क्या भूलूँ क्या याद करू
मोतिहारी यानि पूर्वी चंपारण जिले के सवधन्यमान वरीय पत्रकार श्री इश्वरी प्रसाद साहू जी का निधन हो गया... और इसके साथ ही उस क्षेत्र में पत्रकारिता का एक युग समाप्त हो गया.श्री इश्वरी साहू जी अपने ४० वर्षो की पत्रकारिता एवं सामाजिक जीवन में एक मिल के पत्थर थे.उनकी बेलग-बेलौस पत्रकारिता, एक निर्भीक, स्वक्छ, साफ- सुथरी छवि ...बस अब यादों में सीमट गई है. वे मात्र एक व्यक्ति नहीं संस्था थे.आज से करीब पच्चीस वर्ष पहले मैंने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत उनके सान्निध्य में ही की थी. सही मायने में वे मेरे पाथेय और अभिभावक थे. जीवन के कई कठिन दौर में उनका स्नेह मेरे साथ रहा.अचानक उनके चले जाने की सुचना मोतिहारी के ही एक पत्रकार भाई इम्तेयाज़ अहमद के एक पोस्ट से मिला जिसे उन्होंने फेसबुक पर किया था. थोड़ी देर के लिए सन्न रह गया. सारी चेतनाएं शांत हो गई, आँखें भर आई और यादों में खो गया. उनके निधन से ऐसा महसूस हो रहा है जैसे मैंने अपने एक ऐसे गार्जियन, मित्र को खो दिया जिस की भरपाई शायद कभी नहीं हो पायेगी.साहू जी की उम्र ८२ वर्ष थी, मगर वे जीवन पर्यंत जवान रहे..पत्रकारिता में आने वाले हर युवा को उनसे स्नेह और सहयोग मिला. शहर के सामाजिक कार्यों में भी भी हमेशा उनकी सक्रियता रहती थी. सबसे स्नेहिल व्यव्हार उनकी खासियत थी.समझ में नहीं आ रहा है की क्या-क्या याद करूँ ...जीवन की कुछ वायदे कभी पूरे नहीं होते और व्यक्ति एक तरह से नियति की डोर से बंधा होता है...आज मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है...अपने श्रधेय अभिभावक सामान और पत्रकारिता के पाथेय श्री ईश्वरी बाबू से कभी वायदा किया था कि उनके अंतिम समय में उनके पास रहूँगा...चाकरी कि विवशता ने मुझे लखनऊ में ला छोड़ा है...और आज जब फेसबुक खोला तो अचानक मोतिहारी के ही एक पत्रकार मित्र भाई इम्तेयाज़ अहमद कि एक पोस्ट पर नजर पड़ी और मै सन्न रह गया...ईश्वरी बाबू अब नहीं रहे, सहसा विश्वास नहीं हुआ.हम सबके जीवन कि यंही नियति है...मेरी विनम्र श्रधांजलि... ईश्वर उनकी आत्मा को चीर शांति दे और हम सबको इस दुःख को सहने कि शक्ति दे...
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