपथ पर जरा संभल कर


हिंदी सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन आरक्षण मुद्दे के अग्निपथ पर जरा संभल कर चलते दिखे। अपने जीवनकाल में ही जीवन से बड़ी शख्सियत गढ़ने वाले अमिताभ इस रूप में पहली बार बिहार आये थे। बीपी मंडल, कर्पूरी ठाकुर और उनके परवर्ती नेताओं ने प्रदेश में आरक्षण के पक्ष में जो जमीन तैयार की, उस पर खड़े होकर सवालों के जवाब देना अमिताभ के लिए अग्निपथ पर चलने जैसा था।
उन्होंने कहा कि आरक्षण आज का संवैधानिक सत्य है और मैं संविधान सम्मत कानून का पालन करने में विश्वास रखता हूं। 1985 में इलाहाबाद से चुनाव जीतने के बावजूद लोकसभा से इस्तीफा देकर राजनीति से दूर रहने वाले अमिताभ को प्रकाश झा की नई फिल्म आरक्षण में अपनी भूमिका के कारण इस फिल्म की रिलीज से पहले राजनीतिक सवालों का सामना करना पड़ा।
राजधानी के पहले मल्टीप्लेक्स पीएंडएम माल में बिग बी निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा और साथी कलाकार मनोज वाजपेयी के साथ मीडिया से मुखातिब थे। फिल्म की कथावस्तु, पृष्ठभूमि और इससे जुड़े कई मु्द्दों पर फिल्मकार झा ने विस्तार से बात की। सवालों का जो सिलसिला शुरू हुआ, उसमें आरक्षण के पक्ष या विपक्ष में दो-टूक उत्तर पाने की चाहत थी।
अब तक सुलगते इस सवाल पर बच्चन ने कहा कि आज किसी के लिए भी एक पक्ष में हां या ना कहना संभव नहीं है। जो लोग पिछड़ गए हैं, उन्हें आगे आने के लिए अवसर मिलना चाहिए। दोनों पक्ष की बात फिल्म में एक कहानी के जरिए कहने की कोशिश की गई है। यह फिल्म केवल रिजर्वेशन पर नहीं, बल्कि इसी बहाने शिक्षा के व्यवसायीकरण का सवाल उठाती है।
जाति-व्यवस्था और जाति आरक्षण पर निजी राय देने से बचते हुए बिग बी ने कहा कि जिस तरह से मेरी परवरिश हुई है, उसमें जात-पात के लिए कोई स्थान नहीं है, लेकिन मैं कानून का पालन करना चाहता हूं। सबको आगे आने का अवसर मिलना चाहिए।
बिहार में आये बदलाव पर उन्होंने कहा कि इसके बारे में सुनता-पढ़ता रहा हूं और यह देख कर अच्छा लगा कि पटना देश के कई शहरों से ज्यादा सुंदर है।
साधिकार अंग्रेजी बोलने में सक्षम अमिताभ शुद्ध उच्चारण वाली हिंदी में मीडिया के सवालों का जवाब देते रहे। प्रश्न कामचलाऊ अंग्रेजी में भी थे और अशुद्ध उच्चारण वाली आंचलिक हिंदी में भी। किसी ने उनसे भोजपुरी में उत्तर देने का आग्रह किया, तो उन्होंने माना कि इसमें वे ज्यादा दक्ष नहीं हैं, इसलिए प्रकाश झा से सीखने की कोशिश करते हैं। बच्चन दो भोजपुरी फिल्मों में भूमिका निभा चुके हैं। चालीस साल के फिल्मी करियर में आरक्षण उनकी पहली फिल्म है, जिसका विषय राजनीतिक है।
जब उनसे पूछा गया कि यदि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर फिल्म बने, तो आप अन्ना बनना चाहेंगे या मनमोहन सिंह?, जबाव आया- इनमें से कोई नहीं. और सिनेपोलिस का हाल ठहाकों से गूंज गया। शायद एक काल्पनिक और पेशेवर प्रश्न का यह सही राजनीतिक जवाब था। अमिताभ से सवाल पूछने का गर्व हर कोई जैसे झटक लेना चाहता था। इस आपाधापी में कुछ निरर्थक प्रश्न भी मंच की ओर उछाल दिये गए। किसी ने पूछा- आप कब दादा बन जाएंगे? उत्तर मिला- मैं गर्भवती नहीं हूं। मीडिया में बैठे कुछ लोग शायद सवाल पूछती-सी प्रतीत होती अपनी आवाज से महानायक को छू लेना चाहते थे।

No comments:

Post a Comment