Saturday, September 24, 2011

बच्चे पढ़ायेंगे पर्यावरण का पाठ


इसे देश की किशोर मेधा का गर्व ही कहेंगे कि पर्यावरण प्रोजेक्ट बनाने की देशव्यापी स्पर्धा में 13 छात्र सुने गए। बिहार के लिए भी यह गर्व  की बात है कि अकेले यहां से 10 बच्चे चुने गए हैं। इसमें भी पटना और बेतिया से पांच-पांच हैं। इन बच्चों ने जो प्रोजेक्ट बनाया है, उनमें से कुछ जैविक खेती पर जोर देते हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत पिछले मई में छात्रों से प्रोजेक्ट मांगा गया था। युवा वर्ग में पूरे देश से लखनऊ की युगरत्‍‌ना का चयन किया गया है, जो पिछले वर्ष बच्चों के ग्रुप में थी।
ये चयनित स्कूली बच्चे संयुक्त राष्ट्र द्वारा इण्डिोनेशिया के शहर बैंडंग में आयोजित होने वाले कांफ्रेंस में भाग लेंगे। यह कांफ्रेंस संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तत्वावधान में 27 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक आयोजित किया जायेगा। तीन बच्चे आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से हैं। इसमें पटना के जिन 5 बच्चों का चयन किया गया है, उनमें से 4 डान बास्को एकेडमी के छात्र हैं। सभी बच्चे पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था तरुमित्र के तत्वावधान में इंडोनेशिया के लिए रविवार को रवाना हो जायेंगे।
तरुमित्र के निदेशक फादर राबर्ट अर्थिकल का कहना है कि राजधानी से जाने वाले बच्चों में चार डान बास्को एकेडमी के हैं तो एक संत डोमनिक सेवियो की छात्रा वर्षा है। बैंडंग के कांफ्रेंस में दुनियाभर के 1200 बच्चे भाग लेंगे। उनमें से 12 छात्र-छात्राओं की कमेटी बनेगी और उस कमेटी का अध्यक्ष संयुक्त राष्ट्र की सभा को संबोधित करेगा। यह सम्मेलन दो स्तर पर होगा। पहला स्तर बच्चों का होगा जिसमें 10 से 14 वर्ष के बच्चे भाग लेंगे। वहीं दूसरा स्तर युवाओं का होगा जिसमें 15 से 18 वर्ष के छात्र भाग लेंगे। राजधानी से जाने वाले छात्र सुष्मित एवं अरशद ने वर्मी कम्पोस्ट पर आधारित प्रोजेक्ट बनाया है। दोनों का कहना है कि प्रोजेक्ट के माध्यम से रासायनिक खादों के उपयोग से बंजर हो रही धरती को वर्मी कम्पोस्ट की मदद से बचाया जा सकता है। वहीं छात्रा वसुंधरा ने हरित अर्थव्यवस्था पर आधारित प्रोजेक्ट तैयार किया है। इसमें टीकाऊ खेती पर जोर दिया गया है। वसुंधरा का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से धरती की हरियाली बहाल रखते हुए विकास की बात की जा सकती है।

Friday, September 23, 2011

आडवाणी कैसे पहुंचेंगे जेपी के गांव ?


छपरा शहर पार कर सिताबदियारा की ओर जाने पर रिविलगंज से सड़क की जो दुर्दशा शुरू होती है, वह जेपी के गांव तक समाप्त नहीं होती। अभी लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव (सिताबदियारा) में शायद ही कोई वाहन पहुंचे। ऐसे में यहां से लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा कैसे शुरू होगी, यह भाजपाइयों खातिर मंथन का बड़ा विषय है। एक मायने में बड़ी चुनौती भी है।
सारण के मांझी स्थित जयप्रभा सेतु पार करने के बाद उत्तरप्रदेश की सीमा में स्थित चांद दियारा से बीएसटी बांध पर बनी सड़क से होते हुए सिताबदियारा जाया जाता है। अठगांवा के पास पहुंचते ही करीब 10-20 फीट लंबा कटाव मिलता है। ऐसे कटाव जेपी के गांव तक कई जगहों पर मिलते हैं। फिलहाल इससे होकर किसी बड़े वाहन का गुजरना मुश्किल है। जेपी के अनुआईयों को इस सड़क की कभी सुघ नहीं आई। यह सड़क उत्तरप्रदेश सरकार की है। उत्तरप्रदेश में मायावती की सरकार है। उनका भाजपा विरोध छुपा नहीं है। यह सरकार आडवाणी की रथयात्रा के लिए क्या करेगी, इस इलाके में यह भी चर्चा का विषय है। हालांकि भाजपाइयों का दावा है कि रथयात्रा की तमाम बाधाओं (सड़क, कटाव) को समाप्त किया जायेगा। हर हाल में गांव तक वाहन समेत पहुंचने की व्यवस्था की जायेगी। स्थानीय भाजपा विधायक व राज्य सरकार में श्रम संसाधन मंत्री जनार्दन सिंह सिग्रीवाल आडवाणी की यात्रा से पहले सिताबदियारा जाने वाले हैं। वे वहां की स्थिति का मुआयना करेंगे। फिर तैयारियों की शुरुआत होगी।
बहरहाल, सिताबदियारा के लोग यह सुनकर खुश हैं कि यहां से लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा शुरू हो रही है। 2003 के बाद यह पहला मौका है, जब देश के बड़े नेता इस गांव में जुटेंगे। चंद्रशेखर (पूर्व प्रधानमंत्री) अपने जीवनकाल में यहां हर वर्ष जेपी जयंती समारोह आयोजित कराते थे। उस दौरान गांव में बड़े नेता आते थे। गांव वाले इस बात से भी खुश हैं कि वे नये सिरे से नेताओं को सरयू में विलीन होते अपने खेतों तथा जीवन से जुड़े तमाम तरह के दर्द और परेशानियों को सुना सकेंगे। एक और बड़ी आकांक्षा है। नेताओं के जमावड़े के बहाने उत्तरप्रदेश के बीएसटी बांध पर बनी एकमात्र सड़क के जर्जर हालत के सुधरने की। गांव वालों का मानना है कि श्री आडवाणी उसी क्रांति मैदान से अपनी रथयात्रा शुरू करेंगे, जहां से जयप्रकाश नारायण ने 1974 में 'जनेऊ तोड़ो आंदोलन' का बिगुल फूंका था।

Thursday, September 22, 2011

दरौंदा से जदयू ने दिया कविता को टिकट


जदयू ने दरौंदा विधानसभा उपचुनाव के लिए कविता सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। कविता, जगमातो देवी की बहू हैं। जगमातो देवी के निधन से यहां उपचुनाव हो रहा है। जदयू के सूत्रोँ के अनुसार काफी जिच के बाद गुरुवार को कविता सिंह की उम्मीदवारी की औपचारिक घोषणा कर दी गई। वैसे विरोधी दलों की माने तो जदयू ने कविता को उम्मीदवार बना कर गुलगुल्ला खायेंगे, गुङ से परहेज करेंगे कि उक्ति ही चरितार्थ की है।
अजय सिंह, जगमातो देवी के पुत्र हैं। पहले उनको ही टिकट मिलने की चर्चा थी। मगर कई मामलों का आरोपित होने के चलते जब उन्हें टिकट मिलने के आसार पूरी तरह खत्म हो गये, तो उन्होंने पितृपक्ष में ही अपनी शादी कर ली। इस शादी को ले बड़ी चर्चा रही।  सिवान जिला अतंर्गत यह श्रेत्र कभी पावर वार के केन्द्र में रहा है। जदयू की कोशिश है कि इस सीट पर उसका कब्जा बरकरार रहे। अजय सिंह को उम्मीदवार बनाने को लेकर दल के अदर एक गुट काफी दिनों से सक्रिय रहा है। नीतीश कुमार के लिए यह सीट फिलवक्त प्रतिष्ठा का प्रश्न भी बना हुआ है। मुख्यमंत्री की यह कोशिश होगी कि इस सीट पर कब्जा कर एक तरह से अपने काम की मंजूरी भी जनता से ले ली जाय। संभव है की आगामी लोकसभा चुनाव की भूमिका की शुरुआत भी सिवान के इस सीट से हो। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अन्य विरोधी दल के उम्मीदवार और रुख क्या होता है। राजद, लोजपा और कांग्रेस के साथ ही भाकपा माले के तेवर पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। मालूम हो कि 13 अक्टूबर को दरौंदा में उपचुनाव होना है। 19 अक्टूबर को परिणाम निकलेगा।

Wednesday, September 21, 2011

आडवाणी की यात्रा में शामिल होंगे शरद !


   जनता दल(यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की यात्रा में शामिल होंगे। शरद यादव ने कहा कि आडवाणी ने उन्हें आधिकारिक रूप से कोई निमंत्रण नहीं दिया है, परन्तु अगर वह अनुरोध करेंगे तो तो मैं उनकी यात्रा में जरूर शामिल हूंगा। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर उन्होंने कोई टिप्पणी करने से परहेज करते हुए कहा कि भाजपा पहले प्रधानमंत्री पद का अपना उम्मीदवार घोषित करे।
प्रदेश के छह दिवसीय दौरे पर आए शरद यादव ने कहा कि आडवाणी भ्रष्टाचार के खिलाफ यात्रा शुरू करेंगे। जदयू भ्रष्टाचार के खिलाफ किसी आंदोलन की विरोधी नहीं है। भाजपा हमारी सहयोगी पार्टी है। हम उनका विरोध क्यों करेंगे? आडवाणी यात्रा में शामिल होने के लिए बुलाएंगे, तो अवश्य जाएंगे। बिहार के सिताब दियारा से यात्रा शुरू होने की चर्चा पर उन्होंने कहा कि यह जेपी की जन्म भूमि है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू करने के लिए भाजपा नेता अगर इस स्थान का चयन करते हैं, तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है। शरद यादव ने वैसे नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की चर्चा पर चुप्पी साधी। उन्होंने कहा कि भाजपा पहले आधिकारिक रूप से अपने उम्मीदवार की घोषणा करे। गुजरात में हमारा भाजपा या नरेंद्र मोदी से कोई गठबंधन नहीं है। वहां हम अलग चुनाव लड़ते हैं। चुनाव में भाजपा के खिलाफ आक्रामक प्रचार करते रहे हैं।
शरद यादव ने बिहार को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग पर प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह द्वारा अंतर मंत्रालयी समूह गठित किये जाने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभाजन के बाद से हम लोग लगातार यह मांग उठाते रहे हैं। बंटवारे के बाद केन्द्र सरकार ने बिहार को उसका हक नहीं दिया। विशेष दर्जा की मांग संसद में कई बार मैंने उठायी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार इस मांग को लेकर केन्द्र सरकार पर दबाव बनाते रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि इस मांग को केन्द्र सरकार की स्वीकृति मिलेगी।
प्रदेश के दौरे पर आए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले और उन्हें अपने एक माह के वेतन का एक लाख पांच हजार रुपये का चेक सौंपा। उन्होंने यह चेक जदयू के हरित बिहार अभियान की सफलता के लिए सौंपा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने हरित बिहार अभियान की सफलता की कामना करते हुए इस कार्यक्रम के लिए जदयू की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह अभियान पर्यावरण की रक्षा में अपनी कारगर भूमिका निभाएंगा, और बिहार में हरियाली आएगी। इस मौके पर सांसद आरसीपी सिंह एवं विधान परिषद में सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक संजय कुमार सिंह भी उपस्थित थे।

Monday, September 19, 2011

मोदी के खिलाफ खुलकर आया जदयू


राजग की सहयोगी पार्टी जदयू अब नरेन्द्र मोदी के खिलाफ खुलकर खड़ी हो गई है। जदयू प्रवक्ता शिवानंद तिवारी समेत कई नेताओं ने जमकर भड़ास निकाली। शिवानंद ने मोदी को राजधर्म पालन की सीख देने के साथ ही उन्हें पीएम पद के प्रत्याशी के रूप में पेश किए जाने की कोशिशों को सिरे से नकारते हुए कहा, राजग प्रत्याशी के तौर पर वह हमें मंजूर नहीं।
इतना ही नहीं, नीतीश का नाम उछालने के साथ उन्हें मोदी से ज्यादा बेहतर भी बता डाला। यह अलग बात है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मोदी के उपवास पर कुछ भी कहने से बचते रहे हैं। टीवी कैमरों के सामने नीतीश हाथ जोड़ कर मोदी पर टिप्पणी करने से किनारा कर गए थे। जबकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने मोदी के उपवास पर चुटकी लेते हुए कहा था कि देश की 70-80 फीसदी जनता रोजाना आधे या पूरे दिन का उपवास करती है, लेकिन कोई चर्चा नहीं करता। वहीं, नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल भाजपा के सात मंत्रियों ने अहमदाबाद जाकर मोदी का समर्थन किया। विदेश यात्रा पर रहने के कारण सुशील कुमार मोदी की टिप्पणी नहीं मिल सकी।
जदयू के सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने यहां पत्रकारों से बातचीत में मोदी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने 2014 के लोस चुनाव के लिए मोदी को प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के तौर पर पेश करने की कोशिशों को खारिज करते हुए कहा, राजग के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के तौर पर मोदी हमें कतई स्वीकार नहीं। वह भाजपा के प्रत्याशी हो सकते हैं, राजग के नहीं। तिवारी ने कहा, मोदी गुजरात में 2002 में हुए राज्यव्यापी दंगों में राजधर्म का निर्वाह करने में नाकाम रहे। जो व्यक्ति छह करोड़ लोगों के साथ राजधर्म का सही ढंग से निर्वाहन करने में विफल रहा, वह देश की 120 करोड़ जनता के साथ इसका निर्वाहन कैसे करेगा।
पार्टी के एक अन्य सांसद अली अनवर ने कहा, मोदी भाजपा का चेहरा हो सकते हैं, लेकिन राजग के नहीं। पार्टी की बिहार इकाई के मुखिया वशिष्ठ नारायण सिंह ने भी प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी की ऊम्मीदवारी का विरोध किया। उन्होंने कहा, इस मामले में नीतीश कुमार सबसे आगे हैं। विकास, शांति और बदलाव के मुद्दों पर नीतीश को राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता हासिल है। उनके विकास माडल की देश और उसके बाहर चर्चा हो रही है। एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा, मोदी के सद्भावना उपवास से पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। यह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का नहीं भाजपा का आयोजन है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पार्टी की बिहार इकाई नीतीश कुमार की अनुमति के बिना एक कदम नहीं बढ़ाती। नेताओं ने मोदी के खिलाफ बोलना शुरू किया है तो इसका सीधा अर्थ है कि उन्हें नीतीश का आशीर्वाद हासिल है। वहीं, नीतीश की कैबिनेट के भाजपा के सात मंत्रियों ने अहमदाबाद जाकर मोदी का समर्थन किया। बिहार में भाजपा के सबसे वरिष्ठ मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने तो यहां तक कह डाला कि गुजरात के विकास मॉडल से बिहार ने भी बहुत कुछ सीखा है। बावजूद इसके कि गुजरात मॉडल की चर्चा तक नीतीश को चिढ़ाती है। साथ ही उन्होंने मोदी के हाथ में देश के भविष्य को सुरक्षित रखने की बात कर प्रधानमंत्री के रूप में उनकी दावेदारी पर भी मुहर लगाई। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. सी पी ठाकुर का मानना है कि जदयू को समय का इंतजार करना चाहिए।

Sunday, September 18, 2011

मोदी की राह के रोड़ा नीतीश

संभव है की जनता दल यू की ओर से अब यह कोशिश भी तेज हो जाये की मोदी की जगह केंद्रीय राजनीती में नीतीश को पेश किया जाय. जद यू के कई नेता नीतीश को प्रभावित करने के लिए इस तरह के अभियान चला सकते हैं. दूसरी ओर बिहार भाजपा की मुश्किल यह है कि उसके कई कद्दावर नेता नीतीश कि इक्च्क्षा  के बिना एक शब्द भी नहीं बोल सकते हैं, पिछले बिहार विधान सभा चुनाव में नीतीश कि जिद के आगे भाजपा कि एक न चली. तब तबतीश ने न केवल बजापा को दिए गए भोज को रद्द किया बल्कि गुजरात से बाढ़  पीडितो के लिए आई सहायता राशि को भी वापस कर दिया था. बिहार में भाजपा जिस तरह से लाचार और विवस बनी रहती है वह देखते बनती है. 
विपक्ष के साथ-साथ खुद अपने कुनबे में ही सांप्रदायिकता के मोर्चे पर अस्पृश्यता झेलते रहे नरेंद्र मोदी अब नौ साल पुराने दाग धोने के लिए पूरी शिद्दत से जुट गए हैं। उपवास के बहाने शुरू की गई इस मुहिम में उन्हें आंशिक सफलता तो मिली है, लेकिन भाजपा के सबसे बड़े सहयोगी जनता दलयू का दिल बदलना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जहां उपवास से दूरी बनाए रखी, वहीं जदयू अध्यक्ष शरद यादव मोदी पर कटाक्ष करने से भी नहीं चूके। अलबत्ता राजग के बाहर से जयललिता को अपने समर्थन में जुटाकर और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को लाकर  मोदी ने अपने विस्तार और बढ़ती स्वीकार्यता का संदेश देने की कोशिश जरूर की है। केंद्रीय राजनीति में प्रवेश को आतुर मोदी के लिए असली चुनौती अपने इस सबसे बड़े सहयोगी दल जनता दलयू को साध पाना ही है.इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा की नीतीश कुमार मोदी की राह के सबसे बड़ा अवरोध  साबित होंगे. 
गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के बाद विकास के मोर्चे पर बड़ी लाइन खींचते रहे मोदी की सियासत का रथ हमेशा सांप्रदायिकता के आरोप से धीमा पड़ता रहा। गुजरात चुनाव से करीब एक साल और अगले लोकसभा चुनाव से तीन साल पहले मोदी ने अब छवि सुधार में तेजी ला दी है। उनके लिए सबसे बड़ी सफलता पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को यहां लाना और जयललिता का खुला समर्थन पाना रहा।
बादल ने तो मोदी के सद्भावना मिशन को पंजाब और पंजाबियों की तरफ से पूरा समर्थन प्रदान किया। साथ ही मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि देश में गरीबी और अशिक्षा फैली है, उनके लिए गुजरात लाइट हाउस जैसा है। दिल्ली में मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन होता है तब सभी राज्यों के मुख्यमंत्री इस इंतजार में रहते हैं कि मोदी इस विषय पर क्या बोलने वाले हैं। तरक्की, खुशहाली और सद्भावना जो गुजरात में है, वह सारी दुनिया में हो वह अरदास करता हूं। इसी तरह तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने मोदी के उपवास को न सिर्फ समर्थन दिया, बल्कि दो सांसद थंबीदुरई और मैत्रेयन को भी भेजा। हालांकि, बिहार चुनाव में मोदी को प्रचार करने के लिए भी न आने देने वाले नीतीश कुमार ने इस तरफ रुख भी नहीं किया।।

Thursday, September 15, 2011

रसोई तक पहुंचेगी महंगाई की मार


 पहले ही महंगाई से त्राहि-त्राहि कर रही जनता पर पेट्रोल के दामों की एक और गाज गिर गई।आम जनता पर तेल कीमतों की मार सिर्फ पेट्रोल तक ही सीमित रहने वाली नहीं है। सरकार रसोई गैस पर सब्सिडी घटाने के एक प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है। इसके तहत गरीबी रेखा से ऊपर रहने वाले [बीपीएल] लोगों के लिए एक साल में सब्सिडी वाले केवल चार सिलेंडर देने का प्रस्ताव है। इससे ज्यादा सिलेंडर लेने वालों को बाजार कीमत पर रसोई गैस लेनी होगी। इस आशय का एक प्रस्ताव तेल व प्राकृतिकगैस मंत्रालय जल्दी ही मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह [ईजीओएम] के पास ले जाएगा। इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद बिना सब्सिडी वाली रसोई गैस की कीमत प्रति सिलेंडर 700 से भी ऊपर चली जाएगी। चार महीने में दूसरी बार तेल कंपनियों ने पेट्रोल के दाम फिर बढ़ा दिए हैं। पेट्रोल की कीमतों में गुरुवार की मध्यरात्रि से 3.14 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हो गया। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में इसके दाम 63.70 रुपये से बढ़कर 66.84 रुपये प्रति लीटर हो गए।
पेट्रोलियम कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रुपये की कमजोरी को पेट्रोल के दाम बढ़ाने की प्रमुख वजह बता रही हैं। चारों तेल मार्केटिंग कंपनियों के प्रमुखों ने गुरुवार को मुंबई में एक बैठक कर पेट्रोल की कीमत बढ़ाने का फैसला किया। चार महीने पहले 15 मई को भी पेट्रोल के दामों में पांच रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई थी। जून, 2010 में पेट्रोल की कीमतों के सरकारी नियंत्रण से बाहर होने के बाद यह नौंवा मौका है, जब इसके मूल्य बढ़े हैं। तब से अब तक पेट्रोल की कीमत में लगभग उन्नीस रुपये का इजाफा हो चुका है।
तेल मार्केटिंग कंपनी के एक अधिकारी के मुताबिक आज की तारीख में कच्चा तेल 110-111 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। इसके साथ ही रुपये की विनिमय दर डॉलर की तुलना में कमजोर पड़कर दो साल के निचले स्तर [बुधवार को करीब 48 रुपये प्रति डॉलर] के आसपास चली गई है। तेल कंपनियों को पेट्रोल की बिक्री पर प्रति लीटर 2.61 रुपये या प्रतिदिन 15 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। वैट या बिक्रीकर को जोड़ने के बाद कीमतों को अंतरराष्ट्रीय भाव के अनुरूप लाने के लिए 3.14 रुपये की वृद्धि की जरूरत थी। तीनों सरकारी कंपनियों- इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को इस वित्त वर्ष में पेट्रोल के आयातित मूल्य से कम पर बिक्री करने से 2,450 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।


Monday, September 12, 2011

राष्ट्रीय राजनीति में मोदी की भूमिका


गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत पर भाजपा की बांछें खिल गई हैं। भाजपा ने जहां इस फैसले को सांप्रदायिकता के मोर्चे पर कठघरे में खड़े रहे मोदी को 'क्लीन चिट' मिलना करार दिया है, वहीं मोदी को संसद से लेकर सड़क तक घेरती रही कांग्रेस को इससे झटका लगा है। यही वजह है कि मोदी को भाजपा के हर कोने से बधाई मिली और उनकी राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका भी तलाशनी शुरू कर दी गई है।
इस फैसले से मोदी का राजनीतिक कद भी बढ़ा है। पार्टी के भीतर से उनके राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका में आने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। आडवाणी ने कहा कि मोदी पार्टी द्वारा सौंपी जाने वाली किसी भी जिम्मेदारी को निभाने में सक्षम हैं। राज्यसभा में नेता विपक्ष अरुण जेटली ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मोदी पहले से ही राष्ट्रीय राजनीति में हैं और हमारे प्रमुख नेताओं में हैं। गुजरात भाजपा के प्रभारी बलबीर पुंज ने कहा कि इस फैसले से मोदी को बड़ी भूमिका में मदद मिलेगी।
फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए जेटली ने कहा कि भाजपा शुरू से कहती रही है कि मोदी पर लगाए गए आरोप झूठे हैं और उनकी दंगों में कोई भूमिका नहीं थी। इससे साबित हुआ है कि मात्र प्रोपेगंडा व झूठे आरोप कभी भी साक्ष्य नहीं हो सकते हैं। मोदी का नाम एक भी आरोप पत्र में नहीं है और न ही विशेष जांच दल ने उन्हें दोषी पाया है। जेटली ने कहा कि मोदी को एक भी आरोप पत्र में शामिल नहीं किया गया है और न ही विशेष जाच दल ने उन्हें दोषी पाया है। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने मोदी को बधाई देते हुए कहा कि मोदी ने अग्निपरीक्षा पास कर ली है, 'सत्यमेव जयते'। पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी मोदी को बधाई दी और कहा कि इससे साफ हो गया है कि मोदी के खिलाफ मामला झूठे प्रचार व दुर्भावना पर आधारित था।
दूसरी तरफ कांग्रेस ने भाजपा को इस मामले में ज्यादा न इतराने की नसीहत दी है। केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मोदी को क्लीन चिट नहीं है। एसआइटी की रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं है और उसे वह अहमदाबाद में मजिस्ट्रेट के सामने रखेगी। खुर्शीद ने कटाक्ष करते हुए कहा कि क्या भाजपा को सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट न ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड की सारी जानकारी है? कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि भाजपा ऐसे दिखा रही है जैसे मोदी को बरी कर दिया हो। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत में नए सुबूतों के साथ मामले को रखने को कहा है। उसका इंतजार करें।