Sunday, January 6, 2013

पागल का प्रलाप



महाराष्ट नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के बिहारियों के प्रति विवादास्पद बयान दरअसल किसी पागल का प्रलाप ही है। वैसे इस तरह के बयान देने के पीछे एक मात्र मकसद सस्ती लोकप्रियता हासिल करना ही होता है। मगर इस तरह के बेहुदा और बेतुका बयानों से देश के संघीय ढांचे व लोकतंत्र का कितना नुकसान होता है, इसपर भी गौर करने की जरूरत है। वैसे नेताओं ने इस पागलपन भरे बयान की तीखी आलोचना की है। राज ठाकरे ने कहा कि 'सभी बलात्कार-बलात्कार चिल्ला रहे हैं लेकिन सभी बलात्कारी बिहार के हैं ये कोई नहीं कह रहा है।'कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा है कि ये बयान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान से देश और लोकतंत्र कमजोर होता है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेता लालू यादव ने राज ठाकरे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इस तरह की कटुतापूर्ण बात नहीं की जानी चाहिए। जदयू के सांसद अली अनवर ने कहा, इनको आदत है, इस तरह की बात बोलने की, इस तरह से लोगों को लांछित करने की यह कोई तरीका नहीं है। यह एक राज्य और एक इलाके की बात नहीं है। बिहार के भाजपा नेता और राज्य काबीना के मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा,अगर इस तरह का बयान राज ठाकरे ने दिया है तो वह अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। नफरत फैलाकर कोई राजनीति की सीढ़ी चढ़ना चाहता है तो यह स्थाई नहीं हो सकता है। ऐसे लोगों पर राजद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए। इससे पहले भी महाराष्ट्र में बिहारियों को 'घुसपैठिया' करार देने वाले मुंबई के मराठी नेता राज ठाकरे के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया हुआ है। राज ठाकरे ने जनवरी 2012 में उत्तर भारतीयों पर प्रहार करते हुए कहा था कि 13 जुलाई 2011 के मुंबई हमलों के मामले में बिहार के कथित चरमपंथियों का गिरफ्तार किया जाना ये दशार्ता है कि इस हमले का बिहार से संबंध था।

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