Friday, March 1, 2013

तेल कंपनियों की मनमानी



पेट्रोल के लगातार बढ़ते दाम से आम आदमी हलकान है और उस पर तेल कंपनियों ने एक बार फिर पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए हैं। एक दिन पहले अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने साफ संकेत दिया था कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बढ़ोत्तरी जारी रहेगी। तेल कंपनियों ने दाम बढ़ाने में कोई देरी नहीं की और दूसरे दिन ही इसकी घोषणा कर दी। यानी अब आदमी को और महंगाई का बोझ सहना पड़ेगा। सरकार ने पिछले साल जून में ही पेट्रोल के दाम को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया था, लेकिन क्या इससे कंपनियों को मनमानी करने की छूट नहीं मिली है? क्या सरकार पेट्रोलियम पदार्थों पर लगने वाले टेक्स पर पुन: विचार करके उसकी कीमतों को कम नहीं कर सकती? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब आम आदमी के लिए बहुत मायने रखते हैं। इंतजार इस बात का है कि सरकार की तरफ से इन सवालों के जवाब कब मिलेंगे? इस बार पेट्रोल की कीमत 1.40 पैसे बढ़ाई गई है। इसमें वैट शामिल नहीं है। लगातर बढ़ रही पेट्रोल की कीमतों से लोगों के घरों का बजट बिगड़ता जा रहा है। तेल कंपनियों का तर्क है कि डॉलर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर दो साल के निचले स्तर तक चले जाने से पेट्रोल के दाम बढ़ाने पड़ रहे हैं। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी के अनुसार पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री करने वाली कंपनियों को पेट्रोल के मौजूदा दाम पर अब भी 2.61 रुपए लीटर का नुकसान उठाना पड़ रहा है। कुल मिलाकर तीनों तेल कंपनियों को पेट्रोल पर रोजाना 15 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। इस लिहाज से दाम बढ़ाना जरूरी था। कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आॅइल के बढ़ते दामों का हवाला देकर पेट्रोल के दाम बढ़ाए हैं, लेकिन पिछले महीने जब क्रूड आॅइल के दाम निचले स्तर पर थे तब इन कंपनियों ने जमकर चांदी काटी। उस समय इन कंपनियों को पेट्रोल के दाम कम करने का ख्याल क्यों नहीं आया? एक बात और, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आॅइल के वायदा सौदे होते हैं तो ये कंपनिया वर्तमान परिस्थितियों का रोना रोकर पेट्रोल डीजल के दाम क्यों बढ़ाती हैं? हर बार अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगे क्रूड आॅइल को लगातार बढ़ रही पेट्रोल डीजल की कीमत का कारण बताया जाता है, लेकिन सच तो यह कि भारतीय बाजार में बेचे जाने वाले कुल पेट्रोलियम पदार्थ का 80 प्रतिशत भाग अंतरराष्ट्रीय बाजार से खरीदा जाता है, जबकि 20 प्रतिशत देश के प्राकृतिक संसाधनों से आता है। ऐसे में क्या कंपनियों के लिए पेट्रोलियम पदार्थ के दाम बढ़ाना इतना जरूरी है?

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