Wednesday, December 28, 2011

पश्चिम में बसपा पस्त,सपा मस्त

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के समूचे रूहेलखंड में इस बार बसपा की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। राज्य विधानसभा चुनाव के पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रूहेलखंड की 60 सीटों पर आगामी चार फरवरी को मतदान होगा। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में अव्वल रही सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी और नम्बर दो पर रही समाजवादी पार्टी ने आगामी चुनाव के लिये बाकायदा प्रचार और जनसंपर्क शुरू कर दिया है जबकि भारतीय जनता पार्टी,जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस-राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन ने भी कमर कस ली है। बसपा जो पिछले चुनाव में इस क्षेत्र में अव्वल रही थी,इस बार उसके लिए स्थितियां यहां काफी बदल गयी है। परिसीमन की वजह से क्षेत्रों के नये स्वरूप के साथ ही कांग्रेस-रालोद के गठबंधन की वजह से भी वोटों के समीकरण बदले हैं। सपा की सक्रियता और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के अभियान की वजह से वोट बैंकों के नए सिरे से बनने-बिगडऩे की संभावना व्यक्त की जा रही है। बदले चुनावी समीकरण की वजह से कई सीटों पर जहां मुकाबले रोचक होने का अनुमान है वहीं चुनाव परिणाम भी पिछले चुनाव से अलग होने की संभावना जतायी जा रही है। माना जा रहा है कि पिछले चुनाव में रूहेलखंड से 27 सीटें जीतने वाली बसपा की राह आसान नहीं है और उसको इस बार खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं सपा के हौसलें बुलंद हैं।
बसपा और सपा ने राज्य विधानसभा के आगामी चुनाव के पहले चरण की अधिसंख्य सीटों के लिये अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिये हैं। घोषित प्रत्याशी ऊहापोह और टिकट रहने-कटने की तमाम आशंकाओं के बावजूद अपनी सक्रियता बरकरार रखे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा को 32 और कांग्रेस-रालोद गठबंधन को 30 सीटों पर अभी अपनी उम्मीदवारी तय करनी है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों की धमाचौकड़ी क्षेत्र में जरूर शुरू है,मगर सपा, बसपा की तुलना में उनका चुनाव प्रचार अभियान जोर नहीं पकड़ पाया है। प्रदेश की अन्य क्षेत्रीय और छोटी पार्टियां भी इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए बेताब है। उनके नेताओं और प्रत्याशियों की बैठकें और प्रचार अभियान भी जारी है। कई क्षेत्रीय दल मजबूत और दमखम वाले प्रत्याशियों की तलाश में जुटे हैं ताकि मैदान में उनकी उपस्थिति दर्ज हो।
वर्ष 2007 के चुनाव में इन नौ जिलों में से मुरादाबाद मंडल के बिजनौर जिले के तहत आने वाली सभी सात सीटों पर बसपा ने जीत हासिल की थी। केन्द्रीय मंत्री चौधरी अजित ङ्क्षसह की अगुवाई वाले राष्ट्रीय लोकदल को तब इन नौ जिलों में एक भी सीट नहीं मिली थी। इस बार भले ही वे कांग्रेस से गलबहिया कर चुनाव मैदान में उतरे हैं, मगर उनके दल के पक्ष में क्षेत्र में कोई माहौल बनता नहीं दिख रहा है। इस बार भी रालोद इन क्षेत्रों में सिफर ही रहे तो कोई आश्चर्य नहीं। कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी के अभियान के बावजूद पश्चिमी प्रदेश के इन इलाकों में कांग्रेस की हवा बनती नहीं दिख रही है। पिछड़ों और मुसलमानों के गठजोड़ से सपा के हौसले इस बार इन क्षेत्रों में बुलंद दिख रहे हैं। भाजपा प्रत्याशियों को लेकर बनी असमंजस की स्थिति से भाजपा को नुकसान हो रहा है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में बरेली और  मुरादाबाद मंडलों तथा लखनऊ  मंडल के लखीमपुर खीरी जिले की 26-26 एवं लखनऊ  मंडल के लखीमपुर खीरी जिले की आठ सीटों के लिए मतदान होगा। नये परिसीमन से पहले वर्ष 2007 में हुये उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान बरेली मंडल के तहत आने वाले बदायूं, शाहजहांपुर, बरेली और पीलीभीत तथा मुरादाबाद मंडल के तहत आने वाले रामपुर,मुरादाबाद, जे.पी.नगर और बिजनौर जिले तथा लखनउ मंडल के लखीमपुर खीरी समेत नौ जिलों में राज्य विधानसभा की 57 सीटें थीं, इनमें से बसपा को 27, सपा को 17, भाजपा  को 09, डी.पी.यादव के राष्ट्रीय परिवर्तन दल को दो तथा कांग्रेस एवं अन्य को एक एक सीट मिली थी। नए परिसीमन के बाद बिजनौर,जेपीनगर,रामपुर और लखीमपुर में एक-एक सीट बढ़ी है जबकि दूसरी ओर शाहजहांपुर में एक सीट कम हुई है।

No comments:

Post a Comment