Sunday, January 27, 2013

नंदी का बेतुका बयान



बुद्धिजीवी व समाजशास्त्री आशीष नंदी ने शनिवार को जयपुर में आयोजित साहित्योत्सव के एक सत्र में कहा  कि अधिकतर भ्रष्ट लोग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं। उनके इस बयान के बाद सामाजिक-राजनीतिक हलकों में मानों भूचाल आ गया। गणतंत्र दिवस होने के बावजूद कई सामाजिक व राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोगों ने न केवल नंदी के बयानों की कटु आलोचना की बल्कि उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर जयपुर के अलावा देश के अन्य शहरों में हंगामा भी शुरू कर दिया। बसपा प्रमुख मायावती जहां इस तरह के उनके बयान को अविलंब वापस लेने की मांग की वहीं कांग्रेस के पी एल पुनिया ने ऐसे बेतुके बयान की घोर निन्दा की। देश की मुख्य प्रतिपक्षी पार्टी भाजपा ने भी नंदी के बयान से असहमति व्यक्त की और कहा कि भ्रष्टाचार से किसी वर्ग विशेष को केवल जोड़ा नहीं जा सकता है। यह एक अपराध है जो कोई भी इस तरह का अपराध करता है,वह किसी जाति, वर्ग और सम्प्रदाय या समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने भी नंदी के बयान की आलोचना की और ऐसे वक्तव्य को अनावश्यक करार दिया। देशव्यापी निन्दा और विरोध के बीच नंदी को रविवार सुबह हिंदी इंग्लिश भाई-भाई विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करना था लेकिन अनुसूचित जाति,जनजाति राजस्थान मंच के विरोध प्रदर्शन के चलते उन्हें शहर छोड़कर जाना पड़ा। पांच दिवसीय जयपुर साहित्योत्सव सोमवार तक चलेगा। इस बीच पुलिस ने जयपुर साहित्योत्सव में दिए लेखक व समाजशास्त्री आशीष नंदी के विवादास्पद बयान का वीडियो मांगा है। वैसे नंदी के खिलाफ जयपुर के एक थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है। संभव है कि उनके इस विवादास्पद बयान के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई हो। मगर एक बात समझ से परे है कि आखिर नंदी जैसे लेखक व समाजशास्त्री ने इस तरह का बेतुका बयान आखिर किसी शोध व निष्कर्ष के आधार पर दिया। समाज के किसी भी वर्ग को आरोपित करने की यह प्रवृति घातक है।

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