Sunday, March 10, 2013

धर्मनिरपेक्षता पर मोदी मंत्र



पीएम पद की दावेदारी की तरफ कदम बढ़ा रहे नरेंद्र मोदी ने धर्मनिरपेक्षता की अपनी परिभाषा दी है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि देश के नागरिकों के हर फैसले में भारत सबसे पहले होना चाहिए और धर्मनिरपेक्षता की बुनियाद यही होगी कि जो भी काम किया जाए वह भारत के लिए हो। मोदी ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता की मेरी परिभाषा काफी साधारण है, 'पहले भारत'। आप जो भी करें, जहां कहीं भी काम करें, इसके सभी नागरिकों के लिए भारत ही सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। यदि ऐसा होता है तो धर्मनिरपेक्षता अपने आप हमारी रगों में दौड़ेगी। मोदी ने ये बातें रविवार की सुबह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अमेरिका और कनाडा के प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहीं। इस दौरान मोदी ने गुजरात की जमकर तारीफ की। हालांकि मोदी ने करीब 50 मिनट के अपने भाषण में गुजरात दंगों का जिक्र तक नहीं किया। पर ये जरूर माना कि उनकी सरकार ने भी गलतियां की हैं, लेकिन साथ ही ये भी कहा कि विकास होने पर जनता माफ कर देती है। मोदी ने कहा कि अगर आप अच्छा काम करोगे, निरंतर अच्छा करोगे, बिना स्वार्थ के करोगे तो लोग आपकी गलतियां भी माफ करते हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी जिस गलती की बात कह रहे हैं क्या उसका मतलब गुजरात दंगों से है? पिछले हफ्ते व्हार्टन इंडिया इकनॉमिक फोरम में मुख्य वक्ता के तौर पर दिया जाने वाला मोदी का भाषण रद्द कर दिया गया था। इसके पीछे यूनिवर्सिटी आॅफ पेनसिलवेनिया के प्रोफेसरों और छात्रों के एक तबके का विरोध था। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि कांग्रेस सेकुलरिज्म पर चल रही है। मोदी के बारे में बीजेपी जाने हमें कोई लेना देना नहीं है।  सीपीएम नेता प्रकाश करात ने कहा कि गुजरात मॉडल देश के लिए स्वीकार्य नहीं है। वहीं, बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कुछ पार्टियां धर्मनिरपेक्षता के तवे पर रोटियां सेंक रही हैं। हम कर्म निरपेक्षता को प्रधानता देते हैं। सबका साथ, सबका विश्वास होना चाहिए। मोदी ने भी यही कहा कि धर्म निरपेक्षता को कर्म निरपेक्षता से जोड़ना चाहिए।

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