Friday, February 1, 2013

जनता पर तिहरा बोझ


महंगाई की मार झेल रही जनता पर सरकार ने तिहरा बोझ डाल दिया है। पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने हर महीने डीजल के दाम में 40 से 50 पैसे प्रति लीटर का इजाफा होने की घोषणा की है। वहीं रेलवे ने पहले ही किराया बढ़ा दिया है। इसके अलावा प्याज की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। मोइली ने पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में बढ़ोत्तरी के पीछे डीजल की बिक्री पर सरकारी तेल कंपनियों को हो रहे घाटे को कारण बताया है। दिलचस्प है कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट में सबसे ज्यादा खपत डीजल की ही होती है। मोइली का कहना है कि अगले आदेश तक आॅयल मार्केटिंग कंपनियां डीजल की कीमतों में 40-50 पैसे प्रति लीटर बढ़ाएंगी। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि कंपनियां डीजल की कीमत में अगला इजाफा कब करेंगी।  दिलचस्प है कि हर महीने 40-50 पैसे डीजल को महंगा करने पर सरकार द्वारा इस मद में दी जा रही सब्सिडी में करीब 12907 करोड़ रुपए की कमी आएगी। सरकार इन फैसलों के पीछे पेट्रोलियम कंपनियों को हो रहे नुकसान, बढ़ते राजकोषीय घाटे और अर्थव्यवस्था की खराब हालत को जिम्मेदार बता रही है। इस समय तेल कंपनियों को डीजल की बिक्री पर प्रति लीटर 10.16 रुपये, केरोसीन तेल पर 32.17 रुपये और एलपीजी सिलेंडरों पर 490.50 रुपये का नुकसान हो रहा है जिसकी भरपाई सब्सिडी के रूप में वित्त मंत्रालय और अपस्ट्रीम कंपनियों को करनी पड़ती है। फिलहाल बाजार मूल्य से कम कीमत पर पेट्रोलियम पदार्थ बेचने की वजह से 1,55,313 करोड़ रुपये की सब्सिडी का अनुमान लगाया गया है। दिलचस्प है कि सरकार ने 2012 में अलग-अलग चरणों में 8 रुपये तक की बढ़ोत्तरी डीजल के दामों में की थी। इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ने वाला है। खाने-पीने की चीजों से लेकर पब्लिक ट्रांसपोर्ट के किराए तक हर जगह महंगाई की आग लगनी तय है। मगर सरकार इससे बेफिक्र है। आम लोगों के लिए इस महंगाई को अब झेल पाना मुश्किल होता जा रहा है। मगर सरकार सब्सिडी के बोझ को कम करने के बहाने जनता की फजीहत करने पर तुली है।

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