Monday, August 26, 2019

चाहे जितना जोर लगा लें.....

चाहे जितना जोर लगा लें.....
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टू जी,कोलगेट,आदर्श हाउसिंग,रेलवे टेंडर घोटाले ,भर्ती घोटाले आदि-आदि एक लाख 74 हज़ार करोड़ के घपले-घोटाले क्या थे? किसके समय में ये सब हुए? इन सबके लिए कौन जिम्मेवार है? नेशनल हेराल्ड का क्या मामला है? जमीन लूटने वाला वाड्रा साहब कौन है? बेनामी सम्पत्ति, शैल कम्पनियों के बारे भी विपक्ष को थोड़ा प्रकाश डालिये।
कैग,सुप्रीम कोर्ट सबने मान लिया कि राफेल डील में कोई गड़बड़ी नहीं है, मुठ्ठी भर विदेशी आर्म्स डीलरों के दलाल,राजनीति में वंशवादी बेल के पोषकों व मोदी नाम की सुपारी ले चुके डिजाइनर वामपंथियों जिनका मकसद अपने आका चीन व पाकिस्तान की मंशा की प्रतिपूर्ति मात्र हैं, राफेल डील को रद्द कराने की जी तोड़ असफल कोशिश में लगे हैं। यह प्रयत्न देश को कमजोर करने, सेना का मनोबल तोड़ने,एक लिजलिजी,अनिर्णय वाली सरकार थोपने के लिए है। जिनकी-जिनकी दुकानदारी पिछले कुछ सालों में बंद हुई है,बेचैनी, छटपटाहट और तिलमिलाहट में हैं। ऐसे लोगों की पीड़ा-परेशानी देश की जनता अच्छी तरह से समझ रही है।
4 बीबियाँ, 16 बच्चे पैदा करने वाले बेरोजगारी का रोना रो रहे हैं। स्कूल की बिल्डिंग, रेलवे ट्रैक ब्लास्ट कर उड़ाने और कन्स्ट्रक्शन कम्पनियों से लेवी वसूलने तथा जेसीवी, रोड रौलर फूंकने वाले शिक्षा और विकास के मुद्दे को लेकर परेशान हैं।
वह दौर चला गया कि जब छद्म बौद्धिकता और प्रगतिशीलता का लबादा ओढ़ कर, शैडो सेकुलरिज़्म का नारा उछाल कर, वन वे कम्युनिकेशन करके, विरोधी विचार को "संघी " या "नगुपरिया" करार दे कर शेखी बघार लिया जाता था।
मुझे मालूम है, आप मेरा प्रोफाइल चेक करोगे, कुछ कुतर्क गढ़ोगे, नागपुरिया या संघी जैसे विशेषणों से नवाजोगे, गालियां दोगे, मगर एक बात समझ लीजिए, आप लोग बेनकाब हो चुके हो, कभी अवार्ड वापसी गैंग,कभी टुकड़े-टुकड़े गैंग,कभी लिब्रान्डु मूवमेंट, कभी भारत तेरे टुकड़े होंगे....मगर इन सब के बावजूद आप सबकी दाल नहीं गली....आगे भी नहीं गलेगी.. चाहे जितना जोर लगा लो...।

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