Thursday, October 25, 2012

पौराणिक चरित्रों के जरिए विरोधियों पर हमला



काटजू ने दिलाई धनानंद की याद तो नीतीश को आया कालनेमि का स्मरण

राकेश प्रवीर
पटना। बिहार में आजकल अचानक कई पौराणिक चरित्र जिंदा हो गए हैं। दो दिन पहले भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने धनानंद की याद दिलाई तो दूसरे दिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को रामायण के एक चरित्र कालनेमि का स्मरण हो आया। उन्होंने कहा है कि कुछ लोग राज्य में उत्साह के माहौल को निराशा में बदलने के लिए कालनेमि की तरह घूमते रहते हैं। नीतीश कुमार का कहना है कि बिहार में माहौल बदल रहा है और विकास हो रहा है, लेकिन कुछ लोग उत्साह के वातावरण को निराशा में बदलने के लिए रामायण के पात्र कालनेमि की तरह घूमते रहते हैं। कहीं से अवतरित हो जाते हैं और कुछ प्रवचन देकर चलते जाते हैं। दरअसल उनका यह कटाक्ष भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू पर था। 
गौरतलब हो कि श्री काटजू ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में राजग सरकार पर लोगों का विश्वास खो देने का कथित रूप से आरोप लगाया था। काटजू ने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री अब बिहार के लोगों का विश्वास खो चुके हैं। उनके खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। साथ में काटजू ने जेपी की दुहाई देते हुए पूछा-आप कैसे शिष्य हैं। कहां है जेपी का जातिविहीन समाज। कहां गलत रास्ते पर चले गए। क्यों आपका इतना विरोध हो रहा है। सवालों की झड़ी लगाते हुए काटजू ने कहा- मुख्यमंत्री जी आप आत्मनिरीक्षण कीजिए। आत्म आलोचना कीजिए। नीतीश कुमार को सावधान करते हुए काटजू ने कहा- धनानंद का क्या हश्र हुआ, सभी जानते हैं। आप धनानंद मत हो जाइए। मुसीबत हो जाएगी। मालूम हो कि वह इससे पहले भी नीतीश पर प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर हमला कर चुके हैं। 
हालांकि कालनेमि से संबंधित नीतीश के बयान से यह स्पष्ट नहीं हो सका कि उनका इशारा काटजू के कथन पर था या कुछ और था। नीतीश ने कहा कि कुछ लोग राज्य में उत्साह के माहौल को निराशा में बदलने के लिए कालनेमि की तरह घूमते रहते हैं। नीतीश का यह भी कहना था कि बहुत से लोग न जाने क्यों बिहार में लोगों को निराश करने के प्रयास में और माहौल बिगाड़ने में लगे रहते हैं। भले ही वे कहीं से अवतरित होकर प्रवचन देकर चले जाएं, लेकिन बिहारियों का मनोबल टूटने वाला नहीं है। राज्य में बेहतर माहौल बना है और चारों ओर विकास हो रहा है। 
मालूम हो कि कालनेमि लंका का एक राक्षस था, जो रावण का विश्वस्त अनुचर था। युद्ध में लक्ष्मण को शक्ति लगने पर हनुमान औषधि लाने के लिए द्रोणाचल की ओर चले तो रावण ने उनके मार्ग में विघ्न उपस्थित करने के लिए कालनेमि को भेजा। वह ऋषि का वेश धारण कर मार्ग में बैठ गया। हनुमान जलपान के लिए रुके तो कालनेमि ने उन्हें जाल में फांसना चाहा। लेकिन हनुमान उसके कपट को भाँप गए और उन्होंने तत्काल उसक वध कर दिया। कालनेमि विरोचन का पुत्र था। पौराणिक कथा के अनुसार कंस पूर्वजन्म में कालेनेमि असुर था। वहीं, धनानंद मगध का एक अत्याचारी सम्राट था,जो अपनी अय्यासी और क्रुरता के कारण प्रजा में काफी अलोकप्रिय था। चाणक्य ने चन्द्रगुप्त के सहयोग से उसका नाश किया था। 

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