Thursday, December 27, 2012

हर हाल में मिले विशेष राज्य का दर्जा: नीतीश



मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को राष्ट्रीय विकास परिषद् (एनडीसी)की बैठक में अपने प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पुरजोर ढंग से फिर उठाते हुए केंद्र सरकार से अपील की कि वह देश के सकल घरेलू उत्पाद में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने तथा प्रति व्यक्ति आय को राष्ट्रीय औसत के बराबर पहुंचाने एवं विकास दर में वृद्धि के लिए राष्ट्रहित में उनकी मांग पर विचार करें। श्री कुमार ने विज्ञान भवन मेंं 12वीं पंचवर्षीय योजना के अनुमोदन के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में एन डी सी की 57 वीं बैठक में कहा कि बिहार को विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा देने के लिए वह गत छह वर्षों से मुहिम चला रहे हैं और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसके लिए एक अंतर्मंत्रालीय समूह का गठन भी किया पर इस समूह ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया और पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर विशेष दर्जे के लिए पूर्व निर्धारित मानकों के आधार पर ही निष्कर्ष निकाल दिया।
उन्होंने कहा कि बिहार की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत की एक तिहाई है। प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही बिहार की प्रति व्यक्ति आय एवं राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय में अंतर बढ़ता जा रहा है। राज्य में प्रति व्यक्ति आय के राष्ट्रीय औसत को प्राप्त करने में 25-30 वर्ष लगेंगें। इसलिए 12 वीं पंचवर्षीय योजना में राज्य के विकास के लिए विशेष ध्यान देना होगा ताकि प्रति व्यक्ति की आय की इस खाई को कारगर तरीके से पाटा जा सके। उन्होंने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में भारतीय अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर 7.94 प्रतिशत रही जबकि बिहार की औसत विकास दर 12.11 प्रतिशत रही। बिहार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना में 13 प्रतिशत विकास दर का लक्ष्य रखा है। लेकिन 12 वीं पंचवर्षीय योजना में भी राज्य योजना हेतु सकल बजटीय सहायता 25.62 से घटकर 24.04 प्रतिशत हो गयी है। यह हमारी अर्थव्यवस्था के संघीय ढांचे के विपरीत हैं। इस प्रवृति को बदलना चाहिए और राज्यों के लिए सकल बजटीय सहायता बढ़ाकर कम से कम 10 प्रतिशत तक करना चाहिए। श्री कुमार ने यह भी कहा कि बिहार प्रति व्यक्ति आय के न्यूनतम स्तर पर होने के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक एवं अन्य आर्थिक सेवाओं पर प्रति व्यक्ति खर्च में भी सबसे निचले पायदान पर है। बिहार में प्रति व्यक्ति विकास खर्च 3600 रुपये है जबकि राष्ट्रीय औसत 6100 रुपये है। इसलिए बिहार को प्रति व्यक्ति विकास खर्च के राष्ट्रीय औसत की कतार में लाने के लिए अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बिहार राज्य ने पिछले पांच वर्षो में तीव्र आर्थिक विकास दर को हासिल किया है। वह राष्ट्रीय सकल घरेल उत्पाद में अपनी भागीदारी को सार्थक रुप में बढ़ाना चाहता है। विशेष राज्य का दर्जा कई मामलों में मदद करेगा। केन्द्रीय योजनाओं में केन्द्र का हिस्सा 90 प्रतिशत बढ़ जाएगा। राज्य के हिस्सों में बचत होने से हम अधिक कल्याणकारी योजनाएं बना सकेंगे। इसके अतिरिक्त प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों में कटौती मिलने से निजी निवेशों को बढावा मिलेगा। इससे राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में निजी निवेश हो सकेगा और रोजगार के अनेक अवसर उत्पन्न होंगे।
उन्होंने कहा कि अन्तमंत्रालीय समूह ने भी 12वीं पंचवर्षीय योजना में बिहार के लिए विशेष योजना को जारी रखने की सिफारिश की थी। पिछली देनदारियों के अलावा 12वीं पंचवर्षीय योजना में प्रतिवर्ष अतिरिक्त 4000 करोड़ रुपये देने का विशेष अनुरोध करता हूं ताकि बिहार एवं अन्य राज्यों के बीच आधारभूत संस्थानाओं एवं विकास की इस खाई को पाटा जा सके। उन्होंने शिक्षा के अधिकार कानून के क्रियान्वन की अवधि बढ़ाने की भी मांग की क्योंकि बिहार 31 मार्च 2013 तक इस कानून को लागू नहीं कर सकता क्योंकि उनके पास संसाधनों की कमी है। उन्होंने यह भी कहा कि योजना आयोग एवं केन्द्र सरकार के स्तर पर पिछड़ा क्षेत्र अनुदान फंड के तहत योजनावार स्वीकृति दी जाती थी। इसके कारण योजनाओं के क्रियान्वन में काफी देर हुई। इसलिए इस विशेष योजनाओं के तहत योजनाओं की स्वीकृति का अधिकार राज्य सरकार को दिया जाए। मुख्यमंत्री ने बच्चों में अतिकुपोषण को दूर करने के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन की स्थापना की भी मांग की।

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