Thursday, July 7, 2011

बिहार में नहीं खर्च हो रहा एमपी फंड

बिहार में पिछले दिनों में विकास कार्यों को गति मिली हैं, सरकार का ऐसा ही कुछ दावा हैं. आरोप यह भी हैं कि केंद्र बिहार कि जरूरतों के अनुसार सहयोग नहीं कर रहा हैं. एक हद तक राज्य सरकार के इस आरोप को मान भी लिया जय तब भी कई ऐसे सवाल हैं जो अनुतरित रह जाते हैं. मसलन केन्द्रीय योजनाओं की शत प्रतिशत राशि का खर्च नहीं होना, एमपी फंड का पड़ा रह जाना आदि. पिछले वर्ष मार्च यानि २०१० के मार्च तक एमपी फंड में प्राप्त राशि में से २५१ करोड़ का खर्च नही होना तो यही साबित करता हैं कि राज्य के प्रशासनिक तंत्र में ही कहीं न कहीं खामी हैं. लोकसभा से प्राप्त ११७१ करोड़ कि राशि में से १८० करोड़ तथा राज्यसभा से प्राप्त ४७२ करोड़ में से ७१ करोड़ रूपये पड़े रह गए. आखिर ये रूपये क्यों नहीं खर्च हुए, इसका माकूल जवाब किसी के पास नहीं हैं. राज्य सरकार का अपना तर्क हैं. केंद्र से उसने प्रशासनिक व्यय वहां करने की मांग के साथ ही मोनिटरिंग सिस्टम की जिम्मेवारी लेने को कहा हैं. तर्क यह भी है की राज्य की अपनी योजनायें इतनी हैं की उसका प्रशासनिक आमला उसे ही सँभालने में लगा हुआ हैं. ऐसे में केंद्रीय योजनाओं और एमपी फंड का कार्यान्वयन मुश्किल हो रहा हैं. दूसरी शिकायत एमपी द्वारा खर्च की अनुशंसा का नहीं मिलना भी हैं. ४० में से २० सांसदों की ओर से किसी भी योजना की कोई अनुशंसा नहीं मिली हैं.इनमे राजद सुप्रीमो और सारण के सांसद लालू प्रसाद, भागलपुर के सैयद शहनाज हुसैन, पूर्वी चंपारण के राधा मोहन सिंह, औरंगाबाद के सुशील कुमार सिंह, कटिहार के निखिल कुमार चौधरी, मुंगेर के  राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह, मधेपुरा के सांसद शरद यादव आदि हैं. वैसे कुछ सांसदों ने योजनाओं की अनुशंसा की हैं, उनमे पहले स्थान पर किशनगंज के सांसद मो. अख्तरूल, कैप्टेन जय नारायण निषाद, लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार, सिवान के ओम प्रकाश यादव, हुकुमदेव नारायण यादव और शत्रुघ्न सिन्हा शामिल हैं. फिलवक्त केंद्र सरकार ने एमपी फंड प्रति  वर्ष २ करोड़ से बढ़ा कर ५ करोड़ दर दिया हैं. ४० लोकसभा और १६ राज्यसभा सदस्यों के २८० करोड़ रुपये इस सुस्त चाल से कैसे खर्च होंगे? यंहा सवाल यह नहीं है कि ये पैसे केंद्र के हैं या राज्य के, इसे विकास कार्यों पर खर्च तो बिहार में ही होना हैं. फिर बिहार को विकास की पटरी पर दौड़ाने का दावा करने वालों को इसमें आपति कैसी?

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