Sunday, September 18, 2011

मोदी की राह के रोड़ा नीतीश

संभव है की जनता दल यू की ओर से अब यह कोशिश भी तेज हो जाये की मोदी की जगह केंद्रीय राजनीती में नीतीश को पेश किया जाय. जद यू के कई नेता नीतीश को प्रभावित करने के लिए इस तरह के अभियान चला सकते हैं. दूसरी ओर बिहार भाजपा की मुश्किल यह है कि उसके कई कद्दावर नेता नीतीश कि इक्च्क्षा  के बिना एक शब्द भी नहीं बोल सकते हैं, पिछले बिहार विधान सभा चुनाव में नीतीश कि जिद के आगे भाजपा कि एक न चली. तब तबतीश ने न केवल बजापा को दिए गए भोज को रद्द किया बल्कि गुजरात से बाढ़  पीडितो के लिए आई सहायता राशि को भी वापस कर दिया था. बिहार में भाजपा जिस तरह से लाचार और विवस बनी रहती है वह देखते बनती है. 
विपक्ष के साथ-साथ खुद अपने कुनबे में ही सांप्रदायिकता के मोर्चे पर अस्पृश्यता झेलते रहे नरेंद्र मोदी अब नौ साल पुराने दाग धोने के लिए पूरी शिद्दत से जुट गए हैं। उपवास के बहाने शुरू की गई इस मुहिम में उन्हें आंशिक सफलता तो मिली है, लेकिन भाजपा के सबसे बड़े सहयोगी जनता दलयू का दिल बदलना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जहां उपवास से दूरी बनाए रखी, वहीं जदयू अध्यक्ष शरद यादव मोदी पर कटाक्ष करने से भी नहीं चूके। अलबत्ता राजग के बाहर से जयललिता को अपने समर्थन में जुटाकर और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को लाकर  मोदी ने अपने विस्तार और बढ़ती स्वीकार्यता का संदेश देने की कोशिश जरूर की है। केंद्रीय राजनीति में प्रवेश को आतुर मोदी के लिए असली चुनौती अपने इस सबसे बड़े सहयोगी दल जनता दलयू को साध पाना ही है.इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा की नीतीश कुमार मोदी की राह के सबसे बड़ा अवरोध  साबित होंगे. 
गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के बाद विकास के मोर्चे पर बड़ी लाइन खींचते रहे मोदी की सियासत का रथ हमेशा सांप्रदायिकता के आरोप से धीमा पड़ता रहा। गुजरात चुनाव से करीब एक साल और अगले लोकसभा चुनाव से तीन साल पहले मोदी ने अब छवि सुधार में तेजी ला दी है। उनके लिए सबसे बड़ी सफलता पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को यहां लाना और जयललिता का खुला समर्थन पाना रहा।
बादल ने तो मोदी के सद्भावना मिशन को पंजाब और पंजाबियों की तरफ से पूरा समर्थन प्रदान किया। साथ ही मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि देश में गरीबी और अशिक्षा फैली है, उनके लिए गुजरात लाइट हाउस जैसा है। दिल्ली में मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन होता है तब सभी राज्यों के मुख्यमंत्री इस इंतजार में रहते हैं कि मोदी इस विषय पर क्या बोलने वाले हैं। तरक्की, खुशहाली और सद्भावना जो गुजरात में है, वह सारी दुनिया में हो वह अरदास करता हूं। इसी तरह तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने मोदी के उपवास को न सिर्फ समर्थन दिया, बल्कि दो सांसद थंबीदुरई और मैत्रेयन को भी भेजा। हालांकि, बिहार चुनाव में मोदी को प्रचार करने के लिए भी न आने देने वाले नीतीश कुमार ने इस तरफ रुख भी नहीं किया।।

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