Saturday, February 9, 2013

देर से उठाया गया सही कदम



2001 में संसद पर हुए हमले के दोषी मोहम्मद अफजल गुरु को शनिवार को दिल्ली के तिहाड़ जेल में सुबह आठ बजे फांसी दे दी गई। अफजल की फांसी दरअसल देश के खिलाफ आतंक को करारा जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। आम प्रतिक्रिया रही कि देर से ही उठाया गया एक सही कदम है। जैश ए मोहम्मद के आतंकवादी को फांसी दिये जाने के कुछ ही देर बाद गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने कहा, अफजल गुरु को सुबह आठ बजे फांसी दे दी गई। राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता वेणु राजामणि ने कहा कि 43 वर्षीय गुरु की दया याचिका कुछ दिन पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खारिज कर दी थी, जिसे 2002 में विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी और 2004 में उच्चतम न्यायालय ने इस सजा को बरकरार रखा था। इससे पहले मुम्बई पर आतंकी हमले एक मात्र जीवित आतंकी एवं इस मामले में दोषी करार अजमल कसाब को पिछले वर्ष 21 नवंबर को फांसी दी गई थी। गुरु को गोपनीय अभियान में फांसी दी गई। उत्तरी कश्मीर के सोपोर में रहने वाले अफजल के परिवार को सरकार के इस फैसले से अवगत करा दिया गया था कि राष्ट्रपति ने उसकी दया याचिका ठुकरा दी है। गुरू के शव को तिहाड़ जेल में ही दफनाया गया,जैसे कि कसाब के मामले में हुआ था। कसाब को फांसी दिये जाने के बाद पुणे स्थित यरवदा जेल में ही दफनाया गया था। अफजल को फांसी पर लटकाए जाने की प्रक्रिया सुबह आठ बजे तक पूरी हो गयी थी। अफजल को 2004 में मौत की सजा सुनाई गई थी। इससे पहले शनिवार तड़के कश्मीर घाटी में कर्फ्यू लगा दिया गया। कानून व्यवस्था की स्थिति पर नजर रखने के लिए जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पुलिस महानिदेशक अशोक प्रसाद और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शनिवार सुबह जम्मू से श्रीनगर पहुंच गये थे। बहरहाल, पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी संगठनों ने घाटी में तीन दिन के बंद का आह्वान किया है। वैसे एहतियात के तौर पर पूरे देश में अलर्ट घोषित कर दिया गया है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने सरकार के इस कदम की सराहना की है।

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