Tuesday, March 27, 2012

नक्सली हमले में 15 जवान शहीद

महाराष्ट्र के पुश्तोला जिले में नक्सलियों ने मंगलवार को एक बारूदी सुरंग विस्फोट कर दिया जिसमें कम से कम 15 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए और करीब आठ अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। सीआरपीएफ अधिकारियों ने बताया कि ये जवान एक बस में यात्रा कर रहे थे और अभियान के तहत पुश्तोला से गट्टा जा रहे थे कि तभी ये विस्फोट हो गया जिसमें कम से कम 15 जवानों की मौके पर ही मौत हो गई और आठ अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्होंने बताया कि सीआरपीएफ के प्रमुख के विजय कुमार महाराष्ट्र की यात्रा पर हैं और आज सुबह नागपुर से अपनी यात्रा शुरू करने के बाद गढ़चिरौली में थे। उन्होंने बताया कि वे अब घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए हैं। सीआरपीएफ के अधिकारियों ने कहा है कि हताहतों की संख्या बढ़ सकती है जबकि अतिरिक्त दल को इलाके में भेज दिया गया है। ये जवान बल की वहा तैनात 192वीं बटालियन के थे।

Monday, March 26, 2012

तिब्बत की पीड़ा: कोई तो सुध ले

 चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ के भारत दौरे के विरोध में तिब्बती युवक ने यहां जंतर-मंतर पर खुद को आग के हवाले कर दिया। 80 फीसदी झुलस चुके इस युवक को डॉ.राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया।
हू जिंताओ पांच देशों के समूह 'ब्रिक्स' के शिखर सम्मेलन में शामिल होने गुरुवार को दिल्ली आ रहे हैं। इसको लेकर तिब्बती संगठनों ने विरोध प्रदर्शन का फैसला किया है। यह प्रदर्शन तीन दिनों तक चलेगा। इसके तहत सोमवार को यूथ तिब्बतियन कांग्रेस द्वारा रामलीला मैदान से जंतर-मंतर तक रैली निकाली गई। रैली के बाद जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन चल रहा था। यूथ तिब्बतियन कांग्रेस के एक सदस्य दोरजी के अनुसार, दोपहर 12.20 बजे के करीब जामयांग येशी नामक युवक ने जदयू दफ्तर के बाहर पहले अपने ऊपर तेल उड़ेल लिया। कुछ मिनट बाद वह आग लगाकर भीड़ में घुस गया। किसी तरह आग बुझाया गया और उसे अस्पताल ले जाया गया। जामयांग येशी पिछले पांच साल से दिल्ली में रहकर पढ़ाई कर रहा है।
दोरजी ने बताया कि तिब्बत की आजादी को लेकर दिल्ली में आत्मदाह की कोशिश की यह तीसरी घटना है। इसके पहले वर्ष 1994 में एक युवक ने ऐसा ही किया था। पिछले महीने भी एक युवक ने खुद को आग लगा ली थी। दोरजी ने बताया कि तिब्बत में 30 लोग आत्मदाह की कोशिश कर चुके हैं। इनमें 22 लोगों की मौत हो चुकी है। तिब्बत के लोग सदमे में है, वहां हर तरफ पुलिस व सेना के पहरे में लोग जी रहे हैं।

Sunday, March 25, 2012

अंशुमन के दावे और भाजपा की राजनीति

झारखंड से राज्यसभा का चुनाव लड़ने से पीछे हटे अंशुमान मिश्रा ने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं पर एक बार फिर निशाना साधते हुए कई सनसनीखेज दावे किए हैं। मिश्रा ने बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी, अरुण जेटली और यशवंत सिन्हा जैसे नेताओं की तीखी आलोचना करते हुए चेतावनी दी है कि वह सबकी पोल खोल देंगे। अंशुमान के ताज़ा बयानों के बाद बीजेपी ने अंशुमान के दावों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने कहा है, 'अंशुमान को राज्यसभा चुनाव में समर्थन नहीं दिया गया, इसलिए बयानबाजी कर रहे हैं। जरूरत समझी गई तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।' इससे पहले एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में मिश्रा ने कहा कि बीजेपी के कई नेता मुझसे डरते हैं, इसलिए वे मुझे पार्टी में नहीं आने देना चाहते हैं। अंशुमान ने यह भी कहा, 'मुरली मनोहर जोशी ने 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपियों विनोद गोयनका और शाहिद बलवा से मेरी मौजूदगी में मुलाकात की थी और पार्टी को फंड देने को कहा था। अंशुमान ने कहा कि जोशी ने निजी हित के लिए बल्कि पार्टी के लिए फंड मांगा था। 2 जी स्पेक्ट्रम की जांच कर रही लोकलेखा समिति के अध्यक्ष जोशी विनोद गोयनका और शाहिद बलवा के दोस्त हैं। '  मिश्रा के मुताबिक, 'जोशी ने मुझसे कहा था कि मैं पूरे मामले को समझना चाहता हूं, इसलिए 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले के कुछ आरोपियों से मिलना चाहता हूं।'  मिश्रा ने दावा किया कि विनोद गोयनका और शाहिद बलवा 2000 से 2012 तक बीजेपी को सहयोग करते रहे हैं। मिश्रा ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने मित्रों से भी बीजेपी को फंड दिलवाया है और खुद भी ऐसा किया है। मिश्रा का दावा है कि विनोद गोयनका, कुमार मंगलम बिड़ला, अब्दुल कलाम उनके दोस्त हैं। अंशुमान ने कहा, ' अगर डॉ. मुरली मनोहर जोशी की फोन कॉल डिटेल निकलवाई जाए तो मैं उनके कितने करीब रहा हूं, यह साफ हो जाएगा। जोशी से मेरी मुलाकात अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान हुई थी, जहां उन्हें मेरे अंदर स्वामी विवेकानंद की झलक दिखी थी। लेकिन आज मैं बुरा आदमी हो गया हूं।' अंशुमान ने कहा कि जितना कानून अरुण जेटली जानते हैं, उतना ही कानून मैं भी जानता हूं। मिश्र ने कहा कि अरुण जेटली लंदन में मेरे यहां आते हैं। साथ मैच देखते हैं। उनके कई ऐसे लोगों से संबंध हैं जिन पर घोटालों के आरोप लग चुके हैं। उन्होंने कहा, 'चूंकि मैं पढ़ा-लिखा युवा  हूं, मेरे पास चार पैसे हैं इसलिए कई लोग मेरे राजनीति में आने से डरते हैं। लोग मेरे खिलाफ मीडिया में कैंपेन चलवा रहे हैं। मैं स्वच्छ राजनीति करना चाहता हूं।' अंशुमान ने दावा करते हुए कहा, 'बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने मुझे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा भेजने की पेशकश की थी। लेकिन मैंने कहा चूंकि यहां राज्यसभा की एक ही सीट पर जीता जा सकता है, इसलिए मैंने झारखंड का चुनाव किया। मुझे लगता था कि जो कार्यकर्ता समर्पित होकर काम कर रहा है, उसका हक मारा जाए, यह अच्छा नहीं है।' अंशुमान ने खुलासा किया कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने मुझसे कहा था अगर आप झारखंड में 10-12 वोट का इंतजाम कर सकें तो आप वहां से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, अंशुमान ने किसी नेता का नाम नहीं लिया।
मिश्रा ने ललित मोदी पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'ललित मोदी सुषमा स्वराज को आईपीएल के मैच दिखाने ले गए। मैंने ललित मोदी के साथ दो मैच देखे हैं। वे लंदन में रहते हैं। मैं उनसे वहां कभी नहीं मिला।'
उन्होंने साफ किया कि भले ही उन्हें भले ही उन्हें राज्यसभा चुनाव से पैर पीछे खींचने पड़े हैं, लेकिन इस बात ने जनता के बीच जाकर राजनीति करने का आधार तैयार कर दिया है। अमर सिंह के बारे अंशुमान मिश्रा ने कहा कि वह इतिहास हो चुके हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सलाहकार बृजेश मिश्रा से कोई लेना-देना नहीं है। बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा के जबर्दस्त विरोध के बाद राज्यसभा चुनाव में झारखंड से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी अंशुमान मिश्रा अपना नाम वापस ले चुके हैं। उनके नाम का प्रस्ताव रघुवर दास, उमाशंकर अकेला, अमित यादव, सत्यानंद बाटुल, बिमला प्रधान, सुधा चौधरी, चंद्रप्रकाश चौधरी, उमाकांत रजक, हरेकृष्ण सिंह ने किया था।
अंशुमान के आरोप बेबुनियाद : भाजपा
भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी पर प्रवासी भारतीय कारोबारी अंशुमान मिश्रा द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार बताया और कहा कि ये आरोप संसदीय समिति की छवि खराब करने के प्रयास हैं। अंशुमान का आरोप है कि जोशी ने उनसे 2जी घोटाले में संलिप्त आरोपी कारोबारियों के साथ मुलाकात कराने के लिए कहा था। भाजपा के राज्यसभा के सदस्य तरुण विजय ने कहा, "ये आरोप आधारहीन हैं। पीएसी की छवि खराब करने के लिए ये आरोप लगाए गए हैं। वास्तव में, 2जी घोटाला मामले को भाजपा ने सबसे पहले उठाया और पार्टी की वजह से पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा जेल में हैं।"

Saturday, March 24, 2012

खजाना खाली है... फिर भी वादे करेंगे पूरे

सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव  कार्यकर्ताओं को नयी सरकार की मुश्किलों से रूबरू कराया। बताया कि खजाना खाली है। संसाधनों का अभाव है। फिर भी हम वादे पूरे करेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जायेगी कि आप अपने मुख्यमंत्री से भी पूछ सकें कि यह काम कब होगा।दिल्ली से लौटे सपा मुखिया ने गुरुवार को काफी समय पार्टी मुख्यालय में बिताया। मुख्यमंत्री अखिलेश भी वहां पहुंचे। इस बीच राज्यसभा के लिए नवनिर्वाचित सपा सदस्यों ने कार्यालय पहुंच उनसे मुलाकात की। बाद में कार्यालय में मौजूद सैकड़ों कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यादव ने कहा कि वह अब उनके बीच ही रहेंगे। मिल कर सरकार पर नियंत्रण रखेंगे इसीलिए हम मुख्यमंत्री भी नहीं बने। चुनाव घोषणा पत्र में जो वादे किये हैं वह पांच साल से पहले ही पूरा करायेंगे। यादव ने कहा कि पिछली बसपा सरकार ने सारा प्रशासन चौपट कर दिया। विकास का कोई काम नहीं किया। राजस्व तक नहीं बढ़ाया। 45 हजार करोड़ रुपये केवल पत्थरों में लगा दिये। इतना पैसा विकास कार्य में लगता तो प्रदेश की तरक्की होती। बसपा राज में कई जिले बढ़ा दिये गये। इससे अधिकारियों के कार्यालय, आवास, जेल आदि के मद में काफी बोझ पड़ेगा। हमें अपने स्तर पर संसाधन जुटाने और राजस्व बढ़ाने के प्रयास करने होंगे। जनता ने बड़ी उम्मीदों के साथ पूर्ण बहुमत दिया है, इसलिए अब हम कोई बहाना भी नहीं कर सकते हैं।
सपा प्रमुख ने कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया कि उन्हें अपने कामों के लिए बार बार लखनऊ दौड़ कर नहीं आना पड़ेगा। ऐसी व्यवस्था की जायेगी कि उनके आवेदन पत्रों पर जो भी निर्णय होना हो तुरंत हो जाए। मुख्यमंत्री से भी वह इस बाबत पूछ भी सकेंगे।
इसी के साथ यादव ने कार्यकर्ताओं को नया लक्ष्य भी सौंपा। उन्होंने कहा कि सरकार बनने से जिम्मेदारियां भी बढ़ी हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव की चुनौती सामने है। कार्यकर्ताओं को अब जनता के बीच रह कर पार्टी की नीतियों का प्रचार करना और जनहित के काम भी कराने हैं। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी भत्ता, किसानों को पेंशन, कन्या विद्याधन योजनाएं शुरू कर हम अपने वादों पर अमल कर रहे हैं। पिछली सरकार ने सपा कार्यकर्ताओं पर जा फर्जी मुकदमे लगाये हैं उन पर भी विचार कर वापस लिया जायेगा।

Friday, March 23, 2012

यूपी में बेरोजगारी हुई और लंबी!

ये है उत्तरप्रदेश में बेरोजगारों की लाइन। 1000 रुपए का भत्ता लेने के लिए राज्य में रोज हजारों की संख्या में लोग रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं। सपा ने विधानसभा चुनाव से पूर्व 35 से 40 आयु वर्ग के बेरोजगारों को भत्ता देने का वादा किया था। कुर्सी संभालने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योजना को लागू कर दिया है। जब से योजना लागू हुई है तब से उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थित एम्प्लोयमेंट एक्सचेंज ऑफिस के बाहर लोगों की लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही हैं।
25 लाख को पार कर जाएगा आंकड़ा
योजना के प्रति लोगों में कितना उत्साह है, इसका उदाहरण इसी से मिल जाता है कि आठ रुपए में मिलने वाला रजिस्ट्रेशन फॉर्म कई सेंटर्स पर खत्म हो चुका है। कई जगह यह 75 रुपए तक में मिल रहा है। माना जा रहा है कि अगले चार से पांच दिन में रजिस्ट्रेशन  आंकड़ा 25 लाख को पार कर जाएगा। 1.50 लाख लोगों ने पिछले चालीस सालों में करवाया
रजिस्ट्रेशन था .18 लाख लोग 15 मार्च 2012 तक करा चुके हैं रजिस्ट्रेशन.

पैरामिलिट्री फोर्स में‘अच्‍छी तरह विकसित छाती’ की शर्मनाक शर्त

 देश के पैरामिलिट्री फोर्स में भर्ती के लिए आवेदन में महिला उम्‍मीदवारों की शारीरिक योग्‍यता को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। बीएसफ में ग्रुप सी पैरामेडिकल स्‍टाफ के लिए आवेदन करने वाली महिला उम्‍मीदवारों की योग्‍यता के लिए उनके ‘अच्‍छी तरह विकसित छाती’ होने की शर्त रखी गई है।गृह मंत्रालय की ओर जारी विज्ञापन में इस तरह की भाषा का इस्‍तेमाल किए जाने को गंभीरता से लेते हुए संसदीय पैनल ने बेहद निराशा जताई है। पैनल ने कहा है कि महिला उम्‍मीदवारों के लिए इस तरह की बेतुकी भाषा का इस्‍तेमाल किया जाना ‘गैरजरूरी’ है। इसके बाद विज्ञापन की भाषा बदल दी गई।संसदीय पैनल के मुखिया पी करुणाकरन के मुताबिक, बीएसएफ द्वारा जारी विज्ञापन की भाषा 'अपमानजनक' है। संसदीय समिति ने इसकी घोर निंदा करते हुए मंत्रालय को तुरंत निर्देश जारी किया कि वह इस सूचना को हटा ले। लोकसभा में पेश रिपोर्ट में पैनल के मुताबिक, 'मंत्रालय ने पैनल की ओर से जारी निर्देश के जवाब में लिखा है कि इस मसले पर बीएसएफ के साथ विचार-विमर्श करने के बाद उस वाक्य को हटाने का निर्णय लिया गया। अब महिला उम्‍मीदवारों के लिए 'चेस्‍ट' से जुड़ी कोई न्‍यूनतम योग्‍यता नहीं होगी। साथ ही पूरी भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा की बात कही गई है। समीक्षा में उस वाक्य की जगह पर 'लागू नहीं' शब्द का प्रयोग किए जाने की बात कही गई है। समिति ने इस बाबत सभी पैरामिलिट्री फोर्सेज में भर्ती के नियमों में जल्द से जल्द आवश्यक संशोधन किए जाने की सिफारिश की है ताकि भविष्‍य में महिलाओं के लिए ऐसी अपमानजनक भाषा का इस्‍तेमाल न हो।

लोकपाल पर करना होगा अभी और इंतजार


 मनमोहन सिंह ने लोकपाल बिल पर विचार विमर्श के लिए पीएम आवास पर सभी दलों के प्रतिनिधियों के साथ शुक्रवार को बैठक की। लेकिन इस बार भी लोकपाल पर कोई आम राय नहीं बन सकी। लोकायुक्‍त के मसले पर ममता बनर्जी के तृणमूल कांग्रेस के तेवर बरकरार हैं। पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘हमने लोकपाल बिल के मौजूदा प्रावधान के तहत लोकायुक्‍त की नियुक्ति की प्रक्रिया का विरोध किया है क्‍योंकि इससे देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचेगा।’ मजबूत लोकपाल की आस लगाए अन्‍ना और उनके साथियों का इंतजार शायद ही कभी खत्‍म हो सकेगा। सरकार का कहना है कि बिना आम राय के लोकपाल बिल पारित नहीं कराया जाएगा और राजनीतिक दल अपना-अपना राग आलाप रहे हैं। शुक्रवार को इस मसले पर प्रधानमंत्री की अगुआई में हुई सर्वदलीय बैठक में भी यही दिखा। उधर, मनमोहन को बार-बार झुकाने वाली ममता बनर्जी ने लोकपाल के मसले पर भी अपना विरोध दर्ज करा दिया है। ऐसे में अन्‍ना एक बार फिर 25 मार्च को अनशन करने के लिए तैयार हैं।  बैठक में कई सांसदों ने लोकपाल बिल में लोकायुक्‍त की नियुक्ति, सीबीआई को लोकपाल के दायरे में लाए जाने और लोकपाल समिति के सदस्‍यों की नियुक्ति और उन्‍हें हटाए जाने को लेकर स्थिति साफ किए जाने की सरकार से मांग की। राजद के राम कृपाल यादव और लोजपा के रामविलास पासवान ने कहा कि लोकपाल के गठन की जरूरत ही नहीं है। सीपीएम ने कॉरपोरेट और सरकार से जुड़े एनजीओ को लोकपाल के दायरे में रखे जाने की अपनी मांग दुहराई। लेफ्ट पार्टियों ने हर राज्‍य में लोकायुक्‍त की नियुक्ति किए जाने की भी मांग की। इसी तरह बीजेपी, डीएमके, एआईडीएमके, टीडीपी, अकाली दल, नेशनल कांफ्रेंस, जेडी(यू), सपा और बसपा ने भी लोकपाल बिल के तहत लोकायुक्‍तों की नियुक्ति के प्रावधान को हटाए जाने की मांग की।
हालांकि, प्रधानमंत्री ने एक बार फिर दोहराया है कि सरकार मजबूत लोकपाल कानून को बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। पीएमओ में राज्‍यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि लोकपाल आम सहमति से ही बनेगा। वहीं, अन्‍ना ने सरकारी लोकपाल को ‘अपर्याप्‍त’ बताया है और कहा है कि मजबूत लोकपाल के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी। सरकार पहले भी इस मुद्दे पर दो बार सर्वदलीय बैठक बुला चुकी है, लेकिन दोनों बार नतीजा सिफर रहा था। इन बैठकों के बाद भी सरकार राज्यसभा में इस बिल को पास नहीं करवा पाई। खासतौर पर सीबीआई की स्वायत्तता, लोकपाल को हटाने का प्रावधान, राज्य में लोकायुक्तों की नियुक्ति को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच सहमति नहीं बन पाई।

Thursday, March 22, 2012

कोयले के कारोबार में कांग्रेस का हाथ काला

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले के बाद केंद्र सरकार कोयला खदानों के आवंटन को लेकर घिर गई दिखती है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर में सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि कोयला खदानों की बिना नीलामी 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर आवंटन किए जाने से सरकारी खजाने को 10.67 लाख करोड़ रुपये का 'चूना' लगा है। बताया जा रहा है कि यह 2 जी से 6 गुना बड़ा घोटाला है, जिसमें करीब 100 निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है। ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि 155 कोयला खदानों का आवंटन बिना नीलामी के किया गया।  2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में 1.76 लाख करोड़ रुपये का सरकारी खजाने का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा है। इस बीच, सीएजी ने पीएमओ को चिट्ठी लिखकर सफाई दी है। सीएजी के मुताबिक ‘कोयला मंत्रालय की रिपोर्ट पर मीडिया में आई खबर गुमराह करने वाली है। नुकसान का सही आकलन नहीं है क्‍योंकि रिपोर्ट अभी तैयार की जा रही है। ये फाइनल ड्राफ्ट से भी पहले का दस्‍तावेज है।’
हालांकि सीएजी की इस ड्राफ्ट रिपोर्ट ने राजनैतिक रूप ले लिया है। बीजेपी, लेफ्ट और समाजवादी पार्टी ने लोकसभा में गुरुवार को  कार्यवाही शुरू होते ही इस मुद्दे पर हंगामा कर दिया। इसके बाद सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा में भी इस मुद्दे पर हंगामा हुआ, जिसके बाद सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। बीजेपी और समाजवादी पार्टी ने आज प्रश्नकाल स्थगित कर इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की है। पार्टी ने मांग की है कि प्रधानमंत्री खुद संसद में इस मुद्दे पर सफाई दें।  गौरतलब है कि सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी खजाने को यह नुकसान 2004-09 के बीच हुआ। इस दौरान शिबू सोरेन कोयला मंत्री थे। हालांकि, कुछ समय के लिए यह मंत्रालय प्रधानमंत्री के पास भी था। बीजेपी ने इसी को आधार बनाकर प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगा है। पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने संसद में प्रश्नकाल स्थगित करने के लिए नोटिस देने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा है कि अब केंद्र सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह गया है। वहीं, लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी ने भी कहा कि हम लोगों ने कोयला खदानों की नीलामी करने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने उस पर अमल नहीं किया। समाजवादी पार्टी ने कहा है कि जो लोग भी घोटाले में शामिल हैं, वे खुद इस्तीफा दे दें। संसद में हंगामे के बाद कांग्रेस 'डैमेज कंट्रोल' करने में जुट गई है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सपा नेता रेवती रमण सिंह से बात की है। वर्तमान में कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल ने यह कहते हुए इस खबर पर टिप्पणी करने से मना कर दिया कि जब आधिकारिक तौर पर रिपोर्ट उनके सामने आएगी तो ही वे प्रतिक्रिया देंगे। जायसवाल ने कहा, 'मैं मीडिया में आ रही रिपोर्ट के आधार पर टिप्पणी नहीं कर सकता हूं। अगर हमें सीएजी रिपोर्ट मिलेगी तो हम उसका विश्लेषण कर कार्रवाई करेंगे। मैं सिर्फ यूपीए 2 में ही कोयला मंत्री रहा हूं और इस दौरान कोयला खदान का आवंटन किसी को भी नहीं किया गया है।' कांग्रेस के नेता राजीव शुक्ला ने कहा है कि कोई घोटाला नहीं हुआ है। उन्होंने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि ड्राफ्ट रिपोर्ट संसद में नहीं रखी जाती है। शुक्ला ने कहा है कि नीलामी होती तो बोझ जनता पर पड़ता। गौरतलब है कि वहीं, कांग्रेस के प्रवक्ता शकील अहमद ने यह कहते हुए सरकार का बचाव करने की कोशिश की है कि यह कोई घोटाला नहीं है, बल्कि इसमें सिर्फ घाटा हो सकता है। गौरतलब है कि सीएजी ने अभी इस मामले में ड्राफ्ट रिपोर्ट ही तैयार की है। सीएजी को इस बाबत अंतिम रिपोर्ट अभी तैयार करना बाकी है।

Wednesday, March 21, 2012

हे राम, अब गुजरात विधान सभा में डर्टी पिक्चर...

पहले कर्नाटक और अब गुजरात। सच चाहे जो भी लेकिन ऐसी घटनाओं से लोगों का अपने नेताओं पर से भरोसा उठना लाजमी है। क्या इस बार भी बीजेपी अपने विधायकों के खिलाफ  कड़ी कार्रवाई करेगी या फि र गुजरात का हाल भी कर्नाटक जैसा ही होगा जहां आरोपी तीन विधायकों में से दो क्लीन चिट दे दी गई। मामला अब तूल पकडऩे लगा है। विपक्षी दल कांग्रेस के हंगामे के बीच स्पीकर ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच की जिम्मेदारी विशेषाधिकार कमेटी को सौंपी गई है। आरोपी विधायक शंकर चौधरी के टैबलेट को भी एफएसएल जांच के लिए भेज दिया गया है। सदन में आज हंगामा कर रहे कांग्रेस के सभी विधायकों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है। मामले की शिकायत स्पीकर तक करने वाले पत्रकार का दावा है कि बीजेपी विधायकों ने अपने टैबलेट पर सबसे पहले विवेकानंद की तस्वीर देखी। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की श्आपत्तिजनकश् तस्वीर देखी। इसके बाद अश्लील वीडियो देखने लगे। स्थानीय पत्रकार जनकभाई पुरोहित का कहना है कि उन्होंने इसकी शिकायत स्पीकर से की लेकिन विधायक 20 मिनट तक अश्लील वीडियो देखते रहे।  भाजपा सांसद तरुण विजय ने कहा है कि इस मामले में सीएम नरेंद्र मोदी कार्रवाई करेंगे। वहीं पार्टी प्रवक्ता बलबीर पुंज ने कहा कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो कर्नाटक की तरह गुजरात में भी भाजपा विधायकों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
गुजरात प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है क्योंकि बीजेपी के विधायक ही ऐसा कर सकते हैं। कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाडिया ने कहा मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार की यही हकीकत है। पहले कर्नाटक में ऐसा हुआए अब गुजरात में भी ऐसा हुआ। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा विधायकों की इस करतूत से देश और गुजरात की गरिमा का हनन हुआ है। इस पूरे मामले की जांच इन हाउस कमेटी बनाकर होनी चाहिए। हालांकि बीजेपी विधायकों ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है। इन्होंने कांग्रेस पर बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। बीजेपी विधायकों ने कहा कि वो पोर्न वीडियो नहीं देख रहे थे। आरोपी विधायक शंकर चौधरी ने आज पत्रकारों से कहा मैं जिंदगी में कभी पॉर्न फिल्म नहीं देखी। चाहे तो आप मेरा मोबाइल फोन  चेक कर सकते हैं। मंगलवार को सदन के पहले सत्र की बैठक पूरी होने में करीब एक घंटे का वक्त था। तभी भाजपा विधायक शंकर चौधरी अपने टैबलेट के साथ सदन में आए और अपनी सीट पर जा बैठे। चौधरी के पास ही सहेरा के विधायक जेठाभाई भरवाड़ भी बैठे थे। जेठाभाई भरवाड़ टैबलेट पर सर्फिग कर अश्लील फिल्म देखने लगे। यह सब खेल देख रहे पत्रकारों ने स्पीकर तक बात पहुंचाई। बात जब स्पीकर तक पहुंची तो उन्होंने विधायक तक संदेश भेजकर मामला रफा-दफा करने की कोशिश की।

श्री श्री आपने यह क्या कह दिया

श्री श्री आपने यह क्या कह दिया. अब तक तो आप शांति का सन्देश दे रहे थे...अचानक शिक्षा के क्षेत्र में ताक-झाक करने की आपको कैसे सूझी. अब जब आपके बयान पर बवाल हो गया है तो आप करेक्शन मोड में आ गए है...लोगों की जीवन जीने का पाठ बढ़ाने वाले आध्‍यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर अपने ही बयान से विवादों में घिर गए हैं। ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्‍थापक रविशंकर ने जयपुर में एक समारोह में कहा था कि सरकारी स्‍कूलों में पढ़ने वाले बच्‍चे ही नक्‍सली और आपराधि बनते हैं। हालांकि अपने बयान पर बवाल बढ़ता देख श्री श्री ने अब सफाई दी है। श्री श्री ने कहा, 'मैंने यह नहीं कहा था कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले सभी बच्चे नक्सली बनते हैं। कई महान योग्य लोग सरकारी स्कूलों से पढ़ कर निकले हैं। मैंने खासतौर पर ऐसे बीमार सरकारी स्कूलों की ओर इशारा किया था जो नक्सल प्रभावित इलाकों में चल रहे हैं। नक्सलवाद का दामन थामने वाले कई लोग इन्हीं स्कूलों से पढ़े हैं।'  श्री श्री के बयान पर जयपुर में सरकारी स्‍कूलों में प्रदर्शन हो रहे हैं। इसे लेकर सियासत भी तेज हो गई है। केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्‍बल ने कहा है कि श्री श्री रविशंकर मानसिक संतुलन खो चुके हैं। सिब्‍बल ने कहा, ‘मैंने सरकारी स्‍कूल में पढ़ाई की है, मैं नक्‍सली नहीं हूं। श्री श्री का बयान सुनकर बेहद अफसोस हुआ। उनका कहना सही नहीं है।’ भाजपा ने भी श्री श्री के बयान की आलोचना की है। बीजेपी प्रवक्‍ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा, ‘गरीब बच्‍चे सरकारी स्‍कूल में ही पढ़ते हैं। सरकारी स्‍कूल देश की नींव हैं। इन स्‍कूलों के बारे में ऐसे बयान निंदनीय हैं।’   रविशंकर के इस बयान की कई हस्तियों ने भी आलोचना की है। शिक्षाविद् अनिल सद्गोपाल ने श्री श्री के बयान को निराधार बताया है। उन्‍होंने कहा है कि नक्‍सलवाद और हिंसा भेदभाव और गैरबराबरी के चलते फैलती है। हिंसा फैलाने और नक्‍सली बनाने का काम निजी स्‍कूल करते हैं जबकि सरकारी स्‍कूल समाज में बराबरी को बढ़ावा दते हैं। दुनिया के इतिहास में कोई उदाहरण नहीं है कि सरकारी स्‍कूलों में संस्‍कार पर जोर नहीं दिया जाता है। यह शिक्षा पर नव उदारवादी हमला है।

Tuesday, March 20, 2012

आंकड़ों की कलाबाजी: 22.42 रुपए से अधिक खर्च करने वाला गरीब नहीं

योजना आयोग ने गरीबों के प्रतिशत और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर एक राज्यवार सूची जारी की है। अगर इसके राष्ट्रीय औसत को लिया जाए तो ग्रामीण इलाकों में 672.8 रुपए मासिक और शहरी इलाकों में 859.6 रुपये मासिक से कम आय वाला व्यक्ति गरीब है। ये प्रति व्यक्ति आय के आंकड़े हैं। एक परिवार में औसतन पांच व्यक्ति माने गए हैं। इस आधार शहरों में 28.65 रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजाना 22.42 रुपए से अधिक खर्च करने वाला गरीब नहीं है।
गौरतलब है कि योजना आयोग ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट को दिए एक हलफनामे में कहा था, 'जून 2011 के मूल्य स्तर के लिहाज से शहरी क्षेत्रों में गरीबी रेखा को अनंतिम तौर पर 32 रुपए प्रतिदिन और ग्रामीण क्षेत्रों में 26 रुपए प्रतिदिन रखा जा सकता है।' योजना आयोग ने सोमवार को दावा किया कि पिछले पांच साल में देश की कुल आबादी में से 7.3 फीसदी गरीबों की गरीबी दूर हो गई है। 2004-05 में जहां देश में 40.72 करोड़ गरीब थे, वहीं 2009-10 में गरीबों की संख्या घटकर 34.47 करोड़ रह गई। यानी देश में कोई 6 करोड़ 30 लाख गरीबों की गरीबी दूर हो गई है।   2009-10 गरीबी आकलन से संबंधित योजना आयोग के आंकड़े कहते हैं कि गांवों में गरीबी, शहरों में गरीबी के मुकाबले ज्यादा तेजी से घटी है। ग्रामीण इलाकों में गरीबी 41.8 प्रतिशत से घटकर 33.85 प्रतिशत (८ प्रतिशत की कमी) रह गई है, जबकि शहरी इलाकों में गरीबों की संख्या 25.7 प्रतिशत से कम होकर 20.9 प्रतिशत (4.8 प्रतिशत की कमी) रह गई है। कुल मिलाकर देश में 2004-05 में आबादी का 37.2 प्रतिशत गरीब थे। 2009-10 में इनकी संख्या 29.8 फीसदी ही रह गई।  
ज्यादा गरीबी बिहार में   गरीबी प्रतिशत के मामले में बिहार (53.3 प्रतिशत) सबसे आगे। उसके बाद छत्तीसगढ़ (48.7 प्रतिशत), मणिपुर (47.1 प्रतिशत), झारखंड (39.1 प्रतिशत), असम (37.9 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (37.7 प्रतिशत)।
खेतिहर मजदूर ज्यादा गरीब 
खेतिहर श्रमिक सबसे ज्यादा ज्यादा गरीब। 50 प्रतिशत खेतिहर श्रमिक और 40 प्रतिशत अन्य श्रमिक गरीब शहरी इलाकों में सबसे अधिक 47.1 प्रतिशत अस्थायी श्रमिक गरीब। कृषि प्रधान संपन्न हरियाणा में 55.9 खेतिहर श्रमिक गरीब जबकि पंजाब में 35.6 प्रतिशत खेतिहर किसान गरीब।
यहां घटे सबसे ज्यादा गरीब 
10 फीसदी से ज्यादा की कमी वाले राज्य: हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तराखंड। 
पूर्वोत्तर में गरीबी बढ़ी: असम, मेघालय, मणिपुर,मिजोरम और नगालैंड में गरीबों की संख्या बढ़ी है। 
बड़े राज्यों में गिरावट दर कम: बड़े राज्यों में गरीबों की संख्या में अपेक्षाकृत कम गिरावट है। बिहार, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में गरीबी के प्रतिशत में मामूली गिरावट है, खासकर ग्रामीण इलाकों में। 
ग्रामीण इलाकों में सबसे कम गरीबी सिखों में, शहरी इलाकों में ईसाइयों में। 
मुसलमानों की दशा 
ग्रामीण इलाकों में मुसलमान सबसे ज्यादा गरीब। असम (53.6 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (44.4 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (34.4 प्रतिशत) और गुजरात (31.4 प्रतिशत)। शहरी इलाकों में रहने वाले सबसे अधिक 33.9 प्रतिशत मुसलमान गरीब।

Sunday, March 18, 2012

आजम ने फिर ली शपथ, चार को स्वतंत्र प्रभार

उत्तर प्रदेश में जो पहले कभी नहीं हुआ वह रविवार को हुआ। यानी, किसी मंत्री को अधूरी शपथ लेने के कारण दुबारा से शपथ दिलायी गयी। ये मंत्री रहे मोहम्मद आजम खां। उन्होंने 15 मार्च को अखिलेश सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में जो शपथ ली थी, उसे मुकम्मल नहीं माना गया। इसके अलावा चार राज्य मंत्रियों को प्रोन्नत कर स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री की भी शपथ दिलाई गयी। ये मंत्री रहे- राजेन्द्र सिंह राणा, अरविन्द सिंह गोप, भगवत शरण गंगवार और श्रीमती अरुणा कोरी।राजभवन के गांधी सभागार में आयोजित एक सादे समारोह में राज्यपाल बीएल जोशी ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में इन मंत्रियों को शपथ दिलाई। इस मौके पर मंत्रिमंडल के कई सदस्य, वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।गौरतलब है कि 15 मार्च को अखिलेश यादव ने 19 कैबिनेट और 28 राज्य मंत्रियों के साथ शपथ ली थी। तब कैबिनेट मंत्री बनाये गये आजम ने गोपनीयता की शपथ तो दो बार ले ली, जबकि उनसे पद की शपथ छूट गयी। उस समय जब इस ओर ध्यान दिलाया गया तो उन्होंने फिर गोपनीयता की ही शपथ ले ली।
शपथ ग्रहण के अगले ही दिन एक अधिवक्ता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल कर आजम की शपथ को अधूरा करार देते हुए उसकी वैधता को चुनौती दी थी। इसको देखते हुए आजम को आज दोबारा शपथ दिलाई गयी।
प्रदेश में चार राज्य मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार मिल जाने के बाद अब अखिलेश मंत्रिमंडल में 19 कैबिनेट मंत्री के साथ चार राज्यमंत्री [स्वतंत्र प्रभार] हो गये हैं जबकि राज्य मंत्रियों की संख्या 28 से घट कर 24 रह गयी है। बहरहाल मंत्रिमंडल की कुल संख्या अखिलेश यादव को मिला कर 48 पर ही कायम है।प्रमोद व मित्रसेन बने प्रोटेम स्पीकर लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बी एल जोशी ने 16वीं विधानसभा के लिए चुने गए विधायकों को सदन की सदस्यता की शपथ दिलाने की खातिर सदन के दो वरिष्ठतम सदस्यों प्रमोद तिवारी और मित्रसेन यादव को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है।तिवारी प्रतापगढ़ की रामपुर खास विधानसभा सीट से लगातार दसवीं बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। वर्ष 1974 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले यादव 16वीं विधानसभा के लिए फैजाबाद की बीकापुर सीट से निर्वाचित हुए हैं।

संप्रग सरकार के गले की फांस बनी ममता

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि समाजवादी पार्टी के केंद्र सरकार में शामिल होने पर फैसला आलाकमान को ही लेना है। दिग्विजय के मुताबिक आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी किसी से गठबंधन नहीं करेगी। दिग्विजय का यह बयान उस खबर के बाद आया है जिसमें तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र सरकार को समर्थन देने के मुद्दे पर दोबारा विचार करने के संकेत दिए थे। जानकारी के मुताबिक पार्टी की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार को समर्थन के मुद्दे पर पार्टी में दोबारा सलाह मशवरा कर सकती हैं। ममता बेनर्जी ने रेल मंत्री के मुद्दे पर भी सरकार को चौबीस घंटे का अल्टीमेटम दिया हुआ है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि यदि समाजवादी पार्टी केंद्र सरकार में शामिल होती है तो सरकार को कोई खतरा नहीं होगा। हालांकि इस बारे में सपा ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है।
सपा नेताओं के मुताबिक इस मुद्दे पर पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ही कोई फैसला लेंगे। गौर करने वाली बात यह है कि जहां तृणमूल कांग्रेस के सांसदों की संख्या महज उन्नीस है वहीं समाजवादी पार्टी के सांसदों की संख्या बीस है। इसमें हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बेनर्जी पिछले काफी समय केंद्र सरकार से खफा चल रही हैं। पहले एनसीटीसी के मुद्दे पर ममता और केंद्र के बीच मतभेद खुलकर सामने आए और अब रेल मंत्री के इस्तीफे को लेकर भी केंद्र सरकार और ममता बेनर्जी में खींचतान जारी है। वहीं पश्चिम बंगाल को मिलने वाले स्पेशल पैकेज के मुद्दे पर भी उसके और केंद्र सरकार के बीच मतभेद उभर कर सामने आए हैं।