Monday, January 2, 2012

अड़ंगेबाजी से यूपी भाजपा का बंटाधार


भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं के अहं और खींचतान में प्रत्याशियों की सूची फंसी हुई है। सूची जारी नहीं होने से निराश भाजपाइयों का मानना है कि इस  अड़ंगेबाजी की वजह से भाजपा का बंटधार हो सकता है। प्रदेश के कतिपय बड़े नेताओं की गुटबाजी की वजह से ही प्रत्याशियों के नामोंं को अंतिम रूप देने का मामला चुऩाव तिथियों की घोषणा हो जाने के बाद भी उलझ नहीं पा रहा है।
सूत्रों की मानें तो प्रदेश विधान सभा के लिए भाजपा उम्मीदवारों की सूची और लटक सकती है। शेष बची सीटों के लिए प्रत्याशियों के नामों की सूची केंद्रीय संसदीय बोर्ड एक साथ फाइनल करेगी। संभावना है कि नये साल के दूसरे या तीसरे दिन बोर्ड सूची को अंतिम रूप दे। इधर, टिकट बंटवारे में हो रही देरी से जहां टिकटार्थियों में उहापोह की स्थिति हैं वहीं भाजपा के आधार वोटर भी असमंजस की स्थिति में फंसे हुए हैं। टिकट फाइनल नहीं होने की वजह से ही अनेक क्षेत्रों में भाजपा का चुनाव प्रचार अभियान गति नहीं पकड़  रहा है,जबकि अन्य राजनीतिक दलों की गतिविधियां क्षेत्र में काफी बढ़ी हुई हैं।
सूत्रों की मानें तो टिकट बंटवारे में जनता दल यूनाइटेड  से सीटों के तालमेल के अलावा कुछ सीटों पर एक से अधिक नाम होने व प्रांतीय व राष्ट्रीय नेताओं के अहं के कारण भी संसदीय बोर्ड को उम्मीदवारों के नाम घोषित करने में परेशानी आ रही है। बिहार में प्रभावी जद यू का दावा गोरखपुर मंडल के साथ ही बिहार से सटे पूर्वांचल की कई सीटों पर है। इनमें से कई ऐसी भी सीटें है जिनपर भाजपा का कब्जा है। बिहार में जदयू के प्रभाव और उसके नेतृत्व में चल रही सरकार की वजह से भाजपा आलाकमान को भी जदयू की मांग को दरकिनार करने में परेशानी महसूस हो रही है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रदेश की कोर कमेटी ने केंद्रीय संसदीय बोर्ड को उम्मीदवारों की जो सूची भेजी है उसमें से कुछ सीटों पर एक से अधिक नाम हैं। जिसकी वजह से बोर्ड ने इसे दुबारा प्रदेश की कोर कमेटी को वापस कर दिया है। कोर कमेटी के समक्ष उलझन यह है कि जिन सीटों पर उसने एक से अधिक नाम दिए हैं उनमें से कई अपने क्षेत्र में जनाधार रखने वाले नेताओं के है। इनकी नाराजगी से बचने के लिए कोर कमेटी ने गेंद केंद्रीय संसदीय बोर्ड के पाले में डाल दी थी। पर अब दुबारा कोर कमेटी को ही इस पर निर्णय लेकर संसदीय बोर्ड को भेजना है। इसी कवायद में सूची अटकी हुई है। जानकारों की मानें तो पहले यह सूची दिसंबर के अंतिम सप्ताह में फाइनल होने वाली थी। भाजपा चुनाव प्रबंधन समिति से जुड़े एक नेता का कहना है कि संसद के सत्र और लोकपाल को लेकर बढ़ी व्यस्तता के कारण ही संसदीय बोर्ड को सूची को अंतिम रूप देने में विलम्ब हुआ,मगर अब दो-तीन दिनों के अंदर अंतिम सूची जारी कर दी जायेगी।

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