Monday, August 26, 2019

RBI सरकार को देगा 1.76 लाख करोड़ रुपये, कहां से आता है बैंक के पास पैसा?



आर्थिक सुस्ती को देखते हुए RBI ने सरकार की मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं। केंद्रीय बैंक अपने डिविडेंड और सरप्लस फंड से सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर करेगा। इस फंड का इस्तेमाल सरकार इकॉनमी में जान फूंकने में कर सकती है। आरबीआई इस रकम का बड़ा हिस्सा यानी 1.23 लाख करोड़ रुपये सरप्लस फंड से और बाकि 52,637 करोड़ रुपये सरप्लस रिजर्व से ट्रांसफर करेगा। 
क्या है RBI की बैलेंस शीट का आकार?
वित्त वर्ष 2016-17 में आरबीआई की बैलेंस शीट 36.2 लाख करोड़ रुपये की थी। हालांकि केंद्रीय बैंक का बही खाता किसी कंपनी की तरह नहीं होता। बैंक की संपत्ति का 26 फीसदी हिस्सा रिजर्व के रूप में होता है। इसका निवेश विदेशी व भारत सरकार की प्रतिभूतियों और गोल्ड में किया जाता है। RBI के पास 566 टन से थोड़ा ज्यादा गोल्ड रिजर्व है। इसे विदेशी मुद्रा भंडार के साथ जोड़ दिया जाए तो यह बैंक की कुल संपत्ति का 77% बैठता है। कभी-कभार वित्त मंत्री और आरबीआई के बीच इस बात को लेकर सहमति नहीं बन पाती कि आरबीआई के रिजर्व का स्तर क्या होना चाहिए, ताकि संचालन सतत चलता है। 

कहां से आता है RBI का रिजर्व? 
RBI के सभी रिजर्व एक जैसे नहीं हैं। इस समय दो तरह के रिजर्व के बारे में बात करना उचित होगा- मुद्रा और गोल्ड रीवैल्यूएशन अकाउंट(CGRA)। साल 2017-18 में यह 6.9 लाख करोड़ रुपये था। यह रिजर्व RBI के विदेशी मुद्रा और गोल्ड रिजर्व की वैल्यू बताता है। आसान शब्दों में कहें तो इस भंडार के मूल्य मे बदलाव इन ऐसेट्स की मार्केट वैल्यू में बदलाव को दर्शाता है। उदाहरण से समझिए। पिछले साल मुख्य रूप से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में आई कमजोरी और गोल्ड की तेजी के कारण CGRA 30.5% बढ़ गया था। 

इसके अलावा, कंटिंजेंसी फंड(CF) एक विशेष प्रावधान होता है जो मॉनिटरी पॉलिसी और एक्सचेंज रेट संचालन के कारण अप्रत्याशित जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दोनों ही मामलों में आरबीआई बाजार में दखल देकर लिक्विडिटी को अजस्ट करता है ताकि मुद्रा के मूल्य में बड़े उतार-चढ़ाव को नियंत्रित कर सके। साल 2017-18 में CF का आकार 2.32 लाख करोड़ था, जो केंद्रीय बैंक के कुल ऐसेट्स का 6.4% था। CGRA और CF, दोनों को मिला दिया जाए तो ये आरबीआई के ऐसेट्स का 26 फीसदी होते हैं। 
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क्या है RBI का सरप्लस? 
यह वह राशि है जिसे RBI सरकार को ट्रांसफर करता है। आरबीआई के वित्तीय स्टेटमेंट की बात की जाए तो इसके दो अनोखे फीचर हैं। पहला यह कि RBI को इनकम टैक्स अदा करने की जरूरत नहीं और अपनी जरूरतें पूरी करने के बाद जो सरप्लस बचता है उसे सरकार को ट्रांसफर करना होता है। मुख्य रूप के RBI को उसकी प्रतिभूतियों (सिक्यॉरिटीज) पर ब्याज से आय होती है। 2017-2018 में आरबीआई के खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा 14,200 करोड़ रुपये का था, जो उसने कंटिंजेंसी फंड से किया था। जाहिर है, जितना बड़ा हिस्सा कंटिंजेंसी फंड (CF) में जाएगा, सरप्लस उतना घटेगा। वित्त वर्ष 2013-14 से तीन वर्षों तक आरबीआई ने CF में बिल्कुल पैसा नहीं रखा था क्योंकि टेक्निकल कमिटी का मानना था कि उसके पास पहले से ही काफी 'बफर' (आर्थिक पूंजी/बफर पूंजी) है। हालांकि, बीते वर्षों में बैंक ने CF रखा। 

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अब क्या किया गया?
 
RBI के पास इस बार रेकॉर्ड सरप्लस था क्योंकि पिछले साल बैंक ने गोल्ड और विदेशी मुद्रा बाजार, दोनों बाजारों में वह ऐक्टिव रहा। बैंक ने बड़े प्रॉफिट पर डॉलर बेचे और मुद्रा बाजार में रेकॉर्ड बॉन्ड खरीदे, जिनपर अच्छा ब्याज अर्जित किया। साथ ही, बिमल जालान पैनल ने RBI के लिए इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क ( कमर्शल बैंकों के कैपिटल ऐडिक्वेसी रिक्वायरमेंट की तरह) की सिफारिश की। रिजर्व बैंक ने बिमल जालान समिति की सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार को रेकॉर्ड 1.76 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित करने की मंजूरी दी है। इसमें वित्त वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के लिए 1,23,414 करोड़ रुपये का सरप्लस तथा 52,637 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान शामिल है। 




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