- राकेश प्रवीर---
देर रात और सुबह हुई झमाझम बेमौसम की बारिश ने गांव की गलियों-पगडंडियों और कच्ची सड़कों को पानी से भर दिया। मतदान को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं भी तैरने लगीं। शायद 62 फीसदी मतदान के लिए बारिश को वजह भी मानी जाए। संभव था कि मौसम साफ रहता तो यह प्रतिशत कहीं और ज्यादा होता। बदलाव को तैयार मतदाताओं का यह जज्बा ही रहा कि पानी और कीचड़ के बावजूद वे घरों से निकले। कई क्षेत्रों में महिलाएं और युवकों में मतदान को लेकर उत्साह देखा गया।
मतदान का प्रतिशत भले पंजाब और उत्तराखंड की तरह 70 तक नहीं पहुंच सका, मगर मतदाताओं का खीझ मिश्रित उत्साह आयोग की कोशिशों पर खरा दिखा। बीते दिनों पंजाब और पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में मतदाताओं का उत्साह परवान पर रहा। पंजाब में जहां 77 फीसद तो उत्तराखंड के कई हिस्सों में मौसम की प्रतिकूलताओं के बावजूद 70 प्रतिशत मतदान हुआ था। उम्मीद की जा रही थी कि इस बार उत्तर प्रदेश में भी मत प्रतिशत बढ़ेगा। वैसे प्रदेश के पिछले रिकार्ड को देखते हुए 62 प्रतिशत मतदान को कम नहीं कहा जा सकता है। इस बार मतदाताओं में जागरूकता बढ़ी है। 10 जिलों के 1.71 करोड़ वोटरों ने 862 उम्म्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में लॉक कर दी। 6 मार्च को चुनाव परिणाम आ जाएंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी के मुताबिक पहले चरण में करीब 62फीसदी मतदान हुआ है। बारिश थमने के बाद धूप खिलने से लोग मतदान के लिए घरों से निकले। शाम तक मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी कतारें देखी गईं।
दिन चढऩे के साथ मतदान का प्रतिशत भी बढऩे लगा। बीती रात और बुधवार की सुबह से हो रही बारिश के कारण कम लोग मतदान के लिए निकले, लेकिन बाद में मतदान केंद्रों पर लोगों की कतार बढऩे लगी। सुबह नौ बजे तक जहां 5.17 फीसदी मतदान हुआ था, वहीं 11 बजे मतदान 13.38 फीसदी पर पहुंच गया। राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के मुताबिक तीन बजे मतदान का प्रतिशत बढ़कर 42 फीसदी हो गया। शाम पांच बजे तक करीब 62 फीसदी मतदान हुआ।
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