Saturday, December 29, 2012

दिल में गुस्सा,आंखें नम


दिल्ली सहित पूरे देश के हर हिस्से में शांतिपूर्ण तरीके से शोक जताने के साथ ही विरोध किया जा रहा है। हर देशवासियों के दिलों में गुस्सा हैं मगर आंखे नम हैं। देशभर में लोगों ने अपने-अपने तरीके से लड़की के प्रति संवेदना जताई है। सामूहिक दुष्कर्म व हिंसा के बाद इस दुनिया को अलविदा कह गई 23 वर्षीया युवती की मौत का सफर एक फिल्म के साथ शुरू हुआ था। अपने मित्र के साथ फिल्म देखने के बाद बस से लौटना इस युवती के लिए भारी पड़ गया। दक्षिण दिल्ली के साकेत में फिल्म देखने के बाद युवती व उसका मित्र मुनिरका पहुंचे थे। वहां से उन्होंने सड़क किनारे खड़ी एक निजी बस पकड़ी। यह 16 दिसम्बर की देर शाम की घटना है। बस चालक व उसमें मौजूद अन्य सदस्यों ने उनसे कहा कि वे उन्हें पश्चिमी दिल्ली के द्वारका में छोड़ देंगे। लेकिन यह झूठ था, पर बस में चढ़ी युवती व उसके मित्र के पास उन पर शक करने की कोई वजह नहीं थी और यह उनकी बहुत बड़ी भूल थी। यह बस आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के हाथों में थी। इनमें बस चालक व कंडक्टर भी शामिल थे। दिन के समय यह बस स्कूली बच्चों को छोड़ती थी। रात के समय बस मालिक बस को चालक व कंडक्टर के साथ छोड़कर चला जाता था। बस में चढ़ी युवती व उसके मित्र को यह भी नहीं पता था कि हाल ही में वहां एक व्यक्ति के साथ लूट कर उसे बाहर फेंक दिया गया था। वह व्यक्ति पुलिस के पास गया था लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। पुलिस के मुताबिक जब बस चलनी शुरू हुई तो छह आदमी युवती को खींचकर पीछे की ओर ले गए। इसका विरोध करने पर उसके साथ मारपीट की गई। उसके दोस्त ने भी इसका विरोध किया और उसे भी पीटा गया। बस में मौजूद इन छह लोगों ने युवती के साथ 40 मिनट तक सामूहिक दुष्कर्म किया और फिर उसे लोहे की एक छड़ से मारा-पीटा। इसके बाद उन्होंने युवती व उसके मित्र को महिपालपुर पर सड़क किनारे फेंक दिया। तेरह दिन तक जिन्दगी से संघर्ष के बाद आखिर युवती की सांसे थम गई। देशवासियों का गुस्सा वाजिब है।

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