Sunday, December 23, 2012

‘क्रिकेट के भगवान’ की एक पारी का अंत



भारतीय क्रिकेट जब जब संकट के दौर से गुजरा, संकट से उबारने के लिए सचिन रमेश तेंदुलकर के रूप में भगवान ने अवतार लिया। सचिन तेंदुलकर ने भारतीय क्रिकेट को एक नई ऊंचाई दी। आज क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने अपने क्रिकेट करियर की एक पारी की समाप्ति की घोषणा करते हुए वनडे क्रिकेट को संन्यास ले लिया। भारत में क्रिकेट दरअसल खेल नहीं धर्म है और उस धर्म में सचिन भगवान की तरह पूजे जाते हैं। उनका अचानक वनडे क्रिकेट को अलविदा कहना करोड़ों प्रशंसकों के लिए सदमे से कम नहीं है। अब सचिन को चाहने वालों को उनका कलात्मक खेल नहीं दिखेगा, न तो टी-20 और न ही वनडे में। टी-20 से तो सचिन ने पहले ही संन्यास ले लिया था। अपने 23 साल के क्रिकेट करियर में सचिन ने दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज शोएब अख्तर और सबसे बेहतरीन स्पिनर शेन वॉर्न को अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया। दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में सबसे श्रेष्ठ सचिन के सामने उनके समकक्ष ब्रायन लारा और रिकी पॉन्टिंग भी उनकी तारीफ करते नहीं थकते हैं। सचिन सिर्फ बेहतरीन क्रिकेटर ही नहीं बल्कि सुलझे हुए इंसान भी हैं। कभी विवादों में नहीं रहने वाले सचिन को तभी तो राज्यसभा में बतौर सांसद मनोनीत किया गया। सचिन तेंदुलकर ने अपने क्रिकेट करियर में कीर्तिमानों की झड़ी लगा दी, इसलिए सचिन को क्रिकेट का शहंशाह कहा जाता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शतकों का शतक बनाया। सचिन ने 100वां शतक बांग्लादेश के खिलाफ 16 मार्च 2012 को मीरपुर में बनाया था। वनडे करियर की शुरूआत सचिन ने 1989 में पाकिस्तान के गुजरांवाला में भारत के चिरप्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ की थी। टेस्ट करियर का आगाज भी 1989 में पाकिस्तान के कराची में किया था। पहला शतक लगाने में सचिन को पांच साल लग गए। सचिन का कीर्तिमान क्रिकेट में अमर रहेगा।

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