Wednesday, October 5, 2011

विवादों के भंवर में एएमयू

·        मित्रों नवरात्र की पूजा में व्यस्त रहने के कारण पिछले कई दिनों से ब्लाग पर कुछ लिख नहीं पाया था, आज जब पूजा से फुर्सत पाया तो आपकी सेवा में फिर हाजिर हूं......
किशनगंज में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कैंपस को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। एएमयू के कुलपति डा.पीके अब्दुल अजीज ने साफ कह दिया कि वह इस संबंध में कुछ नहीं कहना चाहते। उन्होंने केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल से इस मामले में हस्तक्षेप कर विवाद सुलझाने का आग्रह किया है। वहीं, राज्य के मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कुलपति डा.अजीज से यह बताने कहा है कि कैम्पस की स्थापना के लिए उन्होंने विजिटर (राष्ट्रपति) की अनुमति ले ली है, या नहीं?
इधर, एएमयू कोर्ट के सदस्य एवं जदयू सांसद डा.मोनाजिर ने कुलपति पर कैम्पस की स्थापना को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि उन्हें कैम्पस स्थापित करना होता तो दिल्ली में इंडियन इस्लामिक कल्चर सेंटर में तीन दिनों पहले राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, किशनगंज के कांग्रेस एमपी मौलाना इसरारुल हक, राजद एमएलए अख्तरुल ईमान, भू-दान की जमीन को कैम्पस के लिए दान करने को इच्छुक किशनगंज के अफजल हुसैन आदि के साथ इस मसले पर बैठक नहीं करते। बैठक में उन्होंने एएमयू कैम्पस से अधिक लालकृष्ण आडवाणी की यात्रा पर बातचीत की।
कैम्पस की स्थापना में विलंब से चिंतित मानव संसाधन विकास विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह का कहना है कि 243 एकड़ जमीन दिये जाने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रबंधन की रजामंदी नहीं मिली है। कुलपति ने इस जमीन को देखकर पसंद किया था, जल्द आवंटन का आग्रह किया था। मगर फिर वे अपनी बात से पलट गये। कुलपति को लिखे पत्र में उन्होंने जानना चाहा है कि कैम्पस की स्थापना के लिए विजिटर अर्थात राष्ट्रपति से अनुमति ली गयी है या नहीं? कुलपति को यह भी स्मरण दिलाया गया है कि कैम्पस के लिए उन्हें 27 मार्च 2010 को पत्र भेजकर विभाग ने जमीन के लिए शीघ्र एकरारनामा करने का अनुरोध किया था। कुलपति ने 4 अप्रैल 2010 को पत्र के जरिये आभार व्यक्त करते हुए स्थल भ्रमण कर जमीन कब्जे में लेने की बात कही।
पत्र के अनुसार कुलपति ने मगर अपने पूर्व मत को बदलते हुए 25 अप्रैल 2010 को पत्र के जरिये सूचित किया कि उन्हें तीन टुकड़ों में उपलब्ध जमीन स्वीकार्य नहीं है। कुलपति को राज्य सरकार का यह भरोसा भी मंजूर नहीं कि तीनों भूखंड अगल-बगल हैं और इन्हें सड़क से जोड़ दिया जायेगा। तत्काल केन्द्र की स्थापना का कार्य किशनगंज-बहादुरगंज मार्ग पर अवस्थित भूखंड पर किया जा सकता है। कुलपति की रजामंदी न होने से किशनगंज के जिलाधिकारी ने एक और प्लाट चिह्नित किया मगर कुलपति ने इसमें भी अफजल हुसैन की पोठिया अंचल के मौजा शीतलपुर की जमीन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी, जो भूदान यज्ञ समिति द्वारा गरीबों को वितरित जमीन है।
पत्र में कहा गया है-'सरकार द्वारा दी जा रही 243.76 एकड़ जमीन में एक भूखंड मौजा चकला का रकबा 157.33 एकड़ है, जो एएमयू के कैंपस को शुरू करने के लिए पर्याप्त है। केंद्र के विस्तार के लिए मौजा गोविंदपुर के 39.92 एवं मौजा बस्ताकोला के 46.51 एकड़ भूमि का उपयोग किया जा सकता है। तीनों भूखंडों के बीच की दूरी 700 मीटर है।' अंजनी कुमार सिंह ने यह भी कहा है कि पश्चिम बंगाल में एएमयू का कैंपस नदी के कारण विभिन्न भूखंडों में है तथा एएमयू बीच की नदी पर पुल का भी निर्माण करा रहा है। किशनगंज के लिए कुलपति जो जमीन चाहते हैं वह रैयती है। इस क्रम में केंद्र से लिखित आश्वासन लेना होगा कि किशनगंज में यह केंद्र निश्चित रूप से खुलेगा, ताकि भू-अर्जन पर खर्च व्यर्थ न जाये। केंद्र सरकार भूमि अर्जन पर एक नया विधेयक संसद में पुन:स्थापित कर चुकी है। इसके पारित होने से भूमि अर्जन में काफी समय लगने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।'
दूसरी ओर इस पूरे प्रकरण को लेकर राजनितक दलों का जंग भी साफ दिखने लगी है। राक्रांपा का आरोप है कि सरकार की मंशा साफ नहीं है इसलिए इस मामले को विवादों में उलझाया जा रहा है। विद्यार्थी परिषद और आर एस एस के विरोध से भी इस मामले को जोड़ कर देखा जा रहा है। राजद और लोजपा का भी मानना है कि एएमयू की बिहार शाखा को लेकर सरकार अगर संजीदा रहती तो इस तरह के विवाद ही पैदा नहीं होते। गौरतलब हो कि पिछले साल विद्यार्थी परिषद ने किशनगंज में एएमयू की शाखा खोले जाने का जोरदार विरोध किया था। राजद भी इस मामले में सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाता रहा है। राजद का आरोप है कि सरकार आधे-अधूरे मन से प्रयास कर रही है, इसी का परिणाम है कि विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है।



1 comment:

  1. ज़रा सोचिए की किसनगंज में मुस्लिमों के लिए अलग यूनिवर्सिटी क्यों बने क्यूँ नहीं सभी लोगों के लिए बने, आख़िर आपलोग कब तक वोट बैंक की राजनित करेंगे. आप संघर्ष के बूते यहाँ तक पहुचे हैं फिर किसी खाश के तुस्टिकरण के लिए आने वाले पीढ़ी को हम सभी काहे बर्बाद कर रहे हैं. एसा नही हो सकता की समाज़ के सभी लोग एकसाथ रहें पढ़े, एक समान शिच्छा की मजूरी मिले ताकि समाज लडे नहीं बलकी जुड़े.

    ReplyDelete