Sunday, January 20, 2013
राहुल की चुनौतियां
युवाओं के बीच खासी पैठ रखने का दावा करने वाले राहुल गांधी के सामने बतौर उपाध्यक्ष कई चुनौतियां हैं। पार्टी का एक बड़ा तबका उन्हें अगले आम चुनावों के बाद प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहता है। 42 साल के राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी जिम्मेदारियों में से एक उनके युवा प्रशंसकों को वोट में बदलने की है। पिछले साल हुए यूपी विधानसभा के चुनावों में राहुल गांधी ने पार्टी के लिए जमकर पसीना बहाया, लेकिन मतदाताओं ने उन्हें उम्मीद से कम वोट दिए। इसके अलावा हाल ही में गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान भी वोटरों पर उनका जादू उतना नहीं चला, जितने की उम्मीद की गई थी। कई अहम राष्ट्रीय मुद्दों पर उनकी चुप्पी भी विपक्ष को उन पर हमला बोलने का मौका देती है। इन सब के अलावा संगठनों को मजबूत करने और कार्यकतार्ओं में नया जोश भरने की जिम्मेदारी भी उन पर होगी। वैसे राहुल गांधी का मानना है कि वह निराशावादी नहीं बल्कि आशावादी हैं। भविष्य की तस्वीर खींचते हुए राहुल ने कहा कि कैश सब्सिडी योजना से भ्रष्टाचार खत्म होगा। सत्ता तभी असरदार होगी जब को निचले तबके तक पहुंच पाएगी। राहुल ने कहा कि युवाओं को रोजगार दिलाने के उपाय खोजने होंगे। पार्टी के बारे में उन्होंने कहा कि कांग्रेस हिंदुस्तान का सबसे बड़ा परिवार है। राहुल ने कहा कि वह सबको साथ लेकर चलने में यकीन रखते हैं और अगर देश में बदलाव लाना है तो सबको साथ मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि यही बात पार्टी पर भी लागू होती है। हमें कार्यकतार्ओं और नेताओं को बराबर तवज्जो देना होगा। राहुल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में हिंदुस्तान का डीएनए है। विपक्ष के लोग ये बात नहीं जानते हैं। राहुल ने कहा कि कांग्रेस के लिए हर भारतीय एक बराबर है। पार्टी धर्म और जाति का भेद नहीं करती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भविष्य के लिए नेता तैयार करना होगा। टिकट बंटवारे पर बोलते हुए राहुल ने कहा कि कांग्रेस की छवि इस मामले में काफी दयनीय है। राहुल अपनी कमजोरियों से भी वाकिफ हैं। ऐसे में आने वालों दिनों की चुनौतियों से वह अनजान हैं, ऐसा नहीं कहा जा सकता है।
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