Tuesday, March 12, 2013

...मगर इन्हें शर्म आती नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस ने माना है कि उसने बेगुनाह लोगों पर कॉन्स्टेबल सुभाष चन्द्र तोमर की हत्या का केस लगाया था। हाई कोर्ट में पुलिस ने कहा है कि जिन आठ लोगों पर सुभाष तोमर की हत्या का केस लगाया था उसे वो वापस लेगी। दरअसल, दिल्ली पुलिस ने कांस्टेबल सुभाष चन्द्र तोमर की मौत के केस में आठ आरोपियों पर हत्या का केस दर्ज किया था। दिल्ली पुलिस का हाईकोर्ट में कबूलनामा पुलिस के काम करने के तरीके पर बड़े सवाल उठा रहा है।अगर आप विस्मृत नहीं हुए हो, तो याद करें, किस तरह से दिल्ली पुलिस के आयुक्त व उपायुक्त इस पूरे मामले में झूठ पर झूठ बोल रहे थे। तब दिल्ली पुलिस की हरचंद कोशिश यह थी कि किसी तरह से कॉन्स्टेबल सुभाष चन्द्र तोमर की मौत को हत्या करार देकर दामिनी मामले का दमन किया जाए। गौरतलब हो कि दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल सुभाष तोमर 23 दिसंबर को इंडिया गेट के पास प्रदर्शन के दौरान गिर गए थे, जिसके बाद 25 दिसंबर को उनकी मौत हो गई थी। दिल्ली पुलिस ने तोमर की मौत पर आठ लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया था, जबकि उनकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और डॉक्टरों के बयान से हत्या की पुष्टि नहीं हुई थी। सुभाष तोमर को बचाने का दावा करने वाले दो चश्मदीद योगेंद्र और पाओलिन भी सामने आए थे, जिन्होंने कहा था कि सुभाष तोमर भीड़ को खदेड़ते वक्त गिर गए थे। दिल्ली पुलिस के दावों की मेट्रो के सीसीटीवी फुटेज से भी पोल खुल गई थी। जिन लोगों को पुलिस हत्या का आरोपी बता रही थी उनमें से कुछ लड़कों की तस्वीर मेट्रो स्टेशन के फुटेज से मिली थी। दिल्ली पुलिस ने अपने दावों के पक्ष में सलीम नाम के एक गवाह को पेश किया था जो कह रहा था कि तोमर की हत्या हुई है, लेकिन उस दिन सलीम की मोबाइल का लोकेशन इंडिया गेट नहीं यूपी के बुलंदशहर था। गवाहों और सबूतों के धरातल पर कमजोर पड़ने के बाद अब दिल्ली पुलिस को इस केस में पीछे हटना पड़ा है। दरअसल पुलिस के तौर-तरीकों पर यह एक सवाल है और इसके साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि सिस्टम ने इन्हें ऐसा बेशर्म बना दिया है कि इन्हें कभी शर्म आती नहीं।

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