Tuesday, March 26, 2013

गहराया राजनीति का रंग


बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग और उसकी राजनीति का रंग होली के एक दिन पहले ही परवान चढ़ गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की उनकी मांग पर सोचने के लिए केंद्र को अंततोगत्वा बाध्य होना होगा। वहीं भाजपा का मानना है कि कांग्रेस अपनी सत्ता बचाने के लिए बिहार कार्ड खेल रही है। भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी का कहना है कि उन्हें बिहार को पिछड़ा कहा जाना स्वीकार नहीं है। मीडिया में आई उस खबर जिसमें यह कहा गया है कि बिहार के आर्थिक पिछडेÞपन को ध्यान में रखते हुए केंद्र इस प्रदेश को पिछड़ा प्रदेश घोषित करने पर विचार कर रहा है, नीतीश कुमार ने पटना में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की उनकी मांग पर सोचने के लिए केंद्र को अंततोगत्वा बाध्य होना होगा। उन्होंने कहा कि इसमें कोई नई बात नहीं है, केंद्र सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट एवं केंद्रीय वित्त मंत्री के बजट भाषण में जो संकेत दिये गये थे, वही बातें आज के समाचार पत्रों में दोहरायी गयी है। नीतीश ने कहा कि केन्द्र सरकार ने जो बातें आर्थिक सर्वे एवं बजट भाषण में कही हैं उसे पूरा करना चाहिये। उन्होंने कहा कि बिहार एवं अन्य पिछडे राज्यों को उसका हक दिया जाना चाहिये। उन्हें भी विकास की दौड़ में बढ़ने का अवसर मिलना चाहिये। नीतीश ने कहा कि हमारे तर्क में ताकत है। अन्ततोगत्वा केंद्र को हमारी मांग पर सोचने के लिए बाध्य होना होगा। नीतीश के घोर विरोधी राजद सुप्रीमो और पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद ने उन पर कटाक्ष करते हुए केंद्र सरकार की ओर इशारा करते हुए कहा, बांधकर रखें कहीं छटक न जाए, मान लिया है तो जाकर ले आएं। अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा का साथ छोडकर कांग्रेस के साथ नीतीश के जाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर लालू ने कहा कि उन्हें सिद्धांत से क्या मतलब है, नीतीश किसी के साथ जा सकते हैं। नीतीश के बारे में लालू ने कहा कि उनका न तो कोई उसूल और सिद्धांत है, वे किसी के साथ भी जा सकते हैं।

Monday, March 25, 2013

फागुन आया



मन बौराया,
तन बौराया
बौराया अंग-अंग
अब तो आजा
फागुन आया
रह लेंगे संग-संग।
बैठ मुंडेरे
 कागा बोले
मन में उठी तरंग
तुम तो मुझसे
करके वादा
चले गए मोरंग।
तुम आए
न आई पाती
आस हुई बेरंग।
अब तो आजा
फागुन आया
रह लेंगे संग-संग...।
पायल-झांझर
बाज उठे सब
बाजे ढोल-मृदंग
केसर-कुमकुम
मंह-मंह महके
मन हुए मतंग।
अब तो आजा
फागुन आया
रह लेंगे संग-संग...।
                                                                     राकेश प्रवीर

चीन ने डाला रंग में भंग



चीन में निर्मित रंग, गुलाल और पिचकारी के भारतीय बाजारों में छा जाने से भारतीय लघु एवं मझोली इकाइयों (एसएमई) के रंग में भंग पड़ने लगा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के एक सर्वेक्षण के अनुसार देश में पिचकारी, गुब्बारे, रंग आदि बनाने वाले 75 प्रतिशत एसएमई मानते हैं कि उनका कारोबार कम हुआ है और चीन का माल आने से उनमें रोजगार के अवसर घटे हैं। चीन के सस्ते और विविध माल की मार से देश में एसएमई इकाइयों की संख्या तो घटी ही है इससे 8 से लेकर 10 लाख तक रोजगार का भी नुकसान हुआ है। एसोचैम सामाजिक विकास न्यास (एएसडीएफ) द्वारा कराये गये इस सर्वेक्षण में हर्बल रंगों और चीन से आये होली के सामान की मांग एवं आपूर्ति पर निगाह डाली गई। फांउडेशन ने इलाहाबाद, आगरा, हाथरस, मथुरा, वृंदावन, दिल्ली,एनसीआर, कानपुर, लखनउ, वाराणसी और पटना शहरों में होली रंग पिचकारी विनिमार्ताओं के बीच जनवरी-फरवरी 2013 में यह सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में कहा गया है कि कई लघु इकाइयों को कारोबार के साथ साथ पूंजी का भी नुकसान हुआ और कई इकाइयां बैंकों तथा महाजनों के कर्ज बोझ तले दब गई। एसोचैम महासचिव डी.एस. रावत ने सर्वेक्षण जारी करते हुये कहा कि ऐसे उत्पाद जिन्हें देश में बिना किसी विशेष प्रौद्योगिकी के तैयार किया जा सकता है, उनके आयात को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। रावत ने कहा कि होली, दिवाली के मौके पर सस्ते सामान का चीन से आयात बढ़ने की वजह से पिछले 2 से 3 साल के दौरान 1,000 के करीब लघु एवं मझौली इकाइयां बंद हो चुकी हैं। इलाहाबाद, बृजमंडल, दिल्ली, कानपुर, लखनउ और पटना में कई इकाइयां बंद हुई हैं। सर्वे में कहा गया प्लास्टिक के खिलौने और पिचकारी के एक थोक विक्रेता के अनुसार चीन से आयातित होली का पूरा सामान बिक गया जबकि स्थानीय विर्निमाताओं से खरीदा गया सामान अभी भी उनके गोदाम में पड़ा है। थोक विक्रेता ने बताया पिछले साल जहां चीन और घरेलू सामान की बिक्री का अनुपात क्रमश 80 और 20 था इस साल यह चीन के पक्ष में और झुककर 95 और पांच हो गया। एसोचैम के अनुसार होली और इससे जुड़ा कारोबार इस साल 15,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है. यह सालाना 20 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है। होली के गुब्बारे, पानी छोड़ने वाली बंदूक, पिचकारी और खिलौने का कारोबार 10,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जबकि हर्बल और सुगंधित रंगों का कारोबार इस होली पर 5,000 करोड़ रुपये को छूने की उम्मीद है। चीन की पिचकारी हालांकि, महंगी है लेकिन यह 10 रुपये से लेकर 1,000 रुपये के दायरे में उपलब्ध है इस लिहाज से हर वर्ग के लोगों के लिये उपलब्ध है। दूसरी तरफ यहां कि परंपरागत प्लास्टिक की पिचकारी पांच से 50 रुपये में बिक रही है लेकिन शहरी क्षेत्रों में इसके खरीदार नहीं हैं।गांव में मेड इन चाइना का टैग लगाकर ग्राहकों को आकर्षित किया जा रहा है।

Sunday, March 17, 2013

नीतीश ने बिछाई चुनाव बाद की बिसात


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को स्पष्ट संदेश दिया कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद सरकार के गठन में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) अहम भूमिका निभाएगी। नीतीश ने अपने समर्थकों से आम चुनावों के लिए तैयार रहने को कहा, जिससे केंद्र में सरकार बनाने वाली कोई भी पार्टी बिहार के लोगों की आवाज सुनने को मजबूर हो जाए। जदयू मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का सहयोगी दल है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी विकास की राजनीति का जिक्र किए बिना नीतीश ने कहा कि विकास का वास्तविक मॉडल कम विकसित प्रदेशों के अधिकारों की लड़ाई लडऩा और जाति व क्षेत्र के आधार पर बांटे बिना हर किसी को साथ लेकर आगे बढऩा है। नीतीश कुमार ने दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई रैली में कहा, 'हमें 2014 के आम चुनाव के लिए तैयार रहना है। केंद्र सरकार या तो बिहार को तत्काल विशेष राज्य का दर्जा दे दे या हम 2014 के लोकसभा चुनाव के निश्चित रूप से यह हासिल कर लेंगे। जो कम विकसित लोगों के बारे में सोचेगा, वही दिल्ली में सरकार बनाएगा। जो बिहार के लोगों की आवाज सुनेगा उसे ही केंद्र में सरकार बनाना चाहिए। इस व्यापक रैली को बिहार के मुख्यमंत्री का नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। कुमार ने 40 लोकसभा सीटों वाले बिहार के लोगों की सभा के माध्यम से तगड़ा संदेश दिया कि सरकार के गठन के दौरान केंद्र उसकी अनदेखी नहीं कर सकता। बिहार के मुख्यमंत्री ने राज्य को विशेष दर्जा दिलाने के लिए बीते दो साल से अभियान छेड़ा हुआ है। भले ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुरुआती तौर पर इस मुद्दे के प्रति अपनी अनिच्छा जाहिर की थी, लेकिन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने संकेत दिया है कि केंद्र सरकार इस मसले पर दोबारा गौर करेगी। कुमार ने दलील दी कि बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग के साथ राज्य न सिर्फ अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है, बल्कि केंद्र सरकार के नियमों और नीतियों में बदलाव से अन्य पिछड़े राज्यों को भी फायदा होगा, जो तेज रफ्तार से विकास करने की कोशिश कर रहे हैं। जनसभा के दौरान नीतीश कुमार ने कहा, 'विकास हमारा अधिकार है। बिहार के लोग क्यों विकसित नहीं हुए? क्यों उन्हें बेहतर शिक्षा, बुनियादी ढांचा और रोजगार उपलब्ध नहीं हुए हैं? हम बिहार को विशेष राज्य दर्जा मिलने तक बिल्कुल चुप नहीं बैठेंगे। बिहार में 10.5 करोड़ से ज्यादा लोग हैं और दिल्ली में बैठे राजनेताओं को उनकी ताकत को मान्यता देनी चाहिए। यदि सभी कम विकसित राज्य एकजुट हो जाएं, तो दिल्ली में कौन सत्ता में होगा?

Saturday, March 16, 2013

दिल्ली में गूंजेगी‘बिहार की हुंकार’



दिल्ली के रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार की ओर से हुंकार भरेंगे। कोशिश होगी कि साढ़े दस करोड़ बिहारवासियों की आवाज केन्द्रीय सत्ता के साथ ही पूरे देश में गूंजे। साथ ही बिहार के तर्ज पर पिछड़े अन्य प्रदेशों की सहमति भी बने। इसीलिए बहुप्रचारित जनता दल यू की अधिकार रैली पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। दरअसल, राजनीतिक रूप से अहम मानी जा रही इस रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाषण के समय का चयन और रैली की तैयारी के तौर तरीकों ने भी सबको चौकन्ना कर दिया है। रैली को सफल बनाने के लिए साइबर तकनीक का सहयोग भी लिया गया है। रैली के दूरगामी राजनीतिक परिणाम भी आंके जा रहे हैं। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की यह मांग अगामी लोकसभा चुनाव से लेकर 2015 में होने वाले बिहार विधान सभा चुनावों में जदयू का प्रमुख एजेंडा रहने वाला है। आम बिहारियों को आकर्षित कर रहे इस मुद्दे को चुनावी एजेंडा बनाने की जुगत रामलीला मैदान से हो सकती है। इसलिए रैली की तैयारियों से लेकर भीड़ जुटाने व प्रचार-प्रसार की बारीकियों का खास ख्याल रखा गया है। सूत्रों की माने तो नीतीश कुमार संभवत: रामलीला मैदान के पास स्थित फैज इलाही मस्जिद में नमाज खत्म होने के बाद अपना संबोधन करेंगे। इससे पहले पार्टी के नेता दिल्ली में मौजूद बिहार से आए लोगों से मिलकर यह संदेश देने में जुटे रहे हैं कि विकास ही जदयू का मूलमंत्र है। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के भाषण का लब्बोलुआब भी यही होगा। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर दिल्ली में जदयू की रैली की तैयारी के दौरान भी लोगों को इन्हीं मुद्दों पर लामबंद करने की कोशिश की गई है। बिहार की तमाम परेशानियों का निदान भी विशेष दर्जा के आईने में दिखाया गया है। अगर यह दर्जा मिल गया तो फिर बिहार मॉडल स्टेट बन जाएगा...निवेशक उल्टे पांव दौड़ पड़ेंगे, कल कारखाने लग जाएंगे, रोजगार की गारंटी होगी, मजदूरों का पलायन रुक जाएगा,दूसरी हरित क्रान्ति की शुरुआत भी यहीं से होगी और फिर पूरे देश में बिहार अव्वल होगा। सुनहरे ख्वाबों के इन लुभावने नारों से भला किसी की क्या असहमति हो सकती है। पार्टी नेता भी इससे अवगत है। आरसीपी सिंह, संजय झा, प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, प्रदेश महामंत्री छोटू सिंह, नंद किशोर कुशवाहा, सोमा सिंह, प्रभात भुवन समेत सभी सांसद व विधायक दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में बिहारी समुदाय से मिलकर उन्हें रैली में शिरकत करने के लिए आमंत्रित कर चुके हैं। कोशिश रैली में सभी वर्गों को जोड़ने की रही है। मसलन शनिवार को संजय झा व सांसद अली अनवर रामलीला मैदान के पास बसे रिक्शा ठेला चलाने वाले बिहारियों से मिले तो छोटू सिंह व अन्य नेताओं की टीम ने डिफेंस कालोनी के आसपास बिहार के टैक्सी ड्राइवरों के यूनियन को अपने साथ खड़ा करने का दावा किया।रैली के एक दिन पूर्व सूबे के खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक ने बुराड़ी, संतनगर,इन्द्रापुरम एवं गाजियाबाद के क्रॉसिंग मॉल इलाके में भ्रमण कर लोगों से रैली में आने की अपील की। यानी रामलीला मैदान में बिहार का हर रंग दिखेगा जहां पढ़े लिखे कामकाजी अधिकारियों के साथ-साथ निचला वर्ग भी खड़ा होगा। सबकी जुबान पर विशेष राज्य का दर्जा होगा।

Friday, March 15, 2013

अहसास वसंत का



मंद-मंद हवा के झोके से सिहरन सी उठी और मन मॅह मॅह करते आम के बौरों की भीनी गंध से भींग गया। गांव से लौटने के दौरान बगीचे के बगल से गुजरने का यह संयोग वसंत का सुखद अहसास करा गया। सूरज की किरण फूटने ही वाली थी,नजर उठा कर देखा तो ऐसा लगा कि महुए की फुनगी पर लालिमा से भरपूर सूरज टंगा हुआ है... अभी कुछ कदम ही आगे बढ़ा कि कोयल की कू...कू... की आवाज कान में रस घोलने लगी। आम के झुरमुठों से उठ रही यह आवाज दूर तक पीछा करती रही... एकबारगी मन किया कि वापस हो जाऊं,फिर ख्याल आया, बस छुट जाएगी। बस में बैठा तो मन पर उदासी छाई हुई थी,पीछे क्या-क्या छुट गया, एक-एक कर परते उघड़ने लगी। कभी इन्हीं अमराइयों में घंटो गुजर जाया करता था,पत्तों की ओट में छुपी कोयल के स्वर में स्वर मिला कर कू...कू... करने का अलभ्य आनंद क्या भुलाया जा सकता है... आंगन में अहले बिछी महुआ के सफेद फूलों की मदमाती गंध से एक रिश्ता से कायम हो गया था। पोखर के किनारे गुलमोहर की छांह में दुपहरिया कैसे गुजर जाती थी, पता ही नहीं चलता था। दूर-दूर तक खेतों में बिछी सरसों की पीली चादरों के बीच धनिया के छितराए सफेद खिलखिलाते फूलों के गंध आज भी मन में रचे-बसे हैं...इन्हीं ख्यालों में डूबे-डूबे रास्ते कट रही थी कि अचानक गाड़ियों की चिल्ल-पौं से मानो नींद खुल गई। देखा, सामने कंक्रीट के जंगल पसरे हुए है। मन थोड़ा खिन्न हुआ...मगर जीवन की इस आपाधापी को अनचाहे मन से ही सही, स्वीकार तो करना ही होगा...चकाचौंध से भरे महानगरीय जीवन में वसंत तेरा अहसास कहां...

Thursday, March 14, 2013

एंटी रेप बिल: अगर महिला झूठी निकली तो...

बलात्कार विरोधी कानून के बिल के मसौदे को केंद्रीय कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है। बिल में सहमति से सेक्स की उम्र घटाकर 18 से 16 साल करने का प्रावधान है। इसके अलावा इस मुद्दे पर बने मंत्री समूह की अन्य सिफारिशों को भी स्वीकार कर लिया गया है। अब इस बिल को सोमवार को संसद में रखा जा सकता है। हालांकि सोमवार को सरकार ने इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई है इसलिए ऐसा भी माना जा रहा है कि सरकार इस बैठक के बाद यानी मंगलवार को ही इसे संसद में पेश करेगी। गौरतलब है कि जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों के बाद सरकार ने रेप विरोधी कानून पारित कराने का ऐलान किया था लेकिन कैबिनेट के ही मंत्रियों में इस बिल के कुछ प्रावधानों को लेकर गहरे मतभेद थे। सबसे ज्यादा आपत्ति सहमति से सेक्स की उम्र घटाने, रेप पीड़ित में केवल महिलाओं को ही शामिल करने, पीछा करने या छिपकर देखने को गैरजमानती अपराध बनाने और फर्जी शिकायतों पर सजा से जुड़े प्रावधानों को लेकर थी। लेकिन मंत्रियों के समूह ने इन प्रावधानों को हरी झंडी दे दी। यह ठीक है कि महिलाएं महफूज महसूस करें ये पूरा देश चाहता है। लेकिन इस एहसास के लिए किसी के खिलाफ किसी को क्या अंतहीन अधिकार दिए जा सकते हैं? यह सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि 16 साल में शादी नहीं कर सकते लेकिन संबंध बना सकेंगे। शादी की उम्र लड़कों के लिए 21 साल है। शादी छोड़ दीजिए 16 साल में एडल्ट श्रेणी की फिल्म तक नहीं देख सकते लेकिन संबंध बना सकते हैं। 16 साल में शराब नहीं पी सकते लेकिन शारीरिक संबंध बना सकते हैं। सजा को लेकर भी बिल में विसंगतियां दिख रही है। रेप पर उम्र कैद, तेजाब फेंकने पर उम्र कैद,नाबालिग से दुष्कर्म पर उम्र कैद। दूसरी ओर आगे चल कर जो परेशानी पैदा करेगी वह यह है कि स कानून में ज्यादातर गुनाहों को गैरजमानती बना दिया गया है।मसलन ताक झांक करना गैर जमानती होगा, पीछा करना गैर जमानती अपराध की श्रेणी में होगा, किसी महिला को घूरकर देखना भी गैरजमानती होगा। अगर बार-बार छींटाकशी की तो वो भी गैरजमानती श्रेणी का अपराध होगा। मतलब कोई पुरुष ट्रैफिक जाम में फंस गया हो और इत्तेफाक से उसकी कार किसी महिला की कार के पीछे हो तो महिला उसपर पीछा करने का आरोप लगा सकती है और उसकी जमानत नहीं होगी। इसी तरह आप किसी महिला को पहचानने की कोशिश कर रहे हों और महिला को ये पसंद न आए तो वह उसे 100 नंबर डायल करके अंदर करा सकती है। अगर कोई पुरुष काम करते हुए किसी महिला की तरफ बीच-बीच में देख लेता है तो वह गैर जमानती अपराध का भागीदार है और पुलिस के लिए महिला का बयान आखिरी होगा। हद ये है कि अगर महिला झूठी निकली तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।







Tuesday, March 12, 2013

...मगर इन्हें शर्म आती नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस ने माना है कि उसने बेगुनाह लोगों पर कॉन्स्टेबल सुभाष चन्द्र तोमर की हत्या का केस लगाया था। हाई कोर्ट में पुलिस ने कहा है कि जिन आठ लोगों पर सुभाष तोमर की हत्या का केस लगाया था उसे वो वापस लेगी। दरअसल, दिल्ली पुलिस ने कांस्टेबल सुभाष चन्द्र तोमर की मौत के केस में आठ आरोपियों पर हत्या का केस दर्ज किया था। दिल्ली पुलिस का हाईकोर्ट में कबूलनामा पुलिस के काम करने के तरीके पर बड़े सवाल उठा रहा है।अगर आप विस्मृत नहीं हुए हो, तो याद करें, किस तरह से दिल्ली पुलिस के आयुक्त व उपायुक्त इस पूरे मामले में झूठ पर झूठ बोल रहे थे। तब दिल्ली पुलिस की हरचंद कोशिश यह थी कि किसी तरह से कॉन्स्टेबल सुभाष चन्द्र तोमर की मौत को हत्या करार देकर दामिनी मामले का दमन किया जाए। गौरतलब हो कि दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल सुभाष तोमर 23 दिसंबर को इंडिया गेट के पास प्रदर्शन के दौरान गिर गए थे, जिसके बाद 25 दिसंबर को उनकी मौत हो गई थी। दिल्ली पुलिस ने तोमर की मौत पर आठ लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया था, जबकि उनकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और डॉक्टरों के बयान से हत्या की पुष्टि नहीं हुई थी। सुभाष तोमर को बचाने का दावा करने वाले दो चश्मदीद योगेंद्र और पाओलिन भी सामने आए थे, जिन्होंने कहा था कि सुभाष तोमर भीड़ को खदेड़ते वक्त गिर गए थे। दिल्ली पुलिस के दावों की मेट्रो के सीसीटीवी फुटेज से भी पोल खुल गई थी। जिन लोगों को पुलिस हत्या का आरोपी बता रही थी उनमें से कुछ लड़कों की तस्वीर मेट्रो स्टेशन के फुटेज से मिली थी। दिल्ली पुलिस ने अपने दावों के पक्ष में सलीम नाम के एक गवाह को पेश किया था जो कह रहा था कि तोमर की हत्या हुई है, लेकिन उस दिन सलीम की मोबाइल का लोकेशन इंडिया गेट नहीं यूपी के बुलंदशहर था। गवाहों और सबूतों के धरातल पर कमजोर पड़ने के बाद अब दिल्ली पुलिस को इस केस में पीछे हटना पड़ा है। दरअसल पुलिस के तौर-तरीकों पर यह एक सवाल है और इसके साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि सिस्टम ने इन्हें ऐसा बेशर्म बना दिया है कि इन्हें कभी शर्म आती नहीं।

Sunday, March 10, 2013

धर्मनिरपेक्षता पर मोदी मंत्र



पीएम पद की दावेदारी की तरफ कदम बढ़ा रहे नरेंद्र मोदी ने धर्मनिरपेक्षता की अपनी परिभाषा दी है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि देश के नागरिकों के हर फैसले में भारत सबसे पहले होना चाहिए और धर्मनिरपेक्षता की बुनियाद यही होगी कि जो भी काम किया जाए वह भारत के लिए हो। मोदी ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता की मेरी परिभाषा काफी साधारण है, 'पहले भारत'। आप जो भी करें, जहां कहीं भी काम करें, इसके सभी नागरिकों के लिए भारत ही सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। यदि ऐसा होता है तो धर्मनिरपेक्षता अपने आप हमारी रगों में दौड़ेगी। मोदी ने ये बातें रविवार की सुबह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अमेरिका और कनाडा के प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहीं। इस दौरान मोदी ने गुजरात की जमकर तारीफ की। हालांकि मोदी ने करीब 50 मिनट के अपने भाषण में गुजरात दंगों का जिक्र तक नहीं किया। पर ये जरूर माना कि उनकी सरकार ने भी गलतियां की हैं, लेकिन साथ ही ये भी कहा कि विकास होने पर जनता माफ कर देती है। मोदी ने कहा कि अगर आप अच्छा काम करोगे, निरंतर अच्छा करोगे, बिना स्वार्थ के करोगे तो लोग आपकी गलतियां भी माफ करते हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी जिस गलती की बात कह रहे हैं क्या उसका मतलब गुजरात दंगों से है? पिछले हफ्ते व्हार्टन इंडिया इकनॉमिक फोरम में मुख्य वक्ता के तौर पर दिया जाने वाला मोदी का भाषण रद्द कर दिया गया था। इसके पीछे यूनिवर्सिटी आॅफ पेनसिलवेनिया के प्रोफेसरों और छात्रों के एक तबके का विरोध था। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि कांग्रेस सेकुलरिज्म पर चल रही है। मोदी के बारे में बीजेपी जाने हमें कोई लेना देना नहीं है।  सीपीएम नेता प्रकाश करात ने कहा कि गुजरात मॉडल देश के लिए स्वीकार्य नहीं है। वहीं, बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कुछ पार्टियां धर्मनिरपेक्षता के तवे पर रोटियां सेंक रही हैं। हम कर्म निरपेक्षता को प्रधानता देते हैं। सबका साथ, सबका विश्वास होना चाहिए। मोदी ने भी यही कहा कि धर्म निरपेक्षता को कर्म निरपेक्षता से जोड़ना चाहिए।

कांग्रेस और नीतीश की नजदीकियों का निहितार्थ



क्या आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति कोई करवट लेगी?नीतीश कुमार की राजनीतिक चालों को लेकर फिलवक्त कयासों का बाजार गर्म हैं। कांग्रेस और नीतीश कुमार(फिलहाल जदयू नहीं) की बढ़ रही नजदीकियां इन कयासों को पंख दे रही है। वैसे अपनी अधिकार यात्रा के दौरान ही गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की पीएम उम्मीदवारी को लेकर उत्पन्न तल्खी के बीच नीतीश कुमार ने इस बात का मुखर एलान किया था कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की जो पहल करेगा, उसे ही उनका समर्थन मिलेगा। हाल के दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बिहार में तेज गति से विकास के लिए प्रशंसा करने पर धन्यवाद दिया है। प्रधानमंत्री द्वारा प्रशंसा किए जाने के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बिहार में तेज गति से हो रहे विकास की प्रशंसा की है, इसके लिए वह उन्हें धन्यवाद देते हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा था कि सभी बीमारू राज्य तेजी से विकास कर रहे हैं। इसमें बिहार सभी राज्यों की तुलना में तेज गति से विकास कर रहा है। उन्होंने तीव्र विकास के लिए बिहार की प्रशंसा की थी। गौरतलब है कि बिहार का विकास दर वर्ष 2006-07 से 2010-11 के दौरान 10.9 प्रतिशत रहा है जो देश के कई राज्यों की तुलना में सबसे बेहतर है। आम तौर पर गंभीर मुद्दों पर भी मौन रहने वाले प्रधानमंत्री का एक गैरकांग्रेस शासित राज्य के विकास गाथा की प्रशंसा के भी अर्थ है। गौरतलब है कि वित्त मंत्री पी़ चिदंबरम ने संसद में आम बजट पेश करते हुए विशेष राज्य का दर्जा देने की अर्हताओं में बदलाव की बात की थी और इसके लिए भी नीतीश ने वित्त मंत्री को भी बधाई दी थी। ठीक इसके एक दिन पहले विगत वर्ष के आर्थिक सर्वेक्षण में भी विशेष राज्य का दर्जा देने के  मानदंड में बदलाव को समय की जरूरत जब बताया गया तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे बिहार की मांग की सैद्धांतिक जीत करार दिया। यह सब बेजा नहीं है और ऐसा भी नहीं है कि इन सबका कोई राजनीतिक निहितार्थ नहीं है। गौरतलब हो कि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद भी नीतीश कुमार ने कुछ इसी तरह की राजनीतिक चाल चली थी। चुनाव परिणाम आने के ठीक एक दिन पहले उन्होंने घोषणा की थी कि उनको कांग्रेस को समर्थन देने में कोई हर्ज नहीं होगा, बशर्ते की वह बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने का भरोसा दे। यह दीगर रहा कि जब चुनाव परिणाम आया तो कांग्रेस और संप्रग को किसी के समर्थन की जरूरत ही नहीं पड़ी और नीतीश कुमार के आॅफर का कोई मतलब ही नहीं रह गया। सम्प्रति बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में कांग्रेस को भी कुछ अन्य नए सहयोगियों की जरूरत है। तृणमूल कांग्रेस के अलग होने की भरपाई करने की उसकी कोशिश में नीतीश कुमार मददगार हो सकते हैं। अड़चन शरद यादव को माना जा सकता है। नीतीश कुमार के मोदी से बिदकने और इसी आधार पर अगर भाजपा से उनकी दूरियां बढ़ती है तो इसका लाभ लेने का मौका कांग्रेस भी नहीं छोड़ना चाहेगी। नीतीश कुमार के लिए भी केन्द्रीय राजनीति में दखल का यह एक मौका हो सकता है। ‘बिहार के हक’ के नाम पर अगर वह ऐसा करते हैं तो 2015 के बिहार विधान सभा चुनाव में उनके पास एक मजबूत तर्क होगा। दिल्ली में आयोजित जदयू की रैली को भी इसी नजरिए से देखा जा रहा है। रैली के जरिए नीतीश कुमार केन्द्र की सरकार को अपनी ताकत का अहसास कराएंगे। अगर यह रैली भीड़ के लिहाज से सफल रहती है तो नीतीश समर्थकों के साथ ही कांग्रेसियों के लिए भी राहत की बात होगी,क्योंकि इससे नरेन्द्र मोदी के जवाब के तौर पर देखा जाएगा। ऐसे में यह सवाल भी महत्वपूर्ण होगा कि क्या आने वाले दिनों में वाकई बिहार की राजनीति करवट लेगी?

Saturday, March 9, 2013

पाक पीएम का विरोध और दावत



अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर जियारत करने के लिए शनिवार को भारत पहुंचे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने जयपुर के रामबाग पैलेस होटल में भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के साथ लंच किया। लंच के बाद पीएम अशरफ हेलिकॉप्टर से अजमेर के घूघरा हेलीपैड उतरे और यहां से वह कड़ी सुरक्षा में दरगाह तक पहुंचे। मगर, सुबह से ही देश के विभिन्न हिस्सों में पाक पीएम की यात्रा के दौरान भारत सरकार की ओर से दिए जा रहे दावत को लेकर विरोध के स्वर मुखर थे।इसे देखते हुए ही जयपुर जिला प्रशासन ने होटल रामबाग पैलेस में सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए थे। वहां भी कुछ राजनीतिक दल और उनके संगठन उनकी इस यात्रा का विरोध कर रहे थे।  राजस्थान करणी सेना नाम के संगठन के सदस्यों ने होटल रामबाग पैलेस के बाहर अशरफ को काले झंडे दिखाए और उनके खिलाफ नारेबाजी की। वहीं अजमेर आने के रास्ते में भी सड़क किनारे खड़े कुछ लोगों ने उनके विरोध में नारे लगाए। विरोध के चलते प्रधानमंत्री परवेज अशरफ की वापसी का रूट बदला गया। दरगाह से लौटते वक्त हेलीपैड का नया रूट पांच किमी लंबा था। पुलिस ने विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को काबू में करने के लिए हल्का लाठी चार्ज भी किया। जयपुर एयरपोर्ट पर राजस्थान सरकार के अतिरिक्त सचिव स्तर के एक अफसर ने अशरफ की अगुवानी की। शायद राजस्थान सरकार को भी लोगों की भावनाओं का अंदाजा है। शायद यही वजह है कि सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या उनके किसी मंत्री ने अशरफ का एयरपोर्ट पर स्वागत नहीं किया। वहीं, विदेश मंत्रालय का एक भी अफसर एयरपोर्ट पर मौजूद नहीं था।  अजमेर जिला प्रशासन ने करीब एक हजार पुलिसवालों को दरगाह के आसपास तैनात किया था। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने मीडिया को पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को मिल रही शह पर सवाल पूछे जाने के बारे में कहा, 'यह ऐसा अवसर नहीं था। इन मुद्दों पर हम अपनी बात उचित मंच पर और उचित समय पर रखते हैं।’

Saturday, March 2, 2013

पीएम उम्मीदवारी की माला


गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी के जयकारों से भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान देश की राजधानी स्थित तालकटोरा स्टेडियम शनिवार को गूंज उठा। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। गुजरात विधानसभा चुनावों में मिली जीत का विशेष तौर पर जिक्र करते हुए राजनाथ ने कहा, 'गुजरात में मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार जीत पर हम सभी को सुखद अनुभूति हुई है। उनके विकास मॉडल और सुशासन की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है। गुजरात के भाजपा कार्यकतार्ओं का मैं शुक्रिया अदा करता हूं।' राजनाथ इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने मोदी को मंच पर बुलाकर माला पहनाकर उनका स्वागत किया।इसके बाद यह सवाल उठा कि क्या यह पीएम उम्मीदवारी की माला है? वैसे भाजपा के इस अधिवशेन में जिस तरह मोदी छा गए, उससे साफ है कि जल्द ही उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। यह बड़ी जिममेवारी पार्लियामेंटरी बोर्ड में उन्हें शामिल करने से शुरू होगी। बाद के दिनों में उन्हें भाजपा चुनाव अभियान की कमान सौंपी जा सकती है। इस बीच हरचंद यह कोशिश होगी कि राजग में उनके नाम सर्वसम्मति न भी बने तो सर्वाधिक सहमति बनाई जाए। गौरतलब है कि आरएसएस की भी करीब-करीब यही सोच है। आरएसएस का एक घड़ा जो मोहन भागवत के हार्डलाइन से इतर राजनीतिक सूझबूझ के साथ इस पूरे अभियान में सक्रिय है, उसकी साफ समझ है कि गठबंधन के इस दौर में आहिस्ते-आहिस्ते और रणनीतिक तौर पर ही मोदी को प्लेस किया जाना चाहिए। आने वाले दिनों में आरएसएस की रणनीतिक बैठक राजस्थान के जयपुर में होने वाली है। उस बैठक में इस अभियान को सेप दिया जा सकता है। भाजपा का एक बड़ा खेमा भी मोदी के नाम पर उत्साहित है। मगर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के लिए यह काम इतना आसान नहीं है, जितना कि दिख रहा है। सुषमा स्वराज, अरुण जेटली के साथ ही आडवाणी इस रणनीति के विस्तार के बड़े बाधा के रूप में पहले से ही चिन्हित हैं। आडवाणी निर्विवाद रूप से आज भी भाजपा के बड़े नेता हैं। उनकी सहमति हर कदम पर महसूस की जा सकती है। संघ मुख्यालय नागपुर भी इस बात और तथ्य से अनजान नहीं है। ऐसे में राजनाथ सिंह की पहल क्या रंग लायेगी यह पूरी तरह से संघ की जयपुर बैठक के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। वैसे तत्काल यह मानने में किसी को कोई हर्ज नहीं होना चाहिए कि शनिवार को जिस अंदाज में मोदी का खैर मकदम किया गया है, उसकी पृष्ठभूमि पीएम पद की उम्मीदवारी के मद्देनजर ही तैयार की गई है। तालकोटरा स्टेडियम में एकत्रित 2200 भाजपा नेताओं से एक साथ खड़े होकर नरेन्द्र मोदी का स्वागत करवाना इस ओर तो इशारा करता ही है कि लोकसभा चुनाव 2014 में नरेन्द्र मोदी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करने वाले हैं।

Friday, March 1, 2013

तेल कंपनियों की मनमानी



पेट्रोल के लगातार बढ़ते दाम से आम आदमी हलकान है और उस पर तेल कंपनियों ने एक बार फिर पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए हैं। एक दिन पहले अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने साफ संकेत दिया था कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बढ़ोत्तरी जारी रहेगी। तेल कंपनियों ने दाम बढ़ाने में कोई देरी नहीं की और दूसरे दिन ही इसकी घोषणा कर दी। यानी अब आदमी को और महंगाई का बोझ सहना पड़ेगा। सरकार ने पिछले साल जून में ही पेट्रोल के दाम को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया था, लेकिन क्या इससे कंपनियों को मनमानी करने की छूट नहीं मिली है? क्या सरकार पेट्रोलियम पदार्थों पर लगने वाले टेक्स पर पुन: विचार करके उसकी कीमतों को कम नहीं कर सकती? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब आम आदमी के लिए बहुत मायने रखते हैं। इंतजार इस बात का है कि सरकार की तरफ से इन सवालों के जवाब कब मिलेंगे? इस बार पेट्रोल की कीमत 1.40 पैसे बढ़ाई गई है। इसमें वैट शामिल नहीं है। लगातर बढ़ रही पेट्रोल की कीमतों से लोगों के घरों का बजट बिगड़ता जा रहा है। तेल कंपनियों का तर्क है कि डॉलर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर दो साल के निचले स्तर तक चले जाने से पेट्रोल के दाम बढ़ाने पड़ रहे हैं। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी के अनुसार पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री करने वाली कंपनियों को पेट्रोल के मौजूदा दाम पर अब भी 2.61 रुपए लीटर का नुकसान उठाना पड़ रहा है। कुल मिलाकर तीनों तेल कंपनियों को पेट्रोल पर रोजाना 15 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इस लिहाज से दाम बढ़ाना जरूरी था। कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आॅइल के बढ़ते दामों का हवाला देकर पेट्रोल के दाम बढ़ाए हैं, लेकिन पिछले महीने जब क्रूड आॅइल के दाम निचले स्तर पर थे तब इन कंपनियों ने जमकर चांदी काटी। उस समय इन कंपनियों को पेट्रोल के दाम कम करने का ख्याल क्यों नहीं आया? एक बात और, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आॅइल के वायदा सौदे होते हैं तो ये कंपनिया वर्तमान परिस्थितियों का रोना रोकर पेट्रोल डीजल के दाम क्यों बढ़ाती हैं? हर बार अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगे क्रूड आॅइल को लगातार बढ़ रही पेट्रोल डीजल की कीमत का कारण बताया जाता है, लेकिन सच तो यह कि भारतीय बाजार में बेचे जाने वाले कुल पेट्रोलियम पदार्थ का 80 प्रतिशत भाग अंतरराष्ट्रीय बाजार से खरीदा जाता है, जबकि 20 प्रतिशत देश के प्राकृतिक संसाधनों से आता है। ऐसे में क्या कंपनियों के लिए पेट्रोलियम पदार्थ के दाम बढ़ाना इतना जरूरी है?