Monday, October 17, 2011

बदले योजना आयोग की भूमिका


योजना आयोग की भूमिका को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्सर योजना आयोग की भूमिका पर सवाल उठाते रहे है। फिलवक्त भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने बदलते वक्त के अनुसार योजना आयोग की भूमिका में आमूल चूल बदलाव का आह्वान करते हुए कहा है कि आयोग को धन आवंटन का काम वित्तमंत्रालय पर छोड़ देना चाहिए और सरकार के निगरानी प्राधिकार के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था की मांग के अनुसार योजना आयोग की भूमिका में भी बदलाव की जरूरत आन पड़ी है। सिन्हा 1998-2002 के दौरान वाजपेयी सरकार में वित्तमंत्री रहे हैं।
उन्होंने कहा कि योजना आयोग को दो काम करने चाहिए, एक तो वह अगले 50 साल के लिए देश में विकास के ढांचे की रूपरेखा तैयार करे और इस अवधि को 25-25 साल के दो खंड में तोड़कर पांच पांच साल की अवधि में बांट देना चाहिए। दूसरे, आयोग को केंद्र सरकार की एक निगरानी एजेंसी बन जाना चाहिए क्योंकि भारत सरकार के पास अपनी योजना के कार्यान्वयन पर निगरानी के लिए प्रभावी निगरानी तंत्र का सच में अभाव है। सिन्हा ने सुझाव दिया है कि राज्यों को योजना राशि आवंटन का काम वित्त मंत्रालय को सौंप देना चाहिए। उन्होंने कहा कि योजना आवंटन को वित्त मंत्रालय को सौंप देना चाहिए। यह काम उन्हें करना चाहिए और योजना आयोग को कार्यक्रम क्रियान्वयन की निगरानी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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