2018-19 में केन्द्र सरकार ने टेक्नाॅलाॅजी के प्रयोग से विभिन्न योजनाओं से जहां बिचैलियों और लिकेजेज को खत्म किया वहीं लाभार्थियों के बैंक एकाउंट को आधार सिडिंग कर डीबीटी के जरिए सीधे राशि हस्तांतरित कर 1 लाख 41,677 करोड़ को लूटने से बचाया। एलपीजी की सब्सिडी उपभोक्ताओं के एकाउंट में ट्रांसफर कर 4 करोड़ 23 लाख फेक व डुप्लीकेट कनेक्शन की पहचान कर रद्द किया गया जिससे 2018-19 में 59 हजार 599 करोड़ की बचत हुई।
2 करोड़ 98 लाख फर्जी व दोहरे राशन कार्ड की पहचान कर 47 हजार 663 करोड़ दलालों-बिचौलियों के पास जाने से बचाया गया। इसी प्रकार मनरेगा के तहत डीबीटी से भुगतान की व्यवस्था के कारण 20 हजार 790 करोड़ बिचैलिए के हाथों में जाने से बचाया गया। आंगनबाड़ी के 1 करोड़ 98.8 फेक व डुप्लीकेट लाभार्थियों को सिस्टम से हटा कर 1,523 करोड़ की बचत की गई। देश की सभी उर्वरक दुकानों में पीओएस मशीन लग कर यूरिया की कालाबाजारी व तस्करी पर कारगर रोक से 10 हजार करोड़ की बचत हुई।
अब तक सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार को प्रश्रय देकर लूट मचाने वाले कांग्रेसियों और हिस्से में टुकड़े पाने वाले वामपंथियों को यह सब पच नहीं रहा हैं। अर्थव्यवस्था के सुस्त पड़ने, मंदी, बेरोजगारी, छटनी आदि के अपने कारण होंगे। देश में बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास,सड़क,रेल,पल-पुलिया के निर्माण, विस्तार की अपनी चुनौतियां हैं। गांव,गरीब,किसान से जुड़ी कल्याणकारी योजनाओं पर भारी-भरकम खर्च का दबाव,ग्लोबल वार्मिंग व जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न स्थितियों के मुकाबले की चुनौतियां विकराल हैं। 130 करोड़ की आबादी वाले विविधताओं से भरे इस देश की सारी समस्याओं का निराकरण जादू की छड़ी घुमा कर नहीं किया जा सकता है।
कांग्रेसियों-वामपंथियों को विरोध के लिए सरकार का विरोध करते रहना है। उनके टुच्चे समर्थकों,फेसबुकिया अर्थशास्त्रियों और थोथी दलील गढ़ने वाले "पेड बुद्धिजीवियों" को लगता है कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 A का खात्मा होने व लुटेरे कांग्रेसियों पर शिकंजा कसे जाने से ही देश आर्थिक मंदी की चपेट में आ गया है।
हितों पर प्रहार से बौखलाए ये वहीं लोग हैं जिन्होंने एन जी ओ की बेनामी फंडिंग बंद किये जाने,टैक्स की चोरी रोके जाने व देश में अस्थिरता पैदा करने के लिए आने वाले विदेशी फंड पर निगहबानी के बाद "अवार्ड वापसी" व "इनटॉलरेंस मूवमेंट" चलाये थे। तब इनमें से बहुत सारे लोगों का देश में दम घुटने लगा था। "भारत तेरे टुकड़े होंगे"का नारा लगाने व उनका समर्थन करने वाले लोगों का यह वही जमात है,जिसे हर हाल में सरकार बदलनी और लूट की वही पुरानी व्यवस्था को कायम करनी थी।
इनकी सारी जिद और हर तरह के कुचक्र,हथकंडे अपनाने के बावजूद लोकसभा चुनाव-2019 में इस देश की महान जनता किसी झांसे में आये बिना इन लुटेरों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। 60 वर्षों तक देश पर एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस का न केवल कई राज्यों से सफाया हो गया,बल्कि दूसरी बार भी उसे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की हैसियत हासिल करने की सदस्य संख्या नहीं मिल पाई। देशद्रोह की आग सुलगाने वाले वामपंथियों को तो इस देश की जनता पहले ही अपने चित्त से उतार चुकी है। देश भर के नचनिया-बजनिया बेगूसराय में जुट कर महीनों नाटक-नौटंकी करते रहे,जनवाद के नाम पर आंख में धूल झोंकने वालों को जनता ने धूल चटा दी। मगर इन बेशर्मों की बेशर्मी ऐसी की शर्म भी शरमा जाय।
एक बार फिर ये थके-हारे पस्त लोग अदृश्य-स्वकल्पित मुद्दों पर "हुआँ-हुआँ" कर गीदड़ विलाप कर रहे हैं। इनका मकसद भारत की किसी समस्या का समाधान सुझाना नहीं, पाकिस्तानी अखबारों की हेडिंग और भारत विरोधी मीडिया की सुर्खियां बनना भर है। इनकी चाहत है कि भारत की छवि खराब हो,सरकार कमजोर हो ताकि फिर से अबाध लूट की छूट जारी रहे। दरअसल ऐसे लोगों की प्रोपगेंडा से सावधान रहने और इनके असली मंसूबों को पहचानने की जरूरत है।
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