Monday, August 26, 2019

युद्ध का डर पैदा करने की कुटिल चाल





युद्ध का डर पैदा करने की कुटिल चाल
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पाकिस्तान अपनी आदत और चीन अपनी चाल से बाज नहीं आएगा। फिर भी वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में पाकिस्तान की गीदड़भभकी और चीन की कुटिलता से डरने-सहमने की जगह डट कर मुकाबला करने के अलावा और क्या विकल्प है ? मगर कतिपय छद्म बुद्धिजीवी युद्ध का डर पैदा करने की कुटिल चाल चल कर पाकिस्तानी एजेंडा और प्रोपगेंडा को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। डरा हुआ पाकिस्तान है,मगर वे भारत को डरा रहे हैं। अगर चीन बहुत ताकतवर है तो भारत भी 1965 वाला नहीं है। चार बार मुंह की खाने वाला पाकिस्तान एक बार और आजमा कर देख ले तो हर्ज क्या है? अब युद्ध केवल गोला-बारूद,तोप-टैंक से ही नहीं राजनीतिक-आर्थिक कूटनीति के मोर्चे पर भी लड़े जाते हैं। न चाहते हुए भी इस तरह के युद्ध के साये में आज पूरी दुनिया है। वास्तविक युद्ध भी केवल हथियारों से नहीं, देशवासियों के हौसलों से लड़े जाते है।
युद्धोंन्माद का मैं कतई समर्थक नहीं हूं, मगर प्रॉक्सी वार और प्रोपगेंडा के जरिए देशवासियों में डर व अस्थिरता पैदा करने की कोशिशों का डट कर मुकाबला करने की जरूरत है। देश और देशवासियों के मनोबल को तोड़ने की एक गहरी चाल चली जा रही है।
पाकिस्तान को वर्षों से चीन का साथ मिला हुआ है। इसके बावजूद आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को वैश्विक पटल पर अलग-थलग व बेनकाब करने,हाफिज सईद को वैश्विक आतंकी घोषित करवाने में भारत सफल रहा है।
कश्मीर और कश्मीरियों को लेकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले मानवाधिकारवादियों को बलात पाक कब्जा वाले कश्मीर, बलूचिस्तान की ओर भी एक बार देखना चाहिए। कितनी बदत्तर स्थिति में रहने-जीने के लिए यहां के लोग विवश है? शिनझियांग में चीन जो कर रहा है, उस पर किसी मानवाधिकारवादी का मुंह क्यों नहीं खुलता?अपने सैकड़ों नौजवानों को गोलियों से उड़ा देने वाला चीन किस बात की दुहाई दे रहा है?
कतिपय छद्म बुद्धिजीवियों,टुकड़े-टुकड़े गैंग के संरक्षकों-समर्थकों के कल्पित भयजनित बहकावे में न आकर कृपया यह भरोसा पैदा करें कि कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की बौखलाहट और चीन की कुटिलता के बावजूद भारत हर मुश्किलों से पार पाने में सक्षम- समर्थ है। यह नया भारत है,समृद्ध व संकल्पित भारत है।

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