Thursday, December 27, 2012

सबसे तेजी से बढ़ता क्राइम रेप,दिल्ली नंबर 1 पर







 


देशभर में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध चिंताजनक रफ्तार से बढ़ रहे हैं। पिछले चार दशकों में अन्य अपराधों की तुलना में रेप की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है और इनसे जुड़े दोषियों को सजा देने के मामले में हम सबसे पीछे रहे हैं। दिल्ली में गैंगरेप से पहले पड़ोसी हरियाणा में ही पिछले कुछ महीनों में रेप के एक के बाद एक 15 मामले सामने आए, जिसमें ज्यादातर गैंगरेप के केस थे। इसी तरह पंजाब के अमृतसर में पिछले महीने एक पुलिस अधिकारी को इसलिए मौत के घाट उतार दिया गया कि वह अपनी बेटी को यौन उत्पीड़न से बचाने की कोशिश कर रहा था।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजे आकंड़े दिखाते हैं कि 1971 से 2011 के बीच रेप की घटनाओं में 873.3 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई। 1971 में जहां रेप की 2,487 मामले सामने आए थे, वहीं, 2011 में यह आंकड़ा 24,206 तक पहुंच गया। इसकी तुलना में पिछले छह दशकों यानी 1953 से 2011 के बीच हत्या के मामले में 250 फीसद की ही बढ़ोतरी हुई। 1970 तक रेप की घटनाओं को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती थी इसलिए तब तक इसका रिकॉर्ड भी इकट्ठा नहीं किया जाता था लेकिन 1971 से एनसीआरबी ने आंकड़ा रखना शुरू किया।
रेप की घटनाओं में वृद्धि की रफ्तार, तमाम अपराधों की तुलना में तीन गुना ज्यादा है और हत्याओं की तुलना में साढ़े तीन गुना। पिछले पांच वर्षो में रेप की घटनाओं में 9.7 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। कुछ हफ्ते पहले ब्रिटिश अखबार गार्जियन ने जी-20 के देशों में भारत को महिलाओं के लिए सबसे बुरा जगह करार दिया था। इसके साथ महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने एक सर्वे में कहा था कि भारत महिलाओं के सबसे खतरनाक जगहों में आता है और इसमें उनका साथ दे रहे हैं अफगानिस्तान, सोमालिया और कांगो। भारत में औसतन हर 40 मिनट में एक महिला यौन उत्पीड़न या घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं।
देश के महानगरों में दिल्ली शर्मनाक तरीके से रेप के मामले में सबसे आगे है। पिछले पांच सालों में राजधानी में रेप की 2620 घटनाएं दर्ज की गई थीं। इसकी तुलना में मुंबई में 1033, बेंगलूर में 383, चैन्नई में 293 और कोलकाता में 200 मामले दर्ज किए गए थे। इससे भी बदतर स्थिति रेप के मामले में दोषियों को सजा देने में है। देश में रेप के आरोपियों को सजा देने का औसत 11 फीसद है जबकि हत्या या अन्य अपराधों में औसत 28 फीसद है। 2002 से 2011 के बीच यानी पिछले एक दशक में रेप के 5337 मामलों में फैसले आए थे और इनमें से 3860 मामलों में आरोपियों को या तो बरी कर दिया गया या फिर समुचित साक्ष्यों के अभाव में अदालत ने छोड़ दिया। पूरे देश को देखा जाए तो 2001 से 2010 बीच, रेप के मामलों में आरोप साबित करने की दर 26 फीसद ही रही है। यह हत्याओं के मामले में आरोप साबित करने की 35 फीसद की दर से नौ फीसद कम है। निवारक सजा की तो बात दूर, ऐसा लगता है कि हमारे देश में अपराध के लिए सजा दिए जाने का रिकॉर्ड इतना खराब होने के चलते ही, अपराधियों के मन में अब कानून का कोई डर ही नहीं रह गया है। जहां तक रेप के मामले में वर्ष 2011 के रिकॉर्ड का सवाल है मध्यप्रदेश 3406 रेप केस के साथ अव्वल रहा, वहीं पश्चिम बंगाल 2363 केस, उत्तर प्रदेश 2042 केस, राजस्थान 1800 केस, महाराष्ट्र 1701 केस, असम 1700 केस और आंध्र प्रदेश 1442 के साथ क्रमश: दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें, छठे और सातवें नंबर पर रहा। इसके साथ ही पिछले वर्ष 572 रेप के मामलों के साथ मेट्रो पोलिटन शहरों में सबसे अव्वल रहा।

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