समाजवादी पार्टी और जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अहमद बुखारी के बीच खटपट शुरू हो गई है। बुखारी ने एसपी पर मुसलमानों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह को चिट्ठी लिखी और इसे सार्वजनिक कर दिया। चिट्ठी में बुखारी ने जहां आजम खान पर निशाना साधा है, वहीं अपने दामाद उमर खां को मिले विधान परिषद का टिकट रद्द करने की मांग भी की है।
बुखारी की नाराजगी की वजह उनके भाई को एसपी से राज्य सभा का टिकट न मिलना भी है। शाही इमाम ने यूपी चुनाव से पहले जब समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाया था, तो दामाद को टिकट दिलाने की डील भी हुई थी। एसपी ने उमर को सहारनपुर की बेहट सीट से टिकट दिया, लेकिन वह हार गए। चुनाव हारने के बाद उमर राज्यसभा के लिए टिकट के दावेदार हो गए। उन्हें राज्यसभा के लिए टिकट नहीं मिल पाया, लेकिन आजम खां की सिफारिश पर मध्य प्रदेश के मुनव्वर सलीम को टिकट दे दिया गया। उमर खां को विधान परिषद के लिए टिकट दिया गया। मौलाना बुखारी ने इसे अपना अपमान समझा और मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी का इजहार कर दिया। ऐसा बताया जा रहा है बुखारी अपने भाई याह्या को राज्य सभा का टिकट और दामाद को लालबत्ती दिलाना चाहते हैं।
चिट्ठी में बुखारी ने लिखा है,'मुसलमानों को सत्ता में बराबरी की हिस्सेदारी देने को लेकर समाजवादी पार्टी का रवैया भी अफसोसजनक है। राज्यसभा चुनाव में एसपी ने सिर्फ एक मुसलमान को टिकट दिया है और वह भी मध्य प्रदेश के किसी गुमनाम शख्स को, जो किसी भी हाल में मुसलमानों के काम नहीं आने वाला है। मुझे इस बात पर हैरत है कि देश के सबसे बड़े सूबे में आपको एक भी योग्य मुसलमान नहीं मिला। पार्टी ने विधान परिषद के लिए जो सूची जारी कि है उसमें भी सिर्फ एक मुसलमान है। अगर आप सत्ता और प्रशासन में मुसलमानों को ईमानदारी के साथ बराबरी की भागीदारी नहीं देते हैं, तो मैं मेरे दामाद को दिया गया टिकट शुक्रिया के साथ आपको वापस करता हूं।' बुखारी से छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले संसदीय कार्य एवं नगर विकास मंत्री मोहम्मद आजम खां ने बुखारी की इस 'ब्लैकमेलिंग' को लेकर उन्हें निशाने पर ले लिया। आजम ने कहा कि बुखारी भाई के लिए राज्य सभा टिकट और दामाद के लिए लालबत्ती चाहते थे। मांग पूरी न होने पर उन्होंने दामाद का विधान परिषद टिकट लौटा दिया। आजम ने कहा कि इमाम साहब अपने मतलब के लिए मुसलमानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आजम ने उमर को विधान परिषद देने का भी विरोध किया था। उन्होंने तब कहा था कि धार्मिक लोगों को राजनीति से दूर ही रखना चाहिए। बुखारी के टिकट को लौटाने पर आजम खां ने शाही इमाम का नाम लिए बगैर कहा कि बड़े इमाम साहब की राजनीतिक हैसियत क्या है, यह विधानसभा चुनाव में उनके दामाद की बुरी तरह हार से तय हो चुका है। उनके दामाद जिस सीट पर चुनाव लड़े वहां अस्सी फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, फिर भी जमानत नहीं बचा पाए।
बुखारी की नाराजगी की वजह उनके भाई को एसपी से राज्य सभा का टिकट न मिलना भी है। शाही इमाम ने यूपी चुनाव से पहले जब समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाया था, तो दामाद को टिकट दिलाने की डील भी हुई थी। एसपी ने उमर को सहारनपुर की बेहट सीट से टिकट दिया, लेकिन वह हार गए। चुनाव हारने के बाद उमर राज्यसभा के लिए टिकट के दावेदार हो गए। उन्हें राज्यसभा के लिए टिकट नहीं मिल पाया, लेकिन आजम खां की सिफारिश पर मध्य प्रदेश के मुनव्वर सलीम को टिकट दे दिया गया। उमर खां को विधान परिषद के लिए टिकट दिया गया। मौलाना बुखारी ने इसे अपना अपमान समझा और मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी का इजहार कर दिया। ऐसा बताया जा रहा है बुखारी अपने भाई याह्या को राज्य सभा का टिकट और दामाद को लालबत्ती दिलाना चाहते हैं।
चिट्ठी में बुखारी ने लिखा है,'मुसलमानों को सत्ता में बराबरी की हिस्सेदारी देने को लेकर समाजवादी पार्टी का रवैया भी अफसोसजनक है। राज्यसभा चुनाव में एसपी ने सिर्फ एक मुसलमान को टिकट दिया है और वह भी मध्य प्रदेश के किसी गुमनाम शख्स को, जो किसी भी हाल में मुसलमानों के काम नहीं आने वाला है। मुझे इस बात पर हैरत है कि देश के सबसे बड़े सूबे में आपको एक भी योग्य मुसलमान नहीं मिला। पार्टी ने विधान परिषद के लिए जो सूची जारी कि है उसमें भी सिर्फ एक मुसलमान है। अगर आप सत्ता और प्रशासन में मुसलमानों को ईमानदारी के साथ बराबरी की भागीदारी नहीं देते हैं, तो मैं मेरे दामाद को दिया गया टिकट शुक्रिया के साथ आपको वापस करता हूं।' बुखारी से छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले संसदीय कार्य एवं नगर विकास मंत्री मोहम्मद आजम खां ने बुखारी की इस 'ब्लैकमेलिंग' को लेकर उन्हें निशाने पर ले लिया। आजम ने कहा कि बुखारी भाई के लिए राज्य सभा टिकट और दामाद के लिए लालबत्ती चाहते थे। मांग पूरी न होने पर उन्होंने दामाद का विधान परिषद टिकट लौटा दिया। आजम ने कहा कि इमाम साहब अपने मतलब के लिए मुसलमानों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। आजम ने उमर को विधान परिषद देने का भी विरोध किया था। उन्होंने तब कहा था कि धार्मिक लोगों को राजनीति से दूर ही रखना चाहिए। बुखारी के टिकट को लौटाने पर आजम खां ने शाही इमाम का नाम लिए बगैर कहा कि बड़े इमाम साहब की राजनीतिक हैसियत क्या है, यह विधानसभा चुनाव में उनके दामाद की बुरी तरह हार से तय हो चुका है। उनके दामाद जिस सीट पर चुनाव लड़े वहां अस्सी फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, फिर भी जमानत नहीं बचा पाए।
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