Tuesday, August 16, 2011

बदहवास सरकार


भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता के आंदोलन के सामने सरकार ने पहले ही दिन घुटने टेक दिए। मंगलवार को सुबह समाजसेवी अन्ना हजारे को गिरफ्तार कर तिहाड़ पहुंचाने वाली सरकार ने देर शाम उन्हें रिहा करने का फैसला कर लिया। अन्ना के समक्ष दिल्ली पुलिस ने दो शर्ते रखीं हैं। पहली, सरकार अन्ना को जेपी पार्क में सिर्फ तीन अनशन करने की अनुमति देने को राजी है। दूसरी, यदि अन्ना लंबे समय तक अनशन करना चाहते हैं तो वे अपने गांव रालेगांव सिद्धि जाकर करें। अन्ना ने इन शर्तो के साथ रिहा होने से इंकार कर दिया है। इसी बीच अन्ना के एक सहयोगी मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल से रिहा कर दिए गए। रात नौ बजे के करीब अन्ना को तकनीकी तौर पर रिहा कर दिया गया। लेकिन, खबर लिखे जाने तक अन्ना तिहाड़ में ही डटे थे। अंत में जेल प्रशासन ने आराम करने के लिए उन्हें एक कमरा दे दिया है। मनीष सिसौदिया ने बताया कि अन्ना ने जेल अधिकारियों से स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उन्हें जेपी पार्क में अनशन करने की बिना शर्त अनुमति नहीं मिल जाती वह जेल से बाहर नहीं जाएंगे। अन्ना की गिरफ्तारी के खिलाफ देशव्यापी गुस्से और इमरजेंसी जैसे हालात पैदा करने के आरोपों से बदहवास दि ख रही सरकार और कांग्रेस को कोई राह नहीं सूझ रही है।
अन्ना की गिरफ्तारी से पूरे देश में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। दिल्ली में मूसलाधार बारिश के बावजूद बहुत बड़ी संख्या में लोग छत्रसाल स्टेडियम पर जमा थे। राज्यों की राजधानियों से लेकर छोटे-छोटे शहरों और गांवों तक में लोग सड़कों पर उतर आए। सड़क-संसद से लेकर सोशल नेटवर्किग साइटों पर भी अन्ना के समर्थन में सैलाब आ गया।

No comments:

Post a Comment