गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे को जेपी पार्क में 16 अगस्त से अनशन के लिए दी गई अनुमति को रद्द कर दिया गया है। साथ ही दिल्ली पुलिस का कहना है कि अन्ना के द्वारा सौंपा गया हलफनामा अधूरा था। इससे पहले हजारे की प्रमुख सहयोगी किरण बेदी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लोकपाल विधेयक को लेकर दिए बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन पर लोगों की संवेदनाओं के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वह एक 'धोखा विधेयक' को देश पर थोप रहे हैं और इसके विरोध में होने वाली भूख हड़ताल तथा अनशन को गलत बता रहे हैं।
देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी रही किरण बेदी ने माइक्रो ब्लागिंग वेबसाइट ट्विटर पर लिखा कि प्रधानमंत्री धोखा विधेयक को देश पर थोप रहे हैं और भूख हड़ताल और अनशन को गलत बता रहे हैं। वह चाहते हैं कि हम उनकी बात मान लें। किरण बेदी ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री लोगों के विचारों के प्रति संवेदनशील थे तो वह 'जोकपाल' को थोपने की बजाय इसे वापस लेने की घोषणा कर सकते थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अनशन के कारणों पर नहीं जा रहे हैं। यह [अनशन] धोखा विधेयक को थोपे जाने के खिलाफ है जिसमें कारगर चीजों को शामिल नहीं किया गया है।
किरण बेदी ने कहा कि आत्मसमर्पण का अर्थ है कि सरकारी लोकपाल को मान लेना जिसमें आम आदमी के लिए कुछ भी नहीं है। इसके बजाय यह एक कानूनी भ्रम फैलाता है।इससे पहले सिंह ने आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिए भाषण में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए एक मजबूत लोकपाल का वायदा किया और माना कि केंद्र और राज्य सरकारों के कुछ लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। उन्होने कल से शुरू हो रहे अन्ना हजारे के अनशन का सीधा उल्लेख किए बिना कहा कि लोगों को अपनी ही बात मनवाने के लिए भूख हड़ताल और अनशन का सहारा नहीं लेना चाहिए।
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