Monday, May 7, 2012

नीतीश-मोदी हाथ मिलाये तो लालू हुए लाल

नरेंद्र मोदी का शनिवार को यहां विज्ञान भवन में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास जाकर उनसे हाथ मिलाना दोनों के विरोधियों को नागवार गुजरा है। सबसे ज्यादा तकलीफ बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू यादव को हुई है। जिस समय नीतीश और मोदी मिले थे,  नरेंद्र मोदी खुद बढ़कर नीतीश से मिलने गए थे। नीतीश ने मोदी के सौजन्य का उसी तरह उत्तर भी दिया था। दोनों नेताओं ने हाथ मिलाते हुए एक-दूसरे की कुशल-क्षेम पूछी थी और फोटोग्राफरों के अनुरोध पर उन्हें फोटो खींचने का मौका दिया था।
लालू ही नहीं, कुछ अन्य दलों और बिहारी मूल के नेताओं ने भी इस 'शिष्टाचार भेंट' पर सवाल उठाए हैं। इन सवालों की अपनी वजह भी है। बिहार में अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चल रहे नीतीश कुमार ने 2009 के लोकसभा और 2010 के बिहार विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के बिहार में चुनाव प्रचार करने का विरोध किया था। नीतीश कुमार ने उस विज्ञापन का भी विरोध किया था जिसमें उन्हें नरेंद्र मोदी के साथ एक मंच पर दिखाया गया था। नीतीश के विरोध के बाद नरेंद्र मोदी अपनी पार्टी का प्रचार करने बिहार नहीं गए थे। इससे पहले 2008 में नीतीश ने बिहार में कोसी नदी के तांडव के बाद मोदी सरकार द्वारा दी गई आर्थिक सहायता भी वापस लौटा दी थी। हालांकि बीजेपी और जेडी (यू) बिहार में गठबंधन सरकार चला रहे हैं और जेडी (यू) एनडीए का हिस्सा है, फिर भी पिछले सालों में नीतीश-मोदी कभी साथ नहीं दिखे थे। 5 मई को यह पहला मौका था, जब दोनों एक-दूसरे से मिले।

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