Monday, December 31, 2012

साल गया 2012



देश की बेटी सबको गमगीन करके चली गई, लेकिन अपने पीछे छोड़ गई है गुस्से और इंसाफ की आग जो आज हर हिंदुस्तान के दिल में जल रही है।गुजरे साल 2012 के दामन पर दामिनी का दाग हमेशा चस्पां रहेगा। इस लिहाज से अगर यह कहा जाए कि जाते-जाते साल 2012 साल गया तो कोई गलत नहीं होगा। साल के आखिरी दिन सोमवार को भी दिल्ली का जंतर-मंतर एक बार इस जंग का गवाह बना। कड़ाके की ठंड में पूरी रात लोग जागते रहे। सुबह हुई तो भीड़ बढ़ती गई। हर कोई इस बेटी को आंसू भरी आंखों से अंतिम विदाई दे रहा था। गैंग रेप पीड़िता की मौत के बाद लोगों में बेहद गुस्सा है, जंतर मंतर पर विरोध का अलग अलग तरीका देखने को मिल रहा है। लोग शांति और खामोशी से अपने गुस्से को बयां कर रहे हैं। कुछ कलाकारों ने पेंटिंग के जरिए अपना गुस्सा और दर्द बयां किया। प्रदर्शनकारियों ने श्रद्धांजलि देने के लिए सिंगनेचर कैंपेन भी चलाया। जंतर मंतर पर ये भीड़ तब जुटी जब इंडिया गेट पर प्रदर्शनकारियों को पहुंचने से रोकने के लिए दिल्ली के दस मेट्रो स्टेशन रविवार को भी बंद रखा गया था। जंतर मंतर पर इकट्ठा हुए इन नौजवानों ने नए साल का जश्न न मनाने का फैसला लिया है। लोगों ने जंतर मंतर पर इक्ट्ठा होकर कैंडल मार्च निकाले। देश की बेटी की मौत पर हर तरफ गम का माहौल है। सामूहिक दुष्कर्म की शिकार दिल्ली की छात्रा की मौत से लोग इतने गमगीन व आहत हैं कि उन्होंने नए साल के जश्न से खुद को दूर रखने का फैसला लिया है। लोगों का कहना है कि सामूहिक दुष्कर्म की घटना और पीड़िता की मौत से उन्हें गहरा धक्का लगा है, आरोपितों को जब तक सख्त से सख्त सजा देने का फरमान नहीं आयेगा उनको शांति नहीं मिलने वाली है। दिल्ली ही नहीं देश के हर छोटे-बड़े शहरों में इंसाफ की मांग को लेकर आवाज उठाई जा रही है। ऐसे में हमारी कामना होगी कि गुजरे साल की तरह नए साल में फिर किसी दामिनी के दामन पर दाग न लगे और हमारी तमाम बेटियां और बहनें महफूज रहें...ताकि हमें शर्मिंदा न होना पड़े।

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