Thursday, September 15, 2011

रसोई तक पहुंचेगी महंगाई की मार


 पहले ही महंगाई से त्राहि-त्राहि कर रही जनता पर पेट्रोल के दामों की एक और गाज गिर गई।आम जनता पर तेल कीमतों की मार सिर्फ पेट्रोल तक ही सीमित रहने वाली नहीं है। सरकार रसोई गैस पर सब्सिडी घटाने के एक प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है। इसके तहत गरीबी रेखा से ऊपर रहने वाले [बीपीएल] लोगों के लिए एक साल में सब्सिडी वाले केवल चार सिलेंडर देने का प्रस्ताव है। इससे ज्यादा सिलेंडर लेने वालों को बाजार कीमत पर रसोई गैस लेनी होगी। इस आशय का एक प्रस्ताव तेल व प्राकृतिकगैस मंत्रालय जल्दी ही मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह [ईजीओएम] के पास ले जाएगा। इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद बिना सब्सिडी वाली रसोई गैस की कीमत प्रति सिलेंडर 700 से भी ऊपर चली जाएगी। चार महीने में दूसरी बार तेल कंपनियों ने पेट्रोल के दाम फिर बढ़ा दिए हैं। पेट्रोल की कीमतों में गुरुवार की मध्यरात्रि से 3.14 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हो गया। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजधानी में इसके दाम 63.70 रुपये से बढ़कर 66.84 रुपये प्रति लीटर हो गए।
पेट्रोलियम कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रुपये की कमजोरी को पेट्रोल के दाम बढ़ाने की प्रमुख वजह बता रही हैं। चारों तेल मार्केटिंग कंपनियों के प्रमुखों ने गुरुवार को मुंबई में एक बैठक कर पेट्रोल की कीमत बढ़ाने का फैसला किया। चार महीने पहले 15 मई को भी पेट्रोल के दामों में पांच रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई थी। जून, 2010 में पेट्रोल की कीमतों के सरकारी नियंत्रण से बाहर होने के बाद यह नौंवा मौका है, जब इसके मूल्य बढ़े हैं। तब से अब तक पेट्रोल की कीमत में लगभग उन्नीस रुपये का इजाफा हो चुका है।
तेल मार्केटिंग कंपनी के एक अधिकारी के मुताबिक आज की तारीख में कच्चा तेल 110-111 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। इसके साथ ही रुपये की विनिमय दर डॉलर की तुलना में कमजोर पड़कर दो साल के निचले स्तर [बुधवार को करीब 48 रुपये प्रति डॉलर] के आसपास चली गई है। तेल कंपनियों को पेट्रोल की बिक्री पर प्रति लीटर 2.61 रुपये या प्रतिदिन 15 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। वैट या बिक्रीकर को जोड़ने के बाद कीमतों को अंतरराष्ट्रीय भाव के अनुरूप लाने के लिए 3.14 रुपये की वृद्धि की जरूरत थी। तीनों सरकारी कंपनियों- इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को इस वित्त वर्ष में पेट्रोल के आयातित मूल्य से कम पर बिक्री करने से 2,450 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।


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