Wednesday, January 30, 2013

विश्वरूपम पर बवाल क्यों


अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म विश्वरूपम पर तमिलनाडु में बैन से अभिनेता कमल हासन खासे दुखी और गुस्से में हैं। उनका कहना है कि उनके खिलाफ राजनीतिक खेल खेला जा रहा है। सवाल है कि आखिर जयललिता सरकार की उनसे क्या दुश्मनी है? क्या उनकी फिल्म को किसी साजिश का शिकार बनाया गया है? दरअसल इस फिल्म पर सबसे पहला विवाद जून 2012 को हुआ जब हिंदू मक्कल काची नाम के एक संगठन ने इस फिल्म का नाम बदलने की मांग की। उसका कहना था कि विश्वरूपम तमिल शब्द नहीं है। ये संस्कृत का शब्द है। कमल हासन पर तमिल विरोधी होने के आरोप लगाए गए। कमल हासन ने फिल्म का नाम नहीं बदला। अब फिल्म के रिलीज होने का वक्त आया तो कुछ मुस्लिम संगठनों ने ये कहकर इसका विरोध शुरू कर दिया कि ये फिल्म उनके समुदाय की भावनाएं आहत करने वाली है। तमिलनाडु में विरोध की ये कमान संभाली तमिलनाडु मुस्लिम मुनेत्र कड़गम ने। केरल में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ इंडिया ने भी कई सिनेमाहॉल के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया। विरोध को देखते हुए दक्षिण के कई राज्यों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया। कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन जारी रहा। श्रीलंका और मलेशिया ने भी फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी है। सवाल है कि बाकी राज्य उनकी फिल्म रिलीज करने के लिए तैयार हैं। सेंसर, केंद्र सरकार और कोर्ट को भी कोई दिक्कत नहीं है तो फिर आखिर जयललिता सरकार को क्या परेशानी है। सूत्रों की मानें तो कमल हासन और उनकी ये फिल्म कई गुत्थियों में उलझी हुई है। असल में कमल हासन अपनी फिल्म विश्वरूपम सिनेमाघरों के साथ-साथ डीटीएच पर भी रिलीज करने वाले थे। सूत्रों के मुताबिक डीटीएच के डिस्ट्रीब्यूशन राइट्स के लिए शुरू में उनकी बात तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की जया टीवी से हुई थी। लेकिन बात नहीं बनी और बाद में इसके राइट्स विजया टीवी को बेच दिए गए। सूत्रों का कहना है कि इसी बात से जयललिता काफी नाराज हैं। अब देखना है कि फिल्म से कुछ विवादित सीन हटा देने के उनके एलान के बाद जयललिता सरकार का क्या रवैया होगा।

Tuesday, January 29, 2013

उत्तरी कोरिया की हैवानियत


क्या भूख इंसान पर इस कदर हावी हो सकती है कि वह अपनी ही संतान की हत्या कर भोजन की तरह खा ले। ऐसी ही दिल दहला देने वाली घटना उत्तरी कोरिया से सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक एक शख्स अपने पोते की लाश को खा गया और वहीं दूसरे ने अपने बच्चे के मांस को उबालकर खाया। एशिया प्रेस की यह खबर संडे टाइम्स में प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरी कोरिया फिलहाल 'गुप्त अकाल' से जूझ रहा है। इस अकाल की वजह से 10 हजार लोग मारे जा चुके हैं। इसके बाद पूरे देश में यह आशंका गहरा गई है कि कहीं 'नरभक्षण' की घटना संक्रमण की तरह न फैल जाए। जापान के ओसाका की न्यूज एजेंसी एशिया प्रेस ने दावा किया है कि उसके नेटवर्क के हिस्सा वहां के सिटीजन जर्नलिस्ट ने यह खबर पहुंचाई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक अब तक वहां 10 हजार लोग मारे गए हैं। उत्तरी कोरिया ने इस रिपोर्ट को न तो खारिज किया है न ही पुष्टि की है। एशिया प्रेस को जिसने सूचना दी है उसके मुताबिक, 'मेरे गांव में एक शख्स ने अपने ही दो बच्चों को मार डाला। मारने की बाद उसने खाने की कोशिश की। उसकी पत्नी काम पर घर से बाहर थी। पहले उसने अपनी बड़ी बेटी की जान ली। घर में बेटा ने पिता को ऐसा करते देख लिया। इसके बाद पिता ने बेटे की भी हत्या कर दी। जब पत्नी घर आई तो उसने पति को भोजन पेश किया। पति ने कहा कि मैंने मांस खाया है। पत्नी को इस बात पर शक हुआ। कुछ ही देर में पति की करतूत सामने आ गई। इस घटना के बाद उत्तरी कोरिया पर आरोप लग रहे हैं कि वह मिसाइल परीक्षण में व्यस्त है और दूसरी तरफ उसकी जनता भूख से अपनी संतानों की हत्या कर खाने के लिए मजबूर है। गौरतलब है कि उत्तरी कोरिया परमाणु परीक्षण की लगातार कोशिश कर रहा है। अमेरिका ने कई तरह के प्रतिबंध भी लगा रखे हैं। वहीं पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया से भी हमेशा युद्ध की तरह तनाव बना रहता है। उत्तरी कोरिया की यह खबर वाकई  21 वीं सदी के विश्व समुदाय को हैरान करने वाली है। युद्ध की ललक व अणु शक्ति बनने की उसकी सनक ने उसकी यह दुर्गति की है।

Sunday, January 27, 2013

नंदी का बेतुका बयान



बुद्धिजीवी व समाजशास्त्री आशीष नंदी ने शनिवार को जयपुर में आयोजित साहित्योत्सव के एक सत्र में कहा  कि अधिकतर भ्रष्ट लोग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं। उनके इस बयान के बाद सामाजिक-राजनीतिक हलकों में मानों भूचाल आ गया। गणतंत्र दिवस होने के बावजूद कई सामाजिक व राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोगों ने न केवल नंदी के बयानों की कटु आलोचना की बल्कि उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर जयपुर के अलावा देश के अन्य शहरों में हंगामा भी शुरू कर दिया। बसपा प्रमुख मायावती जहां इस तरह के उनके बयान को अविलंब वापस लेने की मांग की वहीं कांग्रेस के पी एल पुनिया ने ऐसे बेतुके बयान की घोर निन्दा की। देश की मुख्य प्रतिपक्षी पार्टी भाजपा ने भी नंदी के बयान से असहमति व्यक्त की और कहा कि भ्रष्टाचार से किसी वर्ग विशेष को केवल जोड़ा नहीं जा सकता है। यह एक अपराध है जो कोई भी इस तरह का अपराध करता है,वह किसी जाति, वर्ग और सम्प्रदाय या समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने भी नंदी के बयान की आलोचना की और ऐसे वक्तव्य को अनावश्यक करार दिया। देशव्यापी निन्दा और विरोध के बीच नंदी को रविवार सुबह हिंदी इंग्लिश भाई-भाई विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करना था लेकिन अनुसूचित जाति,जनजाति राजस्थान मंच के विरोध प्रदर्शन के चलते उन्हें शहर छोड़कर जाना पड़ा। पांच दिवसीय जयपुर साहित्योत्सव सोमवार तक चलेगा। इस बीच पुलिस ने जयपुर साहित्योत्सव में दिए लेखक व समाजशास्त्री आशीष नंदी के विवादास्पद बयान का वीडियो मांगा है। वैसे नंदी के खिलाफ जयपुर के एक थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है। संभव है कि उनके इस विवादास्पद बयान के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई हो। मगर एक बात समझ से परे है कि आखिर नंदी जैसे लेखक व समाजशास्त्री ने इस तरह का बेतुका बयान आखिर किसी शोध व निष्कर्ष के आधार पर दिया। समाज के किसी भी वर्ग को आरोपित करने की यह प्रवृति घातक है।

Thursday, January 24, 2013

गडकरी का अलग रंग


भाजपा अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद नितिन गडकरी अब अलग ही रंग में हैं। उन्होंने उनके खिलाफ जांच कर रहे आयकर अधिकारियों को खुली धमकी दी है। साथ ही उन्होंने मीडियाकर्मियों व कांग्रेसी नेताओं को भी धमकाया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि सबका रेकॉर्ड उनके पास है। उन्होंने कहा कि उनके पास अधिकारियों के नाम हैं और भाजपा सरकार आने पर वह उन्हें देख लेंगे। गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष पद के चुनाव से ठीक पहले आयकर ने उनकी कंपनी पूर्ति ग्रुप के खिलाफ जांच शुरू कर दी थी। गडकरी का यह अलग ही रूप पुणे में देखने को मिला। एक रैली में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कांग्रेस के इशारे पर उनके खिलाफ साजिश रची। अभी भी कोशिश कर रहे हैं। कभी नागपुर, कभी पुणे तो कभी दिल्ली में बैठकर उन्हें परेशान किया जा रहा है। मेरे पास अधिकारियों के नाम हैं। आधे अधिकारी उनके भी साथ हैं, जो उन्हें बताते रहे हैं। उन्हें याद रखना चाहिए कि कांग्रेस डूबती नैया है। उसकी सरकार तो जानी ही जानी है। कल हमारी सरकार आएगी, तो तुम्हें बचाने के लिए कोई सोनिया और कोई चिदंबरम नहीं आएंगे। गडकरी यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि वह मर्द आदमी हैं। वह अब दिल्ली के तमाम कांग्रेस नेताओं के करप्शन को उजागर करेंगे। गडकरी ने कहा कि अब तक वह भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष थे। वह मर्यादा का पालन करते थे। लेकिन अब वह खुदा हो गए हैं। अब कांग्रेस वाले जो कुछ करना चाहते हैं, करके दिखाएं। यही नहीं गडकरी ने मीडिया को भी धमकी दी। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कुछ ने झूठी खबरें चलाईं। ईमानदर नेताओं का जीवन बर्बाद करने का अधिकार किसी को नहीं है। गडकरी ने कहा कि उन्होंने सबका रेकॉर्ड तैयार कर रखा है। राजनीति के जरिए सत्ता व सत्ता में आने के बाद अहंकार की बात तो समझ में आती है मगर सत्ता में आने के पहले इस तरह की बातें कहीं न कहीं मानसिक दिवालियापन को उजागर करती हैं। अगर यह कहा जाए कि भाजपा के निवर्तमान अध्यक्ष अपना संतुलन खो बैठे हैं तो गलत नहीं होगा।

Sunday, January 20, 2013

राहुल की चुनौतियां


युवाओं के बीच खासी पैठ रखने का दावा करने वाले राहुल गांधी के सामने बतौर उपाध्यक्ष कई चुनौतियां हैं। पार्टी का एक बड़ा तबका उन्हें अगले आम चुनावों के बाद प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहता है। 42 साल के राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी जिम्मेदारियों में से एक उनके युवा प्रशंसकों को वोट में बदलने की है। पिछले साल हुए यूपी विधानसभा के चुनावों में राहुल गांधी ने पार्टी के लिए जमकर पसीना बहाया, लेकिन मतदाताओं ने उन्हें उम्मीद से कम वोट दिए। इसके अलावा हाल ही में गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान भी वोटरों पर उनका जादू उतना नहीं चला, जितने की उम्मीद की गई थी। कई अहम राष्ट्रीय मुद्दों पर उनकी चुप्पी भी विपक्ष को उन पर हमला बोलने का मौका देती है। इन सब के अलावा संगठनों को मजबूत करने और कार्यकतार्ओं में नया जोश भरने की जिम्मेदारी भी उन पर होगी। वैसे राहुल गांधी का मानना है कि वह निराशावादी नहीं बल्कि आशावादी हैं। भविष्य की तस्वीर खींचते हुए राहुल ने कहा कि कैश सब्सिडी योजना से भ्रष्टाचार खत्म होगा। सत्ता तभी असरदार होगी जब को निचले तबके तक पहुंच पाएगी। राहुल ने कहा कि युवाओं को रोजगार दिलाने के उपाय खोजने होंगे। पार्टी के बारे में उन्होंने कहा कि कांग्रेस हिंदुस्तान का सबसे बड़ा परिवार है। राहुल ने कहा कि वह सबको साथ लेकर चलने में यकीन रखते हैं और अगर देश में बदलाव लाना है तो सबको साथ मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि यही बात पार्टी पर भी लागू होती है। हमें कार्यकतार्ओं और नेताओं को बराबर तवज्जो देना होगा। राहुल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में हिंदुस्तान का डीएनए है। विपक्ष के लोग ये बात नहीं जानते हैं। राहुल ने कहा कि कांग्रेस के लिए हर भारतीय एक बराबर है। पार्टी धर्म और जाति का भेद नहीं करती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भविष्य के लिए नेता तैयार करना होगा। टिकट बंटवारे पर बोलते हुए राहुल ने कहा कि कांग्रेस की छवि इस मामले में काफी दयनीय है। राहुल अपनी कमजोरियों से भी वाकिफ हैं। ऐसे में आने वालों दिनों की चुनौतियों से वह अनजान  हैं, ऐसा नहीं कहा जा सकता है।

Saturday, January 19, 2013

दिल्ली में महफूज नहीं महिलाएं, 23 फीसद बढ़े रेप के मामले

राष्ट्रीय राजधानी में महिलाएं अब भी महफूज नहीं हैं। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ आपराधिक मामलों में कोई कमी नहीं आई है। 2012 में यहां आपराधिक मामलों में 1.75 फीसद वृद्धि हुई है, वहीं रेप के मामलों में 23.43 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि छीना-झपटी और वाहन चोरी जैसे सड़क पर होने वाले अपराधों में कमी आई है। वर्ष 2011 की तुलना में पिछले साल जघन्य अपराधों में वृद्धि हुई है।आपराधिक मामलों की संख्या 2011 के 53,353 की तुलना में पिछले साल बढ़कर 54,287 हो गई। 2010 में इनकी संख्या 51,292 थी। वाषिर्क रिपोर्ट में दिल्ली के पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने कहा कि 2012 वैसे हमारे लिए संतोषजनक अंत लेकर आ रहा था, लेकिन 16 दिसंबर को हुई रेप की घटना ने इसे दुखद बना दिया। इससे देश स्तब्ध हो गया और लोगों ने सड़कों पर उतरकर अपना गुस्सा दिखाया, जो ज्यादातर पुलिस के खिलाफ था। लोगों द्वारा हमें निशाने पर लेना असामान्य नहीं है, क्योंकि हम सरकार के अंग हैं। लेकिन यह गुस्सा केवल हमारे खिलाफ नहीं था बल्कि शायद आपराधिक न्यायिक व्यवस्था के खिलाफ भी था। वार्षिक रिपोर्ट में हत्या के मामलों में कमी आई है। पुलिस के समक्ष दर्ज कराए गए मामलों के अनुसार जहां 2010 में हत्या के मामलों की संख्या 565 और 2011 में 543 थी वहीं पिछले साल यह घटकर 521 हो गई। हत्या की संख्याओं में 4.05 प्रतिशत की कमी आई। वाहन चोरी के मामलों में भी लगातार दूसरे साल कमी आई। जहां 2011 में इन मामलों की संख्या 14,668 थी वहीं 2012 में इनकी संख्या 14,391 रही। हालांकि राजधानी में महिलाओं के साथ रेप व छेड़छाड़ की घटनाओं में क्रमश: 23.43 और 10.65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। 2011 के 572 रेप मामलों की तुलना में 2012 में इन मामलों की संख्या बढ़कर 706 हो गई। छेड़छाड़ के मामलों की संख्या 657 से बढ़कर 727 हो गई। 2012 के आखिरी 15 दिनों में अकेले छेड़छाड़ के 75 मामले सामने आए। पिछले साल पूर्व के सालों की तुलना में डकैती, वसूली के लिए अपहरण, चोट और घरों में चोरी के मामलों में कमी आई। कुमार के मुताबिक जघन्य अपराधों के 2,402 मामलों को सुलझाने में सफलता की दर 89.47 फीसद रही।

Friday, January 18, 2013

चिंतन नहीं 'चिंता शिविर'



अपनी दशा और दिशा सुधारने के लिए गुलाबी नगरी जयपुर में कांग्रेस का दो दिवसीय चिंतन शिविर शुरू हो गया है। शिविर की शुरूआत कांग्रस अध्यक्षा सोनिया गांधी की भाषण के साथ हुआ। अपने भाषण में सोनिया ने गठबंधन और पार्टी के साथ-साथ महिलाओं की स्थिति पर भी चिंता जाहिर की। अंग्रेजी में लिखे अपने भाषण को पढ़ते हुए सोनिया गांधी ने अपने नेताओं और कार्यकत्ताओं से चिंतन करने को कहा है। सभा को संबोधित करते हुए सोनिया ने कहा कि ये वक्त है जब हम सभी को एकसाथ मिलकर चिंतन करने की जरुरत है। हमें अपनी पार्टी और गठवबंधन के लिए मिलकर काम करने की जरुरत है। सोनिया गांधी ने कार्यकत्ताओ को संबोधित करते हुए कहा कि इन 9 सालों में हमने काफी विकास किया है और जनता ने हमारे विकास को देखा भी है। उन्होंने ये भी, कहा कि देश का एक बड़ा तबका अब भी पिछड़ा हुआ है। मनरेगा जैसी योजनाओं ने ग्रामीण भारत में रोजगार के अवसर बढ़ाए। किसानों के मुद्दे पर सोनिया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा से किसानों के विकास पर ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इकलौती ऐसी पार्टी है जो देश के आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को एक ही सिक्के के दो पहलुओं के तौर पर देखती है। कांग्रेस अध्यक्षा ने अपने संबोधन में साफ तौर पर कहा कि देश की अहम पार्टी होने के बावजूद हमें मानना होगा कि हमारी पारंपरिक वोट बैंकिंग में सेंध लगी है। उन्होंने नेताओं से कहा कि वे मध्यमवर्गीय लोगों का पार्टी से मोह भंग ना होने दे। क्षेत्रिय पार्टियों की वजह से उन्हें कुछ राज्यों में सत्ता से बाहर होना पड़ा है। उन्होने कार्यकत्ताओं का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि सत्ता में रहना जरुरी नहीं लेकिन सत्ता से बाहर रहने पर मनोबल गिरता है। कांग्रेस शासित राज्यों में तालमेल के मुद्दे पर सोनिया ने कहा कि राज्य सरकार और पार्टी के बीच तालमेल बिठाए रखना कठिन होता है लेकिन पार्टी और गठबंधन के लिए दोनों को साथ लेकर चलना होता है । कांग्रेस अध्यक्षा ने साफ और सीधे स्वर में कहा कि किसी भी कीमत पर गठबंधन के आदर्शों से समझौता नहीं किया जाएगा। सरकार की विदेश नीतियों पर सोनिया ने कहा कि सरकार की विदेश नीतियों का मकसद विश्व में एक खास जगह पाना हैं। महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सोनिया गांधी ने कहा कि महिलाओं के ऊपर होने वाले अत्याचार सरकार के लिए शर्म की बात है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि आम जनता रोजाना के जीवन में भ्रष्टाचारों से जूझती है,उससे वह तंग आ चुकी है। हाल के दिनों में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ चल रहे तनावपूर्ण स्थिती पर बोलते हुए पार्टी आलाकमान ने कहा कि अपने देश में क्षेत्रीय शांति बनाए रखने के लिए पड़ोसियों से अच्छे संबंध होने जरुरी है जिसके लिए हमें अपने पड़ोसियों से सभ्य व्यवहार के साथ बातचीत करनी होगी। गौरतलब है कि कांग्रेस ये चिंतन शिविर अगले दो दिनों तक चलने वाली है जिसमें पार्टी के आला नेता से लेकर 350 कांग्रेसी कार्यकत्ता जमा हुए है।


Saturday, January 12, 2013

पाक की दोहरी चाल


भारत के साथ टकराव के दौर में पाकिस्तान के लिए दो चीजें कभी नहीं बदलतीं। पहला है चीन की शरण में जाना और दूसरा संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता की मांग करना। यह रुख उसके राजनैतिक और कूटनीतिक असुरक्षा बोध को प्रकट करता है, जो पांच छोटे-बड़े युद्धों, भारत के विरुद्ध आतंकवाद का सहारा लेने की सरकारी नीति और आपसी विवादों को बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की पृष्ठभूमि के बावजूद बरकरार है। विश्व कूटनीति पर नजर रखने वालों के लिए यह एक दिलचस्प समय है, क्योंकि इस समय पाकिस्तान रोटेशन के आधार पर एक महीने के लिए सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है। यह कोई संयोग नहीं होगा कि पिछली एक जनवरी को उसने यह पद संभाला और अगले कुछ ही दिनों में कश्मीर में टकराव के हालात बन गए। अध्यक्ष होने के नाते सुरक्षा परिषद का एजेंडा तैयार करने में पाकिस्तान की स्वाभाविक भूमिका है। वह इस अनुकूल स्थिति का प्रयोग अपने कूटनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए करना चाहेगा। खासकर तब जब वहां कश्मीर से जुड़े मामलों में फौज की बात ज्यादा वजन रखती है। सीमा पर टकराव बढ़ना पाकिस्तान को मौका देगा कि वह किसी न किसी बहाने से सुरक्षा परिषद की चर्चाओं में कश्मीर का मुद्दा शामिल करवा सके। हालांकि अतीत में उसे जब भी ऐसी कोशिशों में कामयाबी मिली, अंतिम नतीजा सिफर ही रहा। न जाने क्यों पाकिस्तानी सरकारों को लगता रहा है कि संयुक्त राष्ट्र, इस्लामी सम्मेलन संगठन, अमेरिका, ब्रिटेन या कोई और बाहरी ताकत भारत पर दबाव डालकर उसे कश्मीर मसले पर अपना रुख बदलने के लिए मजबूर कर सकती है। लेकिन जो भारत वैश्विक प्रतिबंधों और निंदा की स्पष्ट आशंका के बावजूद राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में परमाणु परीक्षण कर सकता है और संयुक्त राष्ट्र के अप्रासंगिक हो चुके प्रस्तावों पर अमल से इंकार कर सकता है, वह ऐसे किसी भी दबाव में कैसे आ जाएगा? ऐसी कोशिशें उसके लिए थोड़ी बहुत असुविधा अवश्य पैदा कर सकती हैं लेकिन वह आर्थिक-राजनैतिक और सैनिक दृष्टि से मजबूत होता चला जाएगा। इसकी पहल होनी चाहिए।

Friday, January 11, 2013

पाक आदत से लाचार



अपनी आदत से लाचार पाकिस्तान ने शुक्रवार को नियंत्रण रेखा पार से एक बार फिर संघर्षविराम का उल्लंघन करते हुए फायरिंग की। जवाब में भारत की ओर से भी सैनिकों ने फायरिंग की। इससे पहले गुरुवार को भी पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर के पुंछ और कृष्णाघाटी सेक्टर में भारतीय चौकियों पर गोलीबारी की थी। साथ ही पाकिस्तान ने पुंछ सीमा में चकना-दा-बाग से नियंत्रण रेखा पर व्यापार के लिए अपने दरवाजे बंद कर लिए। जबकि, कश्मीर में उड़ी-सलामाबाद मार्ग पर अमन कमान सेतु से सामानों का आदान-प्रदान जारी रहा। इससे दो दिनों पहले ही पाक सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ कर दो भारतीय सैनिकों की हत्या कर दी थी और और उनके शवों को क्षत विक्षत कर दिया था। इस बीच, पाकिस्तान ने सीमा पर व्यापार बंद कर दिया है। इसके तहत भारत के 35 ट्रक वहां रुके पड़े हैं। उधर, पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि भारतीय सेना ने उकसावे वाली कार्रवाई की और भारतीय सैनिकों की फायरिंग से उसके एक सैनिक की मौत हो गई। हालांकि भारतीय सैन्य मुख्यालय ने पाक के इन आरोपों का खंडन किया है। बताया गया है कि पाकिस्तानी सेना ने पुंछ के बट्टाल इलाके में लगभग 4:30 बजे गोलीबारी शुरू की। भारतीय सेना ने इसका करारा जवाब दिया है। इसके साथ ही पाकिस्तान ने पुंछ सीमा में चकना-दा-बाग से नियंत्रण रेखा पर व्यापार के लिए अपने दरवाजे बंद कर लिए। जबकि, कश्मीर में उड़ी-सलामाबाद मार्ग पर अमन कमान सेतु से सामानों का आदान-प्रदान जारी रहा। पुंछ सीमा पर भारतीय जवानों की बर्बर हत्या के दो दिन बाद गुरुवार सुबह जम्मू के व्यापारियों ने टमाटर व अन्य सामान से लदे 25 ट्रकों को गुलाम कश्मीर के व्यापारियों के लिए रवाना किया। जैसे ही ट्रक चकना-दा-बाग ट्रेड सेंटर से पाकिस्तान सीमा की ओर बढ़े तो वहां की सेना ने गेट ही नहीं खोला। काफी इंतजार करने के बाद ट्रक चालक पुंछ लौट आए। दरअसल गलती करके गाल बजाना पाकिस्तान की पुरानी आदत है।

Thursday, January 10, 2013

नक्सलियों की क्रूर कार्रवाई




नक्सलियों का एक बार फिर क्रूर चेहरा सामने आया है। दरअसल माओवाद के इतिहास में ये अपनी तरह की पहली घटना है जब माओवादियों ने मारे गए जवानों के पेट को चीर कर उसमे बम लगाए हों।जबकि हाल ही में माओवादियों ने घोषणा की थी कि वह क्रूर तरीकों को अलविदा कह रहे हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जवान के पेट में जो विस्फोटक लगाया गया था वो दरअसल प्रेशर बम थे जो हल्के से दबाव से फट जाता। झारखंड पुलिस के मुताबिक लातेहार में माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद जिन पांच जवानों के शव बरामद किये गए उनमें से तीन के शवों में माओवादियों नें विस्फोटक लगा दिए थे जबकि एक जवान के शव को हटाने के क्रम में हुए विस्फोट की वजह से चार ग्रामीण सहित पांच लोगों की मौत हो गई है। वहीं पोस्टमार्टम के लिए रांची के सरकारी अस्पताल ले जाए शवों से भी डॉक्टरों ने विस्फोटक बरामद किया है। झारखंड के पुलिस महानिदेशक गौरी शंकर रथ का कहना है कि जब जवानों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल लाया गया तो उनके पेट पर टांके नजर आ रहे थे। डाक्टरों को शक हुआ तो उन्होंने शव का एक्स-रे करवाया। एक्स-रे में नजर आया कि शवों के पेट में कोई चीज मौजूद है जिसमे तार जुड़े हुए हैं। अस्पताल में अफरा तफरी मच गई और फिर बम निरोधक दस्ते को बुलवाया गया। पुलिस का कहना है कि ये प्रेशर बम था जो माओवादियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान के पेट को चीर कर उसमे रख दिया था। मालूम हो कि सोमवार की रात सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच लातेहार के कटिया के जंगलों में जमकर मुठभेड़ हुई थी जिसमें कई जवान मारे गए थे। घटना के बाद सात जवानों के शवों को बरामद किया गया लेकिन पांच को लापता बताया गया था। बुधवार को पुलिस को सूचना मिली कि उन पांचों जवानों के शव जंगल में पड़े हैं। इन्हीं शवों में नक्सलियों ने बम प्लांट कर यह जता दिया कि क्रूरता की हदें पार करने से उन्हें परहेज नहीं है।

Wednesday, January 9, 2013

पाक की नापाक हरकत


भारतीय सीमा में घुसकर दो जवानों को मारने और एक जवान के शव का सिर काट कर ले जाने की पाकिस्तानी सैनिकों की बर्बर कार्रवाई पर देशभर में गुस्सा है। सरकार और सभी पार्टियों ने एक सुर में कहा है पाकिस्तान हमारे सब्र का इम्तिहान न ले। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि पाकिस्तान से इस घटना पर कड़ा विरोध जताया गया है। उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान से इस मामले की जांच कर जवाब देने को कहा है। भारत ने बुधवार दोपहर दिल्ली में पाकिस्तान के हाई कमिश्नर सलमान बशीर को तलब किया और इस घटना पर लिखित में विरोध जताया। पाकिस्तान की इस हरकत से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी अवगत करा दिया गया है। दूसरी तरफ रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने इसे बेहद उकसावे वाली घटना बताया है।  पाक की नापाक हरकत से दोनों देशों के बीच अमन की आशा को जोर का झटका लगा है। दोस्ती की क्रिकेट सीरीज खत्म होने के 48 घंटे के अंदर पाकिस्तानी सेना ने मंगलवार को नियंत्रण रेखा और बर्बरता की हद लांघते हुए कश्मीर के मेंढर में दो भारतीय जवानों को मार दिया और एक का सिर काट कर ले गए। इस घटना पर सियासी दलों ने भी तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। भाजपा ने इसे भारत के लिए चेतावनी बताता, तो कांग्रेस ने पाकिस्तान को चेताते हुए कहा कि वह भारत के सब्र का इम्तिहान न ले। दरिंदगी दिखाने के बाद पाक बकवास कर रहा है।   पाकिस्तान ने अपने सैनिकों की इस घटना पर शर्मिंदा होने के बजाय उल्टा भारत पर ही दोष मढ़ रहा है। पाक सेना ने इस घटना पर कहा कि यह भारतीय सेना का प्रॉपेगैंडा है। कराची से छपने वाले अखबार 'द न्यूज' ने पाकिस्तानी आर्मी के चीफ जनरल अशफाक परवेज कयानी के हवाले से छापा है कि पाकिस्तान किसी भी धमकी का सामना करने के लिए तैयार है। वहीं भारत ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रया जताते हुए सुबह पाक हाई कमिश्नर सलमान बशीर को समन भेजा। आर्मी चीफ बिक्रम सिंह मामले की समीक्षा कर रहे हैं वहीं रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी रिपोर्ट तलब की है।

Tuesday, January 8, 2013

यह कौन है अकबरुद्दीन ओवैसी?

भड़काऊ भाषण देने के मामले में देश के खिलाफ जंग के मुकदमे का सामना कर रहे एमआईएम के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मेडिकल जांच के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई। यहां सवाल उठता है कि यह कौन है अकबरुद्दीन ओवैसी?जो विषवमन करके आराम से विदेश चला जाता है और वहां से आने के बाद पुलिसिया कार्रवाई का सामना करने के बजाय तरह-तरह का बहाना बनाता है। जानकारों की माने तो आंध्र प्रदेश के हैदराबाद ओल्ड सिटी में करीब 40 सालों से भी ज्यादा वक्त से ओवैसी परिवार का राजनीतिक दबदबा बना हुआ है। सुल्तान सलाउद्दीन ओवैसी द्वारा शुरू की गई मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी ने हैदराबाद ओल्ड सिटी को अपना गढ़ बना लिया है। सलाउद्दीन ओवैसी की राजनीतिक विरासत को उनके दो बेटे असदउद्दीन और अकबरूद्दीन ओवैसी बखूबी संभाल रहे हैं। दोनों भाई अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए मुसलमानों का मसीहा बनने की कोशिश करते दिखते हैं। असदउद्दीन ओवैसी सांसद हैं और अकबरूद्दीन ओवैसी विधायक हैं। अकबरूद्दीन को ओल्ट सिटी का बाहुबली माना जाता है। वह पहली बार तब सुर्खियों में आया था जब उसने प्रख्यात लेखिका तस्लीमा नसरीन को जान से मारने की बात कही थी। यूं तो अकबरूद्दीन ने लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई की है। वह और उनके भाई वैसे तो हैदराबाद के पॉश बंजारा हिल्स इलाके में रहते हैं लेकिन उनकी राजनीति की जड़ें ओल्ड सिटी में हैं जहां की 40 फीसदी आबादी मुसलमानों की है। वक्फ बोर्ड और मुस्लिम शिक्षा संस्थानों में इनकी मजबूत पकड़ है। अकबरूद्दीन ओवैसी के पिता सलाउद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद ओल्ड सिटी में पत्तार्गुत्टी से चुनाव लड़ा था और बाद से हमेशा ओल्ड सीटी से चुनाव लड़ते और जीतते आए हैं। हैदराबाद के पुराने शहर से एमआईएम हमेशा कम से कम सात मुस्लिम विधयाकों को विधानसभा भेजती रही है, लेकिन सांसद सिर्फ ओवैसी परिवार के होते हैं। हालांकि, एमआईएम को 1936 में नवाब नवाज किलेदार ने शुरू किया था जब हैदराबाद एक स्वतंत्र राज्य था और वहां नावाबों का शासन था।उस वक़्त मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन केवल एक सांकृतिक अंग था, लेकिन बाद में यह मुस्लिम लीग के साथ जुड़ने के बाद पूरी तरह से एक राजनितिक संगठन में बदल गया और उसके बाद राजनीतिक पार्टी में। मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन उस वक़्त अलग मुस्लिम राज्य के लिए मुस्लिम लीग के साथ रहा और आज भी अक्सर अकबरुद्दीन जैसे नेताओं के भाषण में पाकिस्तान का नाम जरूर होता है और आदिलाबाद में दिए गए उनके भाषण में उन्होंने कसाब को बच्चा कहा है। एमआईएम पार्टी का हैदराबाद के रजाकारों (स्वयंसेवकों) से गहरा रिश्ता रहा है और रजाकार हमेशा हैदराबाद रियासत को भारत में शामिल करने के खिलाफ थे और यही वजह है 1948 से 1957 तक एमआईएम को बैन किया गया था। जानकारों के मुताबिक ओवैसी परिवार कई बार अपनी पहचान अपने इतिहास के साथ जोड़ते हैं और यही वजह है कि आदिलाबाद में अकबरुद्दीन ने इस तरह का भाषण दिया।

Monday, January 7, 2013

मोहन भागवत की तुलना अकबरुद्दीन ओवैसी से

मोहन भागवत की तुलना एमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी से किए जाने पर भाजपा ने सोमवार को कड़ी आपत्ति जताई और मांग की कि जदयू संयम का परिचय दे। जदयू महासचिव एवं प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने सोमवार को कहा कि भागवत और ओवैसी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उनसे भागवत की इस कथित टिप्पणी के बारे में पूछा गया था कि महिलाएं घर की देखभाल करने के लिए अपने पति के साथ बंधन में बंधी हैं। तिवारी ने कहा कि यह आदिमानव वाली मानसिकता है। वे (संघ) प्राचीन काल को पुनर्जीवित कर रहे हैं। उनके (भागवत के) संगठन का दर्शन यह है कि ऊंची जाति के लोगों के साथ बैठने के लिए निचली जाति के लोगों को दंडित किया जाना चाहिए और यदि वह संस्कृत सुनता है तो उसके कानों में पिघला सीसा डाल देना चाहिए। तिवारी की इस टिप्पणी की भाजपा और संघ ने आलोचना की। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने तिवारी के बयान पर गहरा अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि हम ऐसी निराधार, प्रमाणरहित और अभद्र टिप्पणी की निंदा करते हैं। ओवैसी की तुलना भागवत से करने संबंधी तिवारी की टिप्पणी निंदनीय है। उन्होंने कहा कि संघ ने आदिवासियों, दलितों और महिलाओं के उन्नयन के लिए काफी सराहनीय काम किया है। जदयू को तिवारी से संयम बरतने को कहना चाहिए।
भाजपा का हिन्दुत्ववादी चेहरा उमा भारती ने भी तिवारी की आलोचना करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति ने दिमाग खो दिया हो, वही संघ प्रमुख की तुलना ओवैसी से कर सकता है। मुझे ऐसे लोगों पर दया आती है। संघ नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि भागवत देशभक्त हैं, जबकि ओवैसी विश्वासघाती। ओवैसी ने आतंकवाद और हिंसा को जायज ठहराया है। जो लोग इस तरह की टिप्पणियां करते हैं उनका दिमागी इलाज बहुत जरूरी है। प्रसाद ने कहा कि भाजपा और जदयू के संबंध 16 साल से भी अधिक लंबे हैं। हमने कई चुनाव मिलकर लड़े और हमारी बिहार में सरकार है। यही समय है कि तिवारी भाजपा और जदयू के लंबे संबंधों को समझें। भाजपा की नाराजगी इस वजह से भी है कि तिवारी ने इस प्रकरण में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को घसीटने की कोशिश की। तिवारी ने कहा कि हम मोदी से भी पूछना चाहेंगे क्योंकि वे भी संघ से निकले हैं। मोदी बताएं कि क्या वे महिलाओं, दलितों, निचले तबके के लोगों और अल्पसंख्यकों के बारे में भागवत के विचारों का समर्थन करते हैं या नहीं।

झारखंड में सियासी ड्रामा



झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्य में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। सोमवार को महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्य की भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा की। झामुमो के इस फैसले से राज्य की भाजपा सरकार अल्पमत में आ गई है। राज्य में भाजपा और जेएमएम के बीच मुख्यमंत्री बदलने की बात को लेकर विवाद चल रहा था। मालूम हो कि सोमवार शाम झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन से उनके आवास पर पहुंच कर मुलाकात की। बताया जाता है कि यह मुलाकात भाजपा-झामुमो-आज्सू-जदयू गठबंधन की सरकार को बचाने की दिशा में एक कदम था। सोमवार की दोपहर राज्य के मानव संसाधन विकास मंत्री वैद्यनाथ राम के साथ अर्जुन मुंडा झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। वहां पर उनकी शिबू सोरेन और उनके बेटे तथा उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ बंद कमरे में लगभग 40 मिनट तक बातचीत हुई। मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने इसके बार में कुछ नहीं कहा। मुंडा मीडिया से बिना कोई बातचीत किये सीधे अपने आवास के लिए निकल गये। बताया जा रहा है कि मुंडा राज्य में भाजपा सरकार से समर्थन वापसी के मुद्दे को शांत करने के उद्देश्य से सोरेन के निवास पर गए थे। जानकार यह भी कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री का मकसद शिबू सोरेन को समर्थन वापस न लेने के लिए मनाना भी था।  उल्लेखनीय है कि झामुमो नेता एवं उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 25 दिसंबर को यह मांगपत्र दिया था जिसमें 28-28 महीने के लिए मुख्यमंत्री का पद दोनों दलों के पास रहने के मुद्दे पर उनसे रूख स्पष्ट करने की भी मांग की गयी थी। इस संकट के बाद दिल्ली से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और झारखंड प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान और पटना से भाजपा के प्रदेश प्रभारी हरेंद्र प्रताप भी रांची पहुंच रहे हैं। माना जा रहा है कि ये दोनों भी शिबू सोरेन से मुलाकात करेंगे, जिसके बाद ही राज्य में गठबंधन सरकार के भविष्य बारे में अंतिम खुलासा हो पाएगा।

Sunday, January 6, 2013

पागल का प्रलाप



महाराष्ट नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के बिहारियों के प्रति विवादास्पद बयान दरअसल किसी पागल का प्रलाप ही है। वैसे इस तरह के बयान देने के पीछे एक मात्र मकसद सस्ती लोकप्रियता हासिल करना ही होता है। मगर इस तरह के बेहुदा और बेतुका बयानों से देश के संघीय ढांचे व लोकतंत्र का कितना नुकसान होता है, इसपर भी गौर करने की जरूरत है। वैसे नेताओं ने इस पागलपन भरे बयान की तीखी आलोचना की है। राज ठाकरे ने कहा कि 'सभी बलात्कार-बलात्कार चिल्ला रहे हैं लेकिन सभी बलात्कारी बिहार के हैं ये कोई नहीं कह रहा है।'कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा है कि ये बयान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान से देश और लोकतंत्र कमजोर होता है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेता लालू यादव ने राज ठाकरे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इस तरह की कटुतापूर्ण बात नहीं की जानी चाहिए। जदयू के सांसद अली अनवर ने कहा, इनको आदत है, इस तरह की बात बोलने की, इस तरह से लोगों को लांछित करने की यह कोई तरीका नहीं है। यह एक राज्य और एक इलाके की बात नहीं है। बिहार के भाजपा नेता और राज्य काबीना के मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा,अगर इस तरह का बयान राज ठाकरे ने दिया है तो वह अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। नफरत फैलाकर कोई राजनीति की सीढ़ी चढ़ना चाहता है तो यह स्थाई नहीं हो सकता है। ऐसे लोगों पर राजद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए। इससे पहले भी महाराष्ट्र में बिहारियों को 'घुसपैठिया' करार देने वाले मुंबई के मराठी नेता राज ठाकरे के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया हुआ है। राज ठाकरे ने जनवरी 2012 में उत्तर भारतीयों पर प्रहार करते हुए कहा था कि 13 जुलाई 2011 के मुंबई हमलों के मामले में बिहार के कथित चरमपंथियों का गिरफ्तार किया जाना ये दशार्ता है कि इस हमले का बिहार से संबंध था।

Saturday, January 5, 2013

फिर फूटेगा महंगाई बम



आने वाले समय में डीजल, केरोसीन और रसोई गैस (एलपीजी) की कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि सरकार राजकोषीय घाटा कटौती पर केलकर समिति की सिफारिशों पर विचार कर रही है। राजकोषीय हालत को मजबूत बनाने के लिए वित्त मंत्री पी.चिदम्बरम ने केलकर समिति का गठन किया था। समिति ने ने ईंधन कीमतों में तत्काल कटौती और डीजल के दाम 2014-15 की शुरूआत से पूरी तरह नियंत्रण मुक्त करने का सुझाव दिया है। पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने पत्रकारों से कहा, डीजल की कीमत को नियंत्रण मुक्त करने और केरोसीन एवं एलपीजी के दाम बढ़ाने के विजय केलकर समिति की सिफारिश एक प्रस्ताव है। यह अभी प्रस्ताव के स्तर पर ही है। यह रिपोर्ट पेट्रेलियम मंत्रालय की प्रक्रिया में है और अभी हम इस बारे में फैसला करने वाले हैं। इसके पहले, वित्त मंत्रालय ने राजकोषीय हालात को मजबूत करने के रास्ते सुझाने के लिए इस समिति का गठन किया था। समिति ने अपनी रपट में डीजल तथा केरोसीन के दाम बढ1ाने का सुझाव दिया था ताकि 1,63,000 करोड़ रुपये के ईंधन सब्सिडी खर्च में कमी लाई जा सके सके। उनका यह भी कहना है कि मंत्रालय ने फिलहाल दाम बढ़ाने का कोई प्रस्ताव पेश नहीं किया है और न ही इस बारे में विचार किया जा रहा है। केलकर समिति ने अपनी रपट में सुझाव दिया है कि ईंधन ब्रिकी से हो रहे नुकसान को देखते हुए डीजल के दाम में में साल भर में 9.28 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की जानी चाहिए। केरोसीन के मामले में दो साल में 10 रुपए लीटर की वृद्धि का सुझाव दिया गया है। नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी कहा था कि मौजूदा आर्थिक हालात बहुत खराब हैं। इसे निपटने के लिए उन्होंने रसोई गैस, पेट्रोल और बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी के संकेत दिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में 8 फीसदी की वृद्धि दर बनाए रखने के लिए सब्सिडी में कटौती जरूरी है।डीजल,केरोसीन और रसोई गैस (एलपीजी) की कीमतें बढ़ने का सीधा सा अर्थ है कि आम लोगों पर एक बार फिर महंगाई बम फूटेगा।

Friday, January 4, 2013

केंद्र और राज्यों को नोटिस



उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार के आरोपी जन प्रतिनिधियों को निलंबित करने के आदेश देने से शुक्रवार को भले ही इंकार कर दिया लेकिन महिला उत्पीड़न से संबंधित मामलों की यथाशीघ्र सुनवाई के लिए देश भर में त्वरित अदालतों के गठन को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब-तलब किया है। न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की सेवानिवृत्त अधिकारी प्रोमिला शंकर की एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र एवं राज्य सरकारों को नोटिस जारी करके यह बताने का निर्देश दिया कि त्वरित अदालतों के गठन को लेकर उनकी क्या योजनाएं हैं। खंडपीठ ने उन सांसदों और विधायकों का निलंबन आदेश जारी करने से इंकार कर दिया जिनके खिलाफ बलात्कार और महिला उत्पीड़न के मामलों में आरोपपत्र दायर किये जा चुके हैं। न्यायमूर्ति राधाकृष्णन ने कहा कि ऐसे जन प्रतिनिधियों के निलंबन का आदेश देना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। उन्होंने कहा  कि हम जनप्रतिनिधियों को अयोग्य घोषित नहीं कर सकते क्योंकि इसका अधिकार हमारे पास नहीं है। इस तरह का अनुरोध नहीं किया जा सकता। हालांकि, न्यायालय ने त्वरित अदालतों के मामले में राज्य सरकारों से पूछा कि आखिर इन अदालतों में कब तक न्यायाधीश नियुक्त किये जाएंगे और बलात्कार पीड़ितों को मुआवजा देने की उनकी क्या योजना है। न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ने उन सांसदों और विधायकों को अयोग्य ठहराने का न्यायालय से आग्रह किया था जिनके खिलाफ महिलाओं के उत्पीड़न मामलों में आरोप पत्र दायर किये जा चुके हैं। उन्होंने बलात्कार और महिला उत्पीड़न के सभी मामलों की सुनवाई के लिए पूरे देश में त्वरित अदालत गठित करने तथा ऐसे मामलों की सुनवाई महिला न्यायाधीशों से कराये जाने के निर्देश देने का भी अनुरोध किया है। केन्द्र व राज्यों को नोटिस जारी कर सुप्रीम कोर्ट ने इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है।

Wednesday, January 2, 2013

बढ़ी बिहार की उम्मीदें



सरकार राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देने के नियमों की समीक्षा कर सकती है। केन्द्र सरकार की इस पहल से बिहार की उस मांग को बल मिलेगा जिसके तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार यह मांग कर चुके हैं कि विशेष राज्य का दर्जा देने के मानदंड में बदलाव किया जाए। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बुधवार को एक बार फिर  कहा कि अब समय आ गया है जब राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देने के मानदंडों की समीक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा मौजूदा मानदंड कुछ समय पहले बनाये गए है। अब शायद समय आ गया है कि इसकी समीक्षा की जानी चाहिऐ। चिदंबरम से राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देने की बिहार के मुख्यमंत्री की मांग के बारे में पूछा गया था। पिछले सप्ताह हुई राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने बिहार को वित्तीय संकट से उबारने के लिए उसे विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने का जोरदार आग्रह किया था। चिदंबरम ने 14वें वित्त आयोग के गठन की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार ने इसमें कर्ज के बोझ तले दबे राज्यों के बारे में विशेष तौर पर जिक्र किया है। आयोग ऐसे राज्यों में नए कराधान प्रयासों और जीडीपी, कर अनुपात बढ़ाने की संभावनाओं पर भी गौर करेगा। इसके अलावा वित्त आयोग राज्यों को अतिरिक्त संसाधन जुटाने और वित्तीय स्थिति में सुधार के उपाय भी सुझायेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के अमल में आने से भी राज्यों की कर वसूली में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि आयोग जीएसटी के मामले में राज्यों को नुकसान की स्थिति में उनकी क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर भी गौर करेगा। इसके अलावा वित्त आयोग पीने के पानी, सिंचाई, बिजली और सार्वजनिक परिवहन जैसी सार्वजनिक सेवाओं के मूल्य को सांविधिक प्रावधानों के जरिये नीतियों में आने वाले बदलाव से दूर रखने के भी उपाय सुझायेगा। वित्त मंत्री की इस पहल से बिहारवासियों की उम्मीदें भी पूरी होने की ओर कदम बढ़ाती नजर आ रही हैं।

Tuesday, January 1, 2013

जारी है इंसाफ की जंग




देश की बेटी की को इंसाफ दिलाने के लिए 15 दिनों से प्रदर्शन और आंदोलन का दौर जारी है। दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी एक आंदोलन चल रहा है। बलात्कारियों को फांसी की मांग को लेकर दो शख्स भूख हड़ताल पर बैठे हैं। इनमें से एक 9 दिनों से अनशन पर है और उसकी हालत लगातार बिगड़ रही है लेकिन सरकार इनकी सुध नहीं ले रही। दरअसल नौ दिन गुजर चुके हैं। दिल्ली के जंतर-मंतर पर आमरण अनशन कर रहे राजेश गंगवार की हालत अब बिगड़ने लगी है। भूख और प्यास का असर दिखने लगा है। जिस्म जवाब देने लगा है लेकिन जज्बा लाजवाब है। बरेली का ये बेटा हिंदुस्तान की तमाम बेटियों के हक की लड़ाई लड़ रहा है। इस बेटे को सरकार से सुरक्षा चाहिए। वह कानून चाहिए जो देश की बहन-बेटियों की आबरू की रक्षा की गारंटी दे सके। ये जंग अब रंग ला रही है। इनके इस संघर्ष को सलाम करने लोग बड़ी तादाद में जतंर-मंतर पहुंच रहे हैं। बढ़ते जनसमर्थन ने इनके हौसले को और ताकत दी है। इरादा पहले से और बुलंद हो गया है। भले जान चली जाए मगर अपनी मांग से ये टस से मस होने को तैयार नहीं। दो और आंदोलनकारी सरकार को लगातार झकझोर रहे हैं। अनशन के जरिए ये सरकार को उसका फर्ज और जनता के हक की याद दिला रहे हैं। बलात्कारियों के खिलाफ सख्त कानून बने, इसके लिए इन दोनों ने अपनी जान दांव पर लगा दी है। लेकिन लगता है सरकार के कानों तक इनकी आवाज पहुंच नहीं पा रही। नौ दिन बाद भी सरकार असंवेदनशीलता की मोटी चादर तानकर सो रही है। सवाल ये है कि अब तक केंद्र सरकार चुप क्यों है? ये माना कि कानूनी प्रावधान की प्रक्रिया आसान नहीं। इसमें वक्त लगना लाजिमी है। लेकिन क्या सरकार को इनसे बात करने में भी संकोच हो रहा है। क्या सरकार इन्हें भरोसा देने की जहमत भी नहीं उठाना चाहती। कहीं सरकार इसलिए तो बेफिक्र नहीं क्योंकि ये आम लोग हैं और इनके साथ किसी सियासी पार्टी या किसी सामाजिक संगठन के समर्थन की ताकत नहीं है। मगर अब यह समय की मांग है कि आम लोगों को लेकर सरकार की सोच बदलनी चाहिए।