Monday, October 15, 2012

ब्लॉग लेखन से नीतीश की तौबा

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब ब्लॉगर बने तो वेब दुनिया मे उनका जोरदार स्वागत हुआ। नीतीश कुमार ने अपने ब्लॉग पर करीब दो साल में 13 पोस्ट किए हैं। वर्ष 2012 में उन्होंने कोई पोस्ट नहीं किया है। ऐसे में यह माना जा सकता है कि अब उन्होंने ब्लॉग लेखन से तौबा कर ली है। विश्वास यात्रा के अनुभव को सुखद बताने वाले मुख्यमंत्री ने अधिकार यात्रा के अनुभवों को साझा करना मुन
ासिब नहीं समझा है। साल 2010 में उन्होंने अपने ब्लॉग पर 11 पोस्ट किए। वर्ष 2011 में मात्र दो पोस्ट ही कर पाए। एक तरह से वह उनका आखिरी पोस्ट रहा, जिसमें उन्होंने लिखा ‘ एक वादा निभाया...भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग जारी रहेगी।’ यह पोस्ट उन्होंने अपने ब्लॉग पर 10 अक्तूबर, 2011 को डाला था। इसी का अंग्रेजी रूपांतर इसके पहले श्री कुमार ने 13 सितम्बर को अपने ब्लॉग पर पोस्ट किया था। हिन्दी में लिखे पोस्ट पर मात्र 34 लोगों ने कमेंट किए, जबकि अंग्रेजी में लिखे पोस्ट पर 115 कमेंट आए। 2010 में श्री कुमार का सर्वाधिक चर्चित पोस्ट ‘ निर्माण या विध्वंस आपके हाथ में हैं, इसलिए आइए और वोट डालिए’ रहा। हिन्दी में किए गए पोस्ट पर तब 258 कमेंट आए ,जबकि इसी के अंग्रेजी रूपांतर पर मात्र 120 लोगों ने अपनी टिप्पणियां दर्ज कीं।
गौरतलब हो कि 2010 चुनावी वर्ष था। इस साल अपने 11 पोस्ट के जरिए श्री कुमार ने जहां मतदाताओं को सक्रिय करने का प्रयास किया, वहीं अपनी सरकार की कतिपय योजनाओं के बारे में भी चर्चा छेड़ी। इसी साल 4 जुलाई को जारी ‘विश्वास यात्रा का अनुभव सुखद रहा’ शीर्षक अपने पोस्ट में श्री कुमार ने अपनी यात्रा के अनुभवों को साझा किया। तब उन्होंने लिखा था कि ‘पिछले दो महीनों में अनगिनत विश्वास यात्राओं को लेकर अत्यधिक व्यस्त रहा । इतना कि आपसे इस ब्लॉग पर चर्चा भी लगभग नगण्य रही । थकान से पस्त हूं लेकिन जो अभूतपूर्व अनुभव इन यात्राओं में हुआ वो बहुत सुखद है।’ इसके पहले 19 जून को उन्होंने ‘ बिहार के विकास में युवाओं की बढ़ती सहभागिता’ शीर्षक से पोस्ट किया।
बिहार में अपराध पर लगाम लगाने की बाबत उन्होंने 29 अप्रैल को एक पोस्ट डाला कि राज्य में अपराध नियंत्रण एक बड़ी चुनौती थी। 2010 में श्री कुमार जब ब्लॉगर बने तो उनका पहला पोस्ट महत्वाकांक्षी बालिका साइकिल योजना पर था। 10 अप्रैल 2010 को ‘मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना’ शीर्षक से उन्होंने पहला पोस्ट डाला था। इस पोस्ट पर आए कमेंट्स से मुख्यमंत्री इतने गदगद हुए कि एक सप्ताह बाद ही उन्होंने दूसरा पोस्ट किया-‘ आपके साथ संवाद प्रेरणादायक है...।’ मगर पिछले एक साल में मुख्यमंत्री एक भी पोस्ट डालने का समय नहीं निकाल पाए हैं। विश्वास यात्रा के अनुभव को सुखद बताने वाले मुख्यमंत्री को अपनी अधिकार यात्रा के अनुभवों को भी साझा करना चाहिए था। एक तरह से यह उनकी महत्वाकांक्षी यात्रा है। बिहार के हक और अधिकार की लड़ाई के लिए श्री कुमार पूरे बिहार में यात्रा कर रहे हैं। इस बाबत अपने ब्लॉग पर श्री कुमार ने कुछ भी पोस्ट नहीं किया है। श्री कुमार के ब्लॉग पर 2243 फ्लोवर हैं। ऐसे में क्या समझा जाए कि श्री कुमार ने ब्लॉग लेखन से वाकई तौबा ली है।

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