Monday, August 1, 2011

पुस्तकों को ले उठीं सरकार पर अंगुलियां

सरकारी विद्यालयों में अब आरएसएस के संस्थापक डा. केबी हेडगवार की जीवनी से लेकर हिन्दुत्व की पढ़ाई होगी। मध्य विद्यालयों में इन पुस्तकों की हुई खरीद ने सूबे में एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। नीतीश सरकार की धर्मनिरपेक्ष नीति पर प्रश्न खड़े किये जा रहे हैं। पुस्तकों की सूची में गोधरा कांड पर लिखी किताब भी शामिल है।
राज्यसभा सदस्य एवं बिहार नवनिर्माण मंच के संयोजक उपेंद्र कुशवाहा ने विवादित पुस्तकों की सरकारी स्कूलों द्वारा की गयी खरीद का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि यह आरएसएस का एजेंडा गांव-गांव तक पहुंचाने का प्रयास है। सरकारी राशि से ऐसा किया जा रहा है। एक तरफ तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को लेकर इतने सतर्क हैं कि नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं से हाथ मिलाने की फोटो छपने तक पर आपत्ति करते हैं, वहीं, दूसरी ओर यह सब हो रहा है। उन्होंने श्री कुमार को भाजपा में शामिल होने की सलाह दी।
बिहार नवनिर्माण मंच 7 अगस्त को बैठक कर इस मुद्दे पर संघर्ष की रणनीति तय करेगा। श्री कुशवाहा के अनुसार यह मामला तब सामने आया जब प्रभात प्रकाशन ने शिवहर जिले के उपविकास आयुक्त को इन पुस्तकों का बिल भेजा। मानव संसाधन विकास विभाग ने सभी माध्यमिक विद्यालयों को पुस्तक खरीद के लिए हाल ही एक-एक लाख की राशि दी है। सभी जिलों में आरएसएस से संबंधित ऐसी ही पुस्तकों की खरीद हो रही है।

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