Wednesday, July 20, 2011

जेल ब्रेक की आशंका

आदर्श केंद्रीय कारा बेऊर और मंडल कारा आरा की चहारदीवारी से सटे जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया है. यहां जहानाबाद जेल ब्रेक कांड की पुनरावृत्ति हो सकती है. यह खुलासा रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट में राज्य के जेलों की सुरक्षा व्यवस्था को नाकाफी बताते हुए कहा गया है कि सीसीटीवी व सुरक्षाकर्मियों पर 15. 95 करोड़ रुपये खर्च किये गये, लेकिन वे कहीं काम नहीं कर रहे हैं. 225 वाकी-टाकी की खरीदारी हुई थी. छह केंद्रीय कारा को दिया गया, शेष 38 जेलों में दिया ही नहीं गया. रिपोर्ट में आदर्श केंद्रीय कारा बेऊर व मंडल कारा की जमीन को अतिक्रमण कर लिये जाने की बात कही गयी है.
अगर अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो जहानाबाद जेल ब्रेक कांड को दोहराया जा सकता है.नहीं हटाये गये अतिक्रमण रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय कारा बेऊर के समीप एक सार्वजनिक सड़क तथा अनेक मकान बने हुए हैं. मुख्य सचिव ने अतिक्रमण को फरवरी 2008  में ही हटाने के लिए कहा गया था, लेकिन नहीं हटाये गये. मंडल कारा आरा नक्सल प्रभावित क्षेत्र में है. मुख्य फाटक के सामने तथा दिवाल के दक्षिणी तरफ से जमीन का अतिक्रमण कर लिया गया है.
उस पर बहुमंजिले इमारतों व नाला का निर्माण किया गया है. आदेश के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाया गया है. इस जेल से दो कैदी फरार भी हो चुके हैं. नहीं होता है वरीय अधिकारियों का निरीक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2005 से 2010 के बीच जेलों के अंदर आइजी को 101 बार निरीक्षण करना था, लेकिन मात्र सात बार ही निरीक्षण किया गया.
इसी तरह आइजी व जिलाधिकारियों द्वारा 790 बार निरीक्षण किया जाना था, लेकिन मात्र 12 बार ही निरीक्षण किया गया. वह भी निरीक्षण पंजी में दर्ज नहीं है. हद तो यह है भारत सरकार द्वारा 2003 में लागू की गयी आदर्श कारा नियमावली को लागू नहीं किया गया है. जहां तक जेल कर्मियों की उपलब्धता का सवाल है तो राज्य के 57 जेलो के लिए 7097 कर्मियों के पद सृजित हैं उसमें से 5470 पद खाली हैं.

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