Sunday, August 21, 2011

इसका स्वागत होना चाहिए



बिहार के ९३ फीसदी विधायक चाहते हैं की सदन में जनप्रतिनिधियों के भ्रष्ट आचार को लोकपाल के दायरे में लाना चाहिए, जबकि चार प्रतिशत इसके पक्ष में नहीं हैं. तीन प्रतिशत ने कहा की उन्हें नहीं मलूए. २४३ सदस्यीय विधानसभा के अधिकतर सदस्यों ने कहा की देश के एक- एक नागरिक को इसके दायरे में लाया जाना चाहिए. निश्चित तौर पर यह राय दलीय सीमा से ऊपर है. बिहार के दस सांसदों में से आठ ने भी लोकपाल के पक्ष में अपना मत दिया हैं. इसीप्रकार ३५ विधान पार्षदों में से ३२ ने लोकपाल के दायरे में आने पर अपनी सहमती दी हैं. इसमें सत्ता और विपक्ष दोनों के सदस्य शामिल हैं..इसका  स्वागत होना चाहिए. कभी घोटालों की श्रृंखला के लिए बदनाम बिहार में यह सकारात्मक बदलाव है.

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