Saturday, January 19, 2013

दिल्ली में महफूज नहीं महिलाएं, 23 फीसद बढ़े रेप के मामले

राष्ट्रीय राजधानी में महिलाएं अब भी महफूज नहीं हैं। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ आपराधिक मामलों में कोई कमी नहीं आई है। 2012 में यहां आपराधिक मामलों में 1.75 फीसद वृद्धि हुई है, वहीं रेप के मामलों में 23.43 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि छीना-झपटी और वाहन चोरी जैसे सड़क पर होने वाले अपराधों में कमी आई है। वर्ष 2011 की तुलना में पिछले साल जघन्य अपराधों में वृद्धि हुई है।आपराधिक मामलों की संख्या 2011 के 53,353 की तुलना में पिछले साल बढ़कर 54,287 हो गई। 2010 में इनकी संख्या 51,292 थी। वाषिर्क रिपोर्ट में दिल्ली के पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने कहा कि 2012 वैसे हमारे लिए संतोषजनक अंत लेकर आ रहा था, लेकिन 16 दिसंबर को हुई रेप की घटना ने इसे दुखद बना दिया। इससे देश स्तब्ध हो गया और लोगों ने सड़कों पर उतरकर अपना गुस्सा दिखाया, जो ज्यादातर पुलिस के खिलाफ था। लोगों द्वारा हमें निशाने पर लेना असामान्य नहीं है, क्योंकि हम सरकार के अंग हैं। लेकिन यह गुस्सा केवल हमारे खिलाफ नहीं था बल्कि शायद आपराधिक न्यायिक व्यवस्था के खिलाफ भी था। वार्षिक रिपोर्ट में हत्या के मामलों में कमी आई है। पुलिस के समक्ष दर्ज कराए गए मामलों के अनुसार जहां 2010 में हत्या के मामलों की संख्या 565 और 2011 में 543 थी वहीं पिछले साल यह घटकर 521 हो गई। हत्या की संख्याओं में 4.05 प्रतिशत की कमी आई। वाहन चोरी के मामलों में भी लगातार दूसरे साल कमी आई। जहां 2011 में इन मामलों की संख्या 14,668 थी वहीं 2012 में इनकी संख्या 14,391 रही। हालांकि राजधानी में महिलाओं के साथ रेप व छेड़छाड़ की घटनाओं में क्रमश: 23.43 और 10.65 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। 2011 के 572 रेप मामलों की तुलना में 2012 में इन मामलों की संख्या बढ़कर 706 हो गई। छेड़छाड़ के मामलों की संख्या 657 से बढ़कर 727 हो गई। 2012 के आखिरी 15 दिनों में अकेले छेड़छाड़ के 75 मामले सामने आए। पिछले साल पूर्व के सालों की तुलना में डकैती, वसूली के लिए अपहरण, चोट और घरों में चोरी के मामलों में कमी आई। कुमार के मुताबिक जघन्य अपराधों के 2,402 मामलों को सुलझाने में सफलता की दर 89.47 फीसद रही।

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