Saturday, October 5, 2013

चारा घोटाला; नीतीश का दामन भी दागदार



चारा घोटाले के एक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और डा. जगन्नाथ मिश्र रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा जेल मंे बंद हैं। 30 सितम्बर 2013 को सीबीआई की विषे अदालत ने इन दोनों सहित 45 आरोपितों को दोषी करार दिया तथा 8 अभियुक्तों को उसी दिन जब  कि ष 37 को 03 अक्तूबर को सजा सुनाई। यह मामला झारखंड के चाईबास कोषागार से 37.70 करोड़ रुपए की अवैध निकासी और गबन से संबंधित था। कोर्ट के इस फैसले के बाद 90 के दषक में उजागर हुए चारा घोटाले या पशु  पालन घोटाले का मामला एक बार फिर सुर्खियों मंे छाया हुआ है। मगर इस घोटाले की हालिया चर्चा झारखंड हाईकोर्ट के उस निर्देष को लेकर भी हो रही है जिसमें कोर्ट ने सीबीआई से एक याचिका के मुतल्लिक चारा घोटाले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश   कुमार, जदयू के राज्यसभा सदस्य शिवानन्द  तिवारी और जदयू सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की संलिप्तता पर रिपोर्ट तलब की है। झारखंड हाईकोर्ट ने इसके लिए 22 नवम्बर की तिथि मुकर्रर की है।
दरअसल कोर्ट की यह पहल कतिपय अभियुक्तों के बयानों और खुलासे पर आधारित हैं जिनमें इन तीनों को रुपए देने का जिक्र किया गया है। इस घोटाले के किंगपिन डा. ष्याम बिहारी सिन्हा ने सी.आर.पी.सी की धारा 161 के तहत 20 मई 1996, 21 मई 1996,22 मई 1996 और 28 मई 1996 अपने स्वीकारोक्ति बयान में कहा था कि 1995 में समता पार्टी के चुनावी खर्चों के लिए विजय मल्लिक के माध्यम से 1 करोड़ रुपया नीतीष कुमार को दिए गए थे। नीतीष कुमार ने टेलीफोन कर कन्फर्म किया था कि उमेष सिंह ने उन्हें पैसा दे दिया है। श्री सिन्हा ने अपने बयान में यह भी कहा था कि जब वे इलाज के लिए आस्ट्रेलिया जा रहे थे तो नीतीष कुमार ने उन्हें षुभकामनाएं दी तथा षीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की थी।
श्री सिन्हा ने अपने बयान में यह भी कहा था कि तब षिवानन्द तिवारी नागरिक परिषद के उपाध्यक्ष थे और बाद में समता पार्टी में षामिल हा गए। उमेष सिंह जो निगरानी विभाग में सेक्षन आफिसर थे श्री तिवारी से मिलवाने दिल्ली के होटल खिला हाउस (करौलबाग) ले गए जहां श्री तिवारी ने 50 लाख रुपए की मांग की। श्री त्रिपुरारी मोहन प्रसाद के माध्यम से 30-35 लाख रुपए श्री तिवारी को दिए गए।
इसी क्रम में मंत्रिमंडल निगरानी विभाग में सेक्षन आफिसर के पद पर कार्यरत उमेष प्रसाद सिंह ने सी.आर.पी. सी. की धारा 164 के तहत दर्ज अपने बयान में कहा था कि ष्याम बिहारी सिन्हा के निर्देष पर विजय मल्लिक के भाई षिवानन्द तिवारी को देने के लिए मुझे दिल्ली के मरिन होटल में आकर 4 लाख रुपए दिए। पटना लौटने के बाद मैंने श्री तिवारी को उनके घर जाकर पैसे पहुंचाया। श्री सिंह आगे कहते हैं कि 1995 में किडनी प्रत्यारोपण कराने के बाद आस्ट्रेलिया से लौटने के बाद श्री ष्याम बिहारी सिन्हा के निर्देष पर त्रिपुरारी मोहन प्रसाद के आदमी के साथ षिवानन्द तिवारी के घर जाकर दो सुटकेष नोटों से भरा हुआ पहुंचाया। श्री सिंह ने अपने बयान में यह भी खुलासा किया है कि ष्याम बिहारी सिन्हा के आस्ट्रेलिया से लौट कर आने के बाद सुधा श्रीवास्तव (बाद में नीतीष मंत्रिमंडल में मंत्री भी रहीं) के घर जाकर श्री ललन सिंह (फिलहाल जदयू सांसद) को तीन सुटके रुपयों से भरा हुआ दिया जो उस समय समता पार्टी के अध्यक्ष थे। मैं तब ष्याम बिहारी सिन्हा के साथ गया था।
वहीं पषुपालन विभाग के सेवानिवृत्त प्रषासनिक अधिकारी आर. के. दास (राधवेन्द्र किषोर दास) ने गवाह के रूप में सी.आर.पी.सी. की धारा 161, 164 के तहत अपना बयान दर्ज कराया है कि 1989 के लोकसभा चुनाव के बाद नीतीष कुमार जो तब एमपी बन गए थे को विदेष जाने के लिए एक लाख रुपए नकद राषि एवं एक टिकट खरीद कर दिया गया था।
ये तमाम जानकारियां झारखंड हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता मिथिलेष सिंह ने सूचना के अधिकार के तहत हासिल किया है। श्री सिंह को करीब पांच साल लगे इन बयानों की अभिप्रमाणित प्रति लेने में। इसी के आधार पर झारखंड हाईकोर्ट ने सीबीआई से आगामी 22 नवम्बर को रिपोर्ट तलब की है।
यह मुद्दा अब सियासी बनता जा रहा है। 05 अक्तूबर 2013 को पूर्व उपमुख्यमंत्री सुषील कुमार मोदी ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए सवाल उठाया कि अगर डा. ष्याम बिहारी सिन्हा की सेवानिवृत्ति के बाद केवल सेवा अवधि विस्तार के लिए पत्र लिखने के कारण डा. जगन्नाथ मिश्र को सजा हो सकती है? डा. आर.के. राणा के बयान के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को सजा हो सकती है? पर्याप्त सामग्री, साक्ष्य के बावजूद सी.आर.पी.सी. की धारा 319 के तहत उपरोक्त अभियुक्तों को सम्मन जारी नहीं किया गया और न ही उन्हें अभियुक्त बना कर ट्रायल किया गया। सीबीआई के जांचकर्ता ए के झा ने स्पष्ट कहा है कि ाष्याम बिहारी सिन्हा तथा आर के दास के बयान के आधार पर उन्होंने जांच नहंी किया है। ऐसे में कोर्ट सीबीआई को यह निर्देष दे कि वह उपलब्ध सामग्री के आधार पर मामले की पुनः जांच करें।
श्री मोदी ने सीबीआई जांच पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा- ‘उन्हें आषंका है कि आगामी 22 नवम्बर को जब सीबीआई को इस मामले में कोर्ट के निर्देष पर रिपोर्ट देनी है, वह धालमेल कर सकती है। कांग्रेस सीबीआई का दुरुपयोग करती रही है। मायावती और मुलायम सिंह यादव के मामले में यह बात प्रमाणित है। संभव है कि कांग्रेस जदयू को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बारगेन करने और उससे गठबंधन करने के लिए बाध्य करने के लिए सीबीआई का दुरुपयोग करे। ’


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