Tuesday, September 17, 2019

सोचिये, ऐसा क्यों है?



जगह-जगह भीड़ "न्याय"करने पर उतारू है। पुलिस पर हमले आम बात है। बिहार के एक पूर्व डीजीपी का कहना है कि-"आम आदमी यह मान बैठा है कि पैसा देकर केस निबटा देंगे।"...समाजशास्त्री व सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोसायटी एंड पॉलिटिक्स के निदेशक डॉ ए के वर्मा का कहना है कि-" पुलिस के प्रति भ्रष्टाचार के चलते जनता के मन में सम्मान का भाव नहीं है।"
बिहार सरकार के काफी समय तक गृह सचिव रहे श्री जियालाल आर्य ने एक बार निजी बातचीत में कहा था कि-" प्रशासन और सरकार अपने "इकबाल" से चलती है।"- उनकी इस टिप्पणी में गहरा राज छुपा हुआ था।
अगर इकबाल नहीं हो तो लाठी-गोली चला कर कोई भी सरकार क्या कभी "कानून का डर व राज" कायम कर सकती है?

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