Monday, March 25, 2013

चीन ने डाला रंग में भंग



चीन में निर्मित रंग, गुलाल और पिचकारी के भारतीय बाजारों में छा जाने से भारतीय लघु एवं मझोली इकाइयों (एसएमई) के रंग में भंग पड़ने लगा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के एक सर्वेक्षण के अनुसार देश में पिचकारी, गुब्बारे, रंग आदि बनाने वाले 75 प्रतिशत एसएमई मानते हैं कि उनका कारोबार कम हुआ है और चीन का माल आने से उनमें रोजगार के अवसर घटे हैं। चीन के सस्ते और विविध माल की मार से देश में एसएमई इकाइयों की संख्या तो घटी ही है इससे 8 से लेकर 10 लाख तक रोजगार का भी नुकसान हुआ है। एसोचैम सामाजिक विकास न्यास (एएसडीएफ) द्वारा कराये गये इस सर्वेक्षण में हर्बल रंगों और चीन से आये होली के सामान की मांग एवं आपूर्ति पर निगाह डाली गई। फांउडेशन ने इलाहाबाद, आगरा, हाथरस, मथुरा, वृंदावन, दिल्ली,एनसीआर, कानपुर, लखनउ, वाराणसी और पटना शहरों में होली रंग पिचकारी विनिमार्ताओं के बीच जनवरी-फरवरी 2013 में यह सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में कहा गया है कि कई लघु इकाइयों को कारोबार के साथ साथ पूंजी का भी नुकसान हुआ और कई इकाइयां बैंकों तथा महाजनों के कर्ज बोझ तले दब गई। एसोचैम महासचिव डी.एस. रावत ने सर्वेक्षण जारी करते हुये कहा कि ऐसे उत्पाद जिन्हें देश में बिना किसी विशेष प्रौद्योगिकी के तैयार किया जा सकता है, उनके आयात को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। रावत ने कहा कि होली, दिवाली के मौके पर सस्ते सामान का चीन से आयात बढ़ने की वजह से पिछले 2 से 3 साल के दौरान 1,000 के करीब लघु एवं मझौली इकाइयां बंद हो चुकी हैं। इलाहाबाद, बृजमंडल, दिल्ली, कानपुर, लखनउ और पटना में कई इकाइयां बंद हुई हैं। सर्वे में कहा गया प्लास्टिक के खिलौने और पिचकारी के एक थोक विक्रेता के अनुसार चीन से आयातित होली का पूरा सामान बिक गया जबकि स्थानीय विर्निमाताओं से खरीदा गया सामान अभी भी उनके गोदाम में पड़ा है। थोक विक्रेता ने बताया पिछले साल जहां चीन और घरेलू सामान की बिक्री का अनुपात क्रमश 80 और 20 था इस साल यह चीन के पक्ष में और झुककर 95 और पांच हो गया। एसोचैम के अनुसार होली और इससे जुड़ा कारोबार इस साल 15,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है. यह सालाना 20 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है। होली के गुब्बारे, पानी छोड़ने वाली बंदूक, पिचकारी और खिलौने का कारोबार 10,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जबकि हर्बल और सुगंधित रंगों का कारोबार इस होली पर 5,000 करोड़ रुपये को छूने की उम्मीद है। चीन की पिचकारी हालांकि, महंगी है लेकिन यह 10 रुपये से लेकर 1,000 रुपये के दायरे में उपलब्ध है इस लिहाज से हर वर्ग के लोगों के लिये उपलब्ध है। दूसरी तरफ यहां कि परंपरागत प्लास्टिक की पिचकारी पांच से 50 रुपये में बिक रही है लेकिन शहरी क्षेत्रों में इसके खरीदार नहीं हैं।गांव में मेड इन चाइना का टैग लगाकर ग्राहकों को आकर्षित किया जा रहा है।

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