Friday, December 28, 2012

फैसला सवालों के घेरे में



दिल्ली में गैंगरेप की शिकार युवती को इलाज के लिए एकाएक सिंगापुर भेजने का सरकार का फैसला सवालों के घेरे में आ गया है। खुद डॉक्टरों ने सरकार के इस फैसले पर अंगुली उठानी शुरू कर दी है। एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार सफदरजंग अस्पताल में भर्ती 23 वर्षीय गैंगरेप पीड़िता को इलाज के लिए सिंगापुर भेजने के पीछे मेडिकल कारण कम और राजनीतिक कारण ज्यादा नजर आ रहे हैं। अखबार के अनुसार जब सामूहिक दुष्कर्म की शिकार पीड़िता को सिंगापुर शिफ्ट करने का फैसला लिया गया तो इलाज कर रहे डॉक्टरों से बस इतना पूछा गया कि क्या पीड़िता सिंगापुर जाने की स्थिति में है? सरकार ने इलाज कर रहे डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम से यह नहीं पूछा कि सिंगापुर शिफ्ट किया जाए या नहीं? या फिर वहां दिल्ली से बेहतर किस मामले में इलाज होगा। डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि सरकार फैसला ले चुकी थी कि पीड़िता को सिंगापुर भेजा जाए। डॉक्टरों ने बताया कि हम यहां मरीज को बेहतर चिकित्सा दे रहे थे। अखबार के अनुसार पीड़िता को सिंगापुर भेजने का निर्णय डॉक्टरों का नहीं था, बल्कि सरकार की तरफ से लिया गया फैसला है। एम्स के एक वरिष्ठ डॉक्टर का कहना है कि जब प्रधानमंत्री का यहां आॅपरेशन और इलाज हो सकता है तो फिर एक मरीज को सिंगापुर भेजने की क्या जरूरत थी। एम्स के जेपीएन ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ. एमसी मिश्रा का कहना है कि सरकार के निर्देश और छात्रा के हित को ध्यान में रखकर उसे सिंगापुर भेजे जाने का निर्णय लिया गया है। अखबार ने सर गंगाराम अस्पताल में आॅर्गन ट्रांसप्लांट और गेस्ट्रो सर्जरी डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉ. समीरन नंदी के हवाले से लिखा है कि जब पीड़िता खून से लथपथ थी,उसकी हालत बेहद नाजुक थी और उसे कई दिनों से वेंटिलेटर पर रखा जा रहा था तब ऐसे हालात में उसे सिंगापुर भेजना वाकई में संदेहास्पद है। वैसे पूरा देश पीड़िता की प्राण रक्षा के लिए दुआ कर रहा है। सरकार को भी इस मामले में राजनीति से परे रहने की जरूरत है।

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